Edited By Updated: 16 Dec, 2016 10:49 AM
पंजाब विधानसभा चुनाव-2017 के मद्देनजर चुनाव कमिश्नर द्वारा दिए जा रहे संकेतों के तहत 20 दिसम्बर के करीब किसी भी समय पंजाब में चुनाव आचार संहिता लागू हो सकती है,
रूपनगर (विजय): पंजाब विधानसभा चुनाव-2017 के मद्देनजर चुनाव कमिश्नर द्वारा दिए जा रहे संकेतों के तहत 20 दिसम्बर के करीब किसी भी समय पंजाब में चुनाव आचार संहिता लागू हो सकती है, जिसको लेकर चुनाव आयोग द्वारा जहां विभिन्न अधिकारियों के साथ सरगर्म रूप में बैठकों का सिलसिला लगातार जारी है, वहीं राज्य भर में लॉ एंड आर्डर बहाल रखने के लिए अथक प्रयास जारी है। इस दौरान कोई राजनीतिक गुट किसी भी धार्मिक स्थान पर धार्मिक कार्यक्रम का सहारा लेकर अपना सियासी संदेश जनता को नहीं दे सकते। गत अर्से के दौरान चुनाव आयोग द्वारा इसका उल्लंघन करने वाले गुटों पर सख्ती से निपटा जा रहा है।
कहां होनी हैं सियासी कान्फ्रैंस
1. शहीदी जोड़ मेला गुरुद्वारा श्री भट्ठा साहिब (रूपनगर)
2. शहीदी जोड़ मेला श्री चमकौर साहिब (रूपनगर)
3. शहीदी जोड़ मेला श्री माछीवाड़ा साहिब (लुधियाना)
4. वार्षिक जोड़ मेला श्री आलमगीर साहिब (लुधियाना)
5. शहीदी जोड़ मेला श्री फतेहगढ़ साहिब
6. वार्षिक जोड़ मेला रायकोट-लम्मा जट्टपुरा (लुधियाना)
7. वार्षिक जोड़ मेला तख्तूपुरा (मोगा)
8. वार्षिक माघी मेला (श्री मुक्तसर साहिब)
अकाली दल को पड़ेगी अधिक मार
इस दौरान शेष सियासी दलों के मुकाबले हमेशा पंथक काडर को एकत्रित करने के लिए यत्नशील रहने वाले शिरोमणि अकाली दल को अधिक मार पड़ेगी। चुनाव आयोग द्वारा श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की मौजूदगी में सियासी तकरीरें पेश करने पर सख्त पाबंदी है, जबकि शेष राजनीतिक स्टेजों के मुकाबले सिर्फ अकाली दल की स्टेज पर ही श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी का प्रकाश किया जाता है। अकाली दल की कोशिश खुद को हमेशा पंथक हितैषी साबित करने की होती है, पर इस तरह की स्थिति में अकाली दल के लिए यह सौदा अन्यों के मुकाबले अधिक घाटे वाला रहेगा।
अतीत पर एक नजर
गत लोकसभा चुनावों के तहत इसी तर्ज पर लगी चुनाव आचार संहिता के दौरान राष्ट्रीय पर्व होला मोहल्ला श्री आनंदपुर साहिब में होने वाली कान्फ्रैंसों के अवसर पर सियासी स्टेजों पर चुनाव कमीशन की तलवार लटकी थी, पर इसके बावजूद तत्कालीन सत्ताधारी पक्ष शिरोमणि अकाली दल ने स्टेज लगाई थी लेकिन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल समेत समूची अकाली लीडरशिप को तकरीर पेश करने की आज्ञा नहीं मिली थी।