गूगल से भी तेज पंजाबी बेबे, देती है हर सवाल का जवाब

Edited By swetha,Updated: 19 May, 2018 02:44 PM

punjabi babe even faster than google gives answer to every question

आपको मिलाते हैं एक ऐसी महिला से, जिसके दिमाग के आगे गूगल भी फेल हैं।  जिला फतेहगढ़ साहिब के गांव मनैला निवासी एक साधारण जमींदार परिवार की महिला कुलवंत कौर (55) गूगल इंजन की तरह हर सवाल का तुरंत जवाब देती हैं। इलाके के लोग उन्हें गूगल बेबे के नाम से...

पटियालाः आपको मिलाते हैं एक ऐसी महिला से, जिसके दिमाग के आगे गूगल भी फेल हैं।  जिला फतेहगढ़ साहिब के गांव मनैला निवासी एक साधारण जमींदार परिवार की महिला कुलवंत कौर (55) गूगल इंजन की तरह हर सवाल का तुरंत जवाब देती हैं। इलाके के लोग उन्हें गूगल बेबे के नाम से पुकारते हैं। कब, किसने, किस तरह, कब तक भारत पर हमला और राज किया गूगल बेबे के पास तमाम जानकारियां टिप्स पर हैं। यहीं बस नहीं यहूदी, ईसाई, इस्लाम, बोधी, हिंदू और सिख आदि धर्म गुरुओं, उनके माता-पिता उनकी शिक्षाओं लिखित, उपदेशों आदि की जानकारी भी जुबानी याद  है। 
 

कुलवंत कौर के पिता प्रीतम सिंह का जन्म लाहौर पाकिस्तान में हुआ था। वह इंजीनियर थे और काम के सिलसिले में आगरा आए थे। कुलवंत कौर का जन्म भी आगरा में हुआ, वहीं से उन्होंने चौथी कक्षा तक पढ़ाई की। परिवारिक मजबूरी के कारण आगे नहीं पढ़ पाईं। गूगल बेबे ने बताया कि बचपन में जब वह आगरा में रहती थी तो उनके घर कपड़ा व्यापारी राम लाल (डग्गी वाले) आता था। उसके पिता से घंटों बैठकर हर धर्म के बारे में बातें करता था। वह सभी भाई-बहन अपने पिता जी और डग्गी वाले अंकल के पास बैठकर उनकी बातें सुना करते थे। यही बातें उनकी जहन में बस गई।


गूगल बेबे ने बताया कि उसने अब तक हिस्टरी ऑफ इंडिया, हिस्टरी ऑफ पंजाब, डिस्कवरी ऑफ इंडिया, डिस्कवरी ऑफ पंजाब सहित धर्म अध्ययन के लिटरेचर को करीब 22 साल पढ़ा जो किताब एक बार पढ़ी गई उसे दोबारा पढ़ने की जरूरत नहीं पड़ी। गूगल बेबे के घर में बनाई गई छोटी सी लाइब्रेरी में बाबा बंदा सिंह बहादुर की दो किताबें, सिख मिशनरी की 4, सिख रसाले-2, 4 लेखकों व खोजकारों की किताबें समेत पत्रकार खुशवंत सिंह, कुलदीप नैय्यर, दीवान वरिंदर नाथ आदि की किताबें हैं।

कुछ दिन पहले गूगल बेबे बाबा बंदा सिंह बहादुर इंटरनेशनल फाउंडेशन लुधियाना में के.के. बावा द्वारा करवाए समारोह में अंतर्राष्ट्रीय समाज सेवक एस.पी. सिंह ओबरॉय की नजरों में आई तो उन्होंने बीबी के घर आकर आर्थिक तौर पर पहले उनकी 3 हजार रुपए महीना पेंशन लगाई। इसके बाद ओबरॉय ने गूगल बेबे के मोबाइल पर पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला के अधिकारियों से बात कराई।  गूगल बेबे ने उनके 6 सवालों के जवाब तुरंत फोन पर दे दिए। इसलिए अब ओबराय गूगल बेबे को पंजाबी यूनिवर्सिटी के धर्म अध्ययन विभाग में दाखिला दिलाना चाहते हैं। गूगल बेबे कहती है कि सेहत ठीक रही तो धर्म अध्ययन विषय पर पी.एच.डी. भी करेंगी।

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