Edited By Urmila,Updated: 31 Aug, 2025 08:59 AM

पंजाब में इस बार लगातार हो रही बारिश ने तबाही मचा दी है, जिसका सबसे ज्यादा असर नदियों के किनारे रहने वाले लोगों पर पड़ रहा है।
चंडीगढ़ (विजय) : पंजाब में इस बार लगातार हो रही बारिश ने तबाही मचा दी है, जिसका सबसे ज्यादा असर नदियों के किनारे रहने वाले लोगों पर पड़ रहा है। रावी, ब्यास और सतलुज नदियां शनिवार को भी उफान पर रहीं। पिछले 5 दिनों में पंजाब के 7 जिलों में आई बाढ़ में 23 लोगों की मौत हो गई। 1018 गांव बाढ़ की चपेट में हैं और लगभग 3 लाख एकड़ जमीन बाढ़ से तबाह हो गई है। अनुमान के मुताबिक, बाढ़ में 10,000 से ज्यादा जानवर मारे गए हैं।
पंजाब सरकार का दावा है कि उन्होंने 11,330 लोगों को बाढ़ से बचाकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया है। 1988 में आई बाढ़ में लगभग 11 लाख क्यूसेक पानी ने लोगों को बेहाल कर दिया था, लेकिन इस बार 15 लाख क्यूसेक से ज्यादा पानी ने पंजाब के माझा और दोआबा क्षेत्र के 7 जिलों में तबाही मचाई है, जिससे लोग बेघर हो गए हैं और भारी आर्थिक नुकसान हुआ है। बाढ़ का सबसे ज्यादा असर पठानकोट, होशियारपुर, गुरदासपुर, तरनतारन, कपूरथला, फिरोजपुर में देखा गया, जबकि बरनाला, मोगा, कपूरथला और अमृतसर के कुछ हिस्से भी बाढ़ से प्रभावित हैं।
आपको बता दें कि पंजाब सरकार ने बाढ़ प्रभावित इलाकों में 87 राहत शिविर लगाए हैं, जिनमें 4729 लोग रह रहे हैं। बी.बी.एम.बी. द्वारा जारी जानकारी के अनुसार, शनिवार को गोबिंद सागर झील का जलस्तर 1672.12 फीट था, जबकि झील में खतरे का निशान 1680 फीट है। बांध के फ्लड गेटों से 54,076 क्यूसेक पानी छोड़ा गया। पौंग बांध का जलस्तर 1391.05 फीट था, जो खतरे के निशान से लगभग 11 फीट ऊपर है। बांध के फ्लड गेट से 1,05,854 क्यूसेक पानी छोड़ा गया।
इसके साथ ही, रणजीत सागर बांध का जलस्तर 524.96 मीटर था, जो खतरे के निशान से 2 मीटर नीचे था। बांध से 51,116 क्यूसेक पानी छोड़ा गया। घग्गर, टांगरी और मारकंडा नदियों का जलस्तर सामान्य से 8 से 10 फीट अधिक था, लेकिन शनिवार को जलस्तर बढ़ने के बाद भी तीनों नदियों के किसी भी हिस्से में कोई नुकसान नहीं हुआ। पटियाला के देवीगढ़, भूनरहेड़ी, गुहला चीका इलाकों के निचले हिस्सों में लोगों को सुरक्षित स्थानों पर रहने के लिए कहा गया है।
अपने शहर की खबरें Whatsapp पर पढ़ने के लिए Click Here