रिवायती पार्टियों की प्रतिष्ठा का सवाल बना लोकसभा क्षेत्र आनंदपुर साहिब

Edited By Vatika,Updated: 04 Apr, 2019 09:56 AM

punjab lok sabha election 2019

पंजाब की लोकसभा सीटें जीतने के लिए कांग्रेस और  अकाली-भाजपा गठबंधन सहित अन्य पार्टियों द्वारा रणनीति बनाई जा रही है, वहीं पंजाब के कई अहम विधानसभा क्षेत्रों से संबंधित लोकसभा हलका आनंदपुर साहिब की सीट को भी दोनों प्रमुख पार्टियों द्वारा प्रतिष्ठा का...

गुरदासपुर (हरमनप्रीत): पंजाब की लोकसभा सीटें जीतने के लिए कांग्रेस और  अकाली-भाजपा गठबंधन सहित अन्य पार्टियों द्वारा रणनीति बनाई जा रही है, वहीं पंजाब के कई अहम विधानसभा क्षेत्रों से संबंधित लोकसभा हलका आनंदपुर साहिब की सीट को भी दोनों प्रमुख पार्टियों द्वारा प्रतिष्ठा का सवाल बनाया जा रहा है। यह क्षेत्र जहां धार्मिक पक्ष से बड़ी अहमियत रखता है, वहीं राज्य की राजधानी के साथ लगते मोहाली क्षेत्र सहित अन्य कई अहम क्षेत्र भी इसी लोकसभा के अधीन आते हैं। इस बार अब तक सभी पार्टियों ने अपने-अपने उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतार दिए हैं, जबकि कांग्रेस ने अभी तक उम्मीदवार के नाम पर मोहर नहीं लगाई।

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2014 के लोकसभा चुनावों में इस हलके अकाली-भाजपा गठबंधन के प्रत्याशी प्रो. प्रेम सिंह चंदूमाजरा ने 3,47,394 मत लेकर कांग्रेस की अंबिका सोनी को हराया था, जिन्हें 3,23,697 वोट पड़े थे और ‘आप’ के हिम्मत सिंह शेरगिल 3 लाख 6 हजार 8 वोट लेकर तीसरे स्थान पर रहे थे, जबकि सी.पी.एम. के बलबीर सिंह जाडला को 10,483 वोटें मिली थीं। 2009 के लोकसभा चुनाव में इस क्षेत्र में कांग्रेस के रवनीत बिट्टू 4,04,836 वोट लेकर विजयी रहे थे, जबकि अकाली-भाजपा गठबंधन प्रत्याशी डॉ. दलजीत सिंह चीमा को 3,37,632 वोट पड़े थे। बसपा का भी इस क्षेत्र में अच्छा आधार है जिसके उम्मीदवार के.एस. मक्खन को 2014 दौरान 69,124 वोट मिले थे, जबकि 2009 के चुनाव में बसपा प्रत्याशी केवल कृष्ण को 1,18,088 वोट मिले थे। 

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मनीष तिवारी पर दाव खेल सकती है कांग्रेस 
इस क्षेत्र में कांग्रेस की टिकट के लिए कई सीनियर नेता दौड़ में थे जिनमें कैप्टन अमरेंद्र सिंह के सलाहकार कै. संदीप संधू और यूथ कांग्रेस पंजाब  प्रधान अमरप्रीत लाली, राणा गुरजीत सिंह, सतबीर सिंह सहित कई नेता टिकट के इ‘छुक थे, मगर हर हाल में इस सीट को जीतने के लिए कांग्रेस कोई समझौता करने के मूड में नजर नहीं आ रही। सूत्रों मुताबिक कांग्रेस ने पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी के नाम को करीब फाइनल कर दिया है। अभी कांग्रेस इस बात को लेकर उम्मीदवार के नाम को अंतिम रूप देने के लिए देरी कर रही है कि इस बार क्षेत्र में ङ्क्षहदू चेहरा उतारा जाए या सिख चेहरे पर दाव खेला जाए। कांग्रेस इस बात से भली-भांति परिचित है कि बसपा का बड़ा वोट बैंक इस बार भी बसपा से संंबंधित उम्मीदवार के पक्ष में जाने की संभावना है, जबकि पिछली बार जब पूरे पंजाब में ‘आप’ की लहर थी तो अकाली दल और कांग्रेस की काफी वोटें ‘आप’ के हिम्मत सिंह शेरगिल को पड़ गई थीं। मगर इस बार ‘आप’  का पुराना दबदबा नहीं होने के कारण अकाली दल का पुराना वोट बैंक फिर से पार्टी के पक्ष में पडऩे से इंकार नहीं किया जा सकता। इस कारण कांग्रेस द्वारा किसी बड़े चेहरे को चुनाव मैदान में उतार कर हर हाल में इस सीट को जीतने की रणनीति बनाई जा रही है। 

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कौन-सी पार्टी ने किस उम्मीदवार पर खेला दाव
शिअद-                        प्रो. प्रेम सिंह चंदूमाजरा
अकाली दल टकसाली          वीर दविंदर सिंह
पंजाब डैमोक्रेटिक अलायंस     विक्रम सोढी
सी.पी.एम.                       रघुनाथ सिंह
‘आप’                           नरिंद्र सिंह शेरगिल

भाईचारे की वोटों का समीकरण
इस सीट पर हार-जीत का फैसला विभिन्न भाईचारों के बड़े वोट बैंक पर निर्भर करता है। ङ्क्षहदू भाईचारे के वोट बैंक की तरह गढ़शंकर, नवांशहर और बंगा विधानसभा क्षेत्रों में  एन.आर.आई. वोट और बलाचौर, गढ़शंकर, रूपनगर और आनंदपुर साहिब विधानसभा क्षेत्रों में गुज्जर भाईचारे की करीब डेढ़ लाख वोट काफी मायने रखती। भाईचारे से संबंधित नौजवान राजविंदर लक्की जो कांग्रेस छोड़कर अकाली दल में आए हैं ने दावा किया है कि यह भाईचारा हमेशा से जीत-हार का फैसला करता आया है। वहीं सैनी भाईचारे का वोट बैंक भी 2 लाख से अधिक है। 

क्या कहना है अकाली दल का
शिअद वक्ता डॉ. दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि यह हलका अकाली दल के लिए विशेष रहा है। यहां विभिन्न भाईचारे के लोग रहते हैं साथ ही यहां हमारे गुरु साहिबानों के धार्मिक अस्थान भी हैं। अकाली दल हर हालत में इस क्षेत्र को फतेह करेगा, क्योंकि पंजाब के लोग गठबंधन सरकार के विकास कार्यों को अभी भी नहीं भूले।

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