Edited By Punjab Kesari,Updated: 05 Jun, 2017 12:16 PM
राज्य के सरकारी स्कूलों में बतौर कम्प्यूटर अध्यापक अपनी सेवाएं निभा रहे 7,000 अध्यापकों के लिए यह त्रासदी वाली बात है कि जिन मांगों व मुश्किलों को लेकर वे गत अकाली-भाजपा सरकार के समय निरन्तर संघर्ष करते रहे उन्हीं मुश्किलों का सामना उनको नई......
गोराया (मुनीश) : राज्य के सरकारी स्कूलों में बतौर कम्प्यूटर अध्यापक अपनी सेवाएं निभा रहे 7,000 अध्यापकों के लिए यह त्रासदी वाली बात है कि जिन मांगों व मुश्किलों को लेकर वे गत अकाली-भाजपा सरकार के समय निरन्तर संघर्ष करते रहे उन्हीं मुश्किलों का सामना उनको नई कांग्रेस सरकार आने के बाद भी करना पड़ रहा है। यह शब्द कम्प्यूटर मास्टर यूनियन (सी.एम.यू.) पंजाब के प्रांतीय सीनियर उपाध्यक्ष प्रभजोत सिंह बल्ल ने एक प्रैस विज्ञप्ति के माध्यम से कहे। उन्होंने कहा कि चाहे मुख्यमंत्री कै. अमरेन्द्र सिंह व उनकी टीम ने चुनाव के समय पर लोगों को साफ-सुथरा प्रशासन देने का वायदा किया था और वह इस दिशा में काम भी कर रहे हैं परंतु सरकार की नीतियों पर अफसरशाही भारी पड़ती नजर आ रही है जिसके चलते राज्य के 7,000 कम्प्यूटर अध्यापकों को पिछले 3 महीनों से वेतन नसीब नहीं हुआ।
इलाज के लिए भी नहीं हैं पैसे
यूनियन के लीगल एडवाइजर राज सुरिंद्र काहलों ने बताया कि राज्य के विभिन्न जिलों में कुछ ऐसे कम्प्यूटर अध्यापक भी हैं जो या तो खुद बीमार हैं या उनके परिवार का कोई सदस्य बीमार है जिसकी देखभाल की जिम्मेदारी उनके कन्धों पर है। वेतन न मिलने के चलते वे इलाज करवाने में भी असमर्थ हैं। काहलों ने कहा कि वेतन न मिलने के कारण कम्प्यूटर अध्यापकों को ऐसे गंभीर आर्थिक संकट के साथ-साथ भारी मानसिक परेशानी से भी गुजरना पड़ रहा है।
सरकार द्वारा बजट जारी परंतु अधिकारियों ने रोका वेतन
यूनियन के प्रांतीय उपाध्यक्ष राजदीप सिंह मानसा ने कहा कि कई दिन पूर्व ही सरकार द्वारा कम्प्यूटर अध्यापकों के वेतन के लिए बजट जारी कर दिया गया था परंतु अधिकारियों द्वारा वेतन जारी न करने के उद्देश्य के साथ वेतन व डी.डी.ओ. पावरों वाली फाइल पर हर नए दिन नया ऑब्जेक्शन लगाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि 3 महीनों में कागजी कार्रवाई पूरी न कर पाना संबंधित अधिकारियों की ढीली कार्यशैली और पक्षपात का प्रत्यक्ष प्रमाण है, जोकि निंदनीय है।
कम्प्यूटर अध्यापकों को शिक्षा विभाग में शिफ्ट करके चुनावी वायदा पूरा करे सरकार
यूनियन के सीनियर नेता गुरिन्द्र गिल ने कहा कि कम्प्यूटर अध्यापकों की सेवाओं को ‘पिकटस सोसायटी’ अधीन रैगुलर हुए 5 साल हो गए हैं परन्तु वे अब भी अपने जायज अधिकारों के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं। गिल ने बताया कि कम्प्यूटर अध्यापकों का सारा वित्तीय बोझ पंजाब सरकार द्वारा उठाया जाता है। उनकी लम्बे समय से मांग रही है कि सभी कम्प्यूटर अध्यापकों को पिकटस सोसायटी में न रखकर शिक्षा विभाग में शिफ्ट किया जाए। गिल ने बताया कि शिक्षा विभाग में सीधे तौर पर जाने से उनकी सभी मांगों का स्थायी हल हो जाएगा।
उन्होंने पंजाब सरकार से मांग की है कि अन्य अध्यापकों की तरह कम्प्यूटर अध्यापकों को भी शिक्षा विभाग में शिफ्ट किया जाए जिससे कम्प्यूटर अध्यापकों की लम्बे समय से चली आ रही मांगों और मुश्किलों का स्थायी हल हो सके। उन्होंने कहा कि कम्प्यूटर अध्यापकों को शिक्षा विभाग में शिफ्ट करने की मांग पंजाब भर के कम्प्यूटर अध्यापकों द्वारा विधानसभा चुनाव के दौरान विभिन्न मौजूदा कांग्रेसी विधायकों के सामने रखी गई थी जिसको पूरा करने का उन्होंने वायदा भी किया था अब सरकार को यह वायदा बिना देरी किए पूरा करना चाहिए। इस अवसर पर बिक्रम मानसा, मनप्रीत सिंह पटियाला, रोबिन, मनमोहन सिंह, सुखविंद्र सिंह मंडौली, सुखविन्द्र सिंह, कुलवंत सिंह, रणधीर सिंह, दीपक तुली, संजय, जीवन ज्योति भी उपस्थित थे।