एग्रीकल्चर और इंडस्ट्रियल इनकम वाले टॉप-10 राज्यों में पंजाब सबसे ज्यादा कर्जदार

Edited By Punjab Kesari,Updated: 28 Mar, 2018 11:09 AM

punjab top most borrowers in top 10 states of agriculture and industrial income

देश में कृषि और उद्योग के मिक्स कल्चर वाले टाप -10 राज्यों में से पंजाब सबसे ज्यादा कर्जदार है।

चंडीगढ़: देश में कृषि और उद्योग के मिक्स कल्चर वाले टाप -10 राज्यों में से पंजाब सबसे ज्यादा कर्जदार है। तमिलनाडु कर्ज के मामले में दूसरे नंबर पर है, जबकि सबसे कम कर्ज हिमाचल प्रदेश पर है। नई इंडस्ट्री लगने के बाद सालाना 4-5 सौ करोड़ की रफ्तार के साथ हिमाचल कर्ज वापस भी कर रहा है, जबकि पंजाब का कर्ज बढ़ कर 2,11,523 करोड़ हो चुका है। लोकसभा में 1950 में मंजूर हुए प्रोफेशनल टैक्स को अब पंजाब भी अपनाएगा।  इससे सरकार अपना केवल खर्च चला पाएगी।  प्रोफेशनल टैक्स लगने से 6 माह तक पैसा प्रदेश सरकार को मिलने की आस नहीं है। वजह ये है कि 2-3 माह इसे लागू करने में लगेंगे। जबकि अगली तिमाही लोग टैक्स जमा कराने में लगाएंगे। हरियाणा ने 2004 में प्रोफेशनल टैक्स लागू किया था लेकिन साल भर भी नहीं चल पाया और कलैक्शन की जटिलताओं के चलते हाथ खींच लिया था। 

 

जी.एस.टी. एक्सपर्ट एडवोकेट अमित बजाज ने कहा कि प्रोफेशनल टैक्स की 1500 करोड़ सालाना कमाई का टारगेट पूरा करना भी आसान नहीं है। इसके लिए हर पैनकार्ड होल्डर का डाटा सरकार को खंगालना पड़ेगा। आर्थिक मामलों के माहिर आरएस घुम्मण ने कहा कि कर्ज उतारने के लिए सरकार को रणनीतिक प्लान बनाना चाहिए, जिस पर काम नहीं हो रहा। सरकार की कमाई साल में 1,29,698 करोड़ जबकि कर्ज है 2,11,523 करोड़ रुपए। एक साल में करीब 41000 करोड़ रुपए सूबे पर कर्ज बढ़ा तमिलनाडु दूसरे नंबर पर और 27,910 करोड़ कर्ज के साथ हिमाचल दसवें नंबर पर सालाना 10 हजार करोड़ रुपये किश्त और ब्याज चुकाने पर होते हैं खर्च बैंक आफ पटियाला के पूर्व डायरेक्टर डा. अश्वनी गुप्ता ने बताया कि लगातार बढ़ रहे कर्ज के चलते ही पंजाब सरकार को प्रोफेशनल टैक्स लगाना पड़ गया है। 

 

दिक्कत ये है कि कर्ज कम करने को लेकर कोई लंबी अवधि की योजना नहीं है। सालाना 10 हजार करोड़ रुपये कर्ज की किश्त व ब्याज चुकाने पर चले जाते हैं। अब जब कर्ज 2 लाख करोड़ पार कर गया है तो ये खर्च बढ़कर 15 हजार करोड़ पहुंच गया है।  डा. अश्वनी गुप्ता ने कहा कि इस तरह के प्रोफेशनल टैक्स की 10 गुणा दर भी कर दी जाए तब बामुश्किल से साल में ये रकम मैनेज होगी। जब चुनाव आते हैं तो धड़ाधड़ कर्जे लेकर फ्री आटा-दाल, पेंशन स्कीमें व फ्री बिजली बांटी जाती हैं। इससे प्रदेश की हालत बहुत खराब हो गई है। इसका एक ही हल है कि सरकार सब्सिडियां बंद कर नई इंडस्ट्री को प्रमोट करे। आखिर इंडस्ट्री ही टैक्स कलेक्शन का सोर्स है। नए बजट में ही सरकार ने कहा है कि 2018-19 में उसे सारे संसाधनों से 1,29,698 करोड़ रुपये की कमाई होगी। जबकि 86,351 करोड़ रुपये सरकारी मुलाजिमों के वेतन एवं पेंशन में चले जाएंगे। दफ्तरों आदि के खर्च अलग से हैं। 
 

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