Edited By Punjab Kesari,Updated: 26 Jul, 2017 03:46 PM
महानगर अमृतसर में देश की आजादी के बाद पूरे भारत में विकास कार्य करवाए गए हैं, मगर पंजाब के अमृतसर शहर में मानव रहित कई फाटकों पर रेलवे ब्रिज बनाने में सरकारें असफल रही हैं। सरकारें बदलती रहीं, मगर शिवाला फाटक, जौड़ा फाटक, वल्ला फाटक, तरनतारन रोड...
अमृतसर (बॉबी): महानगर अमृतसर में देश की आजादी के बाद पूरे भारत में विकास कार्य करवाए गए हैं, मगर पंजाब के अमृतसर शहर में मानव रहित कई फाटकों पर रेलवे ब्रिज बनाने में सरकारें असफल रही हैं। सरकारें बदलती रहीं, मगर शिवाला फाटक, जौड़ा फाटक, वल्ला फाटक, तरनतारन रोड फाटक 70 वर्ष बीत जाने के बाद भी सरकारें रेलवे फाटक के ऊपर ब्रिज बनाने में असफल रही हैं।
इसका खमियाजा आम जनता को प्रतिदिन भुगतना पड़ रहा है, क्योंकि रेलगाड़ी के आने से लगभग आधा घंटा पहले फाटक को बंद कर दिया जाता है। रेल के आने से पहले भारी वाहनों का जाम लग जाने के कारण घंटों लोगों को इंतजार करना पड़ता है। कई बार तो बीमार मरीज जो एम्बुलैंस में होते हैं, जाम के कारण अस्पताल में समय पर न पहुंचने पर उनको जान से हाथ धोना पड़ता है। जनता की प्रतिक्रिया जाननी चाही तो उन्होंने बताया कि नगर सुधार ट्रस्ट द्वारा किचलू चौक में 18 करोड़ रुपए खर्च कर यह फ्लाई ओवर बनाया गया है, जबकि किचलू चौक में बनाए गए फ्लाईओवर का जनता को कोई ज्यादा लाभ नहीं हो रहा, क्योंकि इस सड़क में यातायात में जाम जैसी स्थिति ही नहीं है।
22 नंबर फाटक से विद्यार्थियों को होती है परेशान
श्री गुरु नानक देव यूनिवॢसटी जाने के लिए शहर में पढ़ रहे विद्याॢथयों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि सरकार द्वारा इस्लामाबाद फाटक पर ओवर ब्रिज बनाकर इस समस्या से निजात दिलाने की कोशिश की गई है, मगर जब लोग फाटक नंबर 22 पर पहुंचते हैं तो उन्हें फाटक बंद होने के कारण घंटों इंतजार करना पड़ता है।
रेलवे फाटक बंद होने के दौरान लाइन क्रास करना दंडनीय अपराध
फाटक बंद के दौरान अगर कोई व्यक्ति रेलवे लाइन क्रॉस करता है तो वह एक दंडनीय अपराध करता है, मगर जी.आर.पी. के जवानों की संख्या कम होने के कारण वे हर मानव रहित फाटक पर तैनात नहीं होते। यही कारण है कि लोगों को पुलिस का कोई भय नहीं है। अगर जी.आर.पी. के जवान इस फाटकों पर तैनात कर दिए जाएं तो दुर्घटनाओं में भारी कमी आने की संभावना है।
वल्ला फाटक पर बुरा हाल
गर्मी के मौसम में जब फाटक बंद हो जाता है तो स्कूल, दुकान और दफ्तरों में जाने वाले लोगों को बेहद परेशान का सामना करना पड़ता है। इसके साथ शहर की सब्जी व फलों की मंडी भी फाटक पार करने के बाद साथ ही है, जहां प्रतिदिन 500 से लेकर 600 ट्रकों, ट्रालियों का आना-जाना रहता है और वहां जाम सारा दिन लगा रहता है मगर सरकार का इस ओर ध्यान ही नहीं है।
शिवाला फाटक बंद होने से श्रद्धालु परेशान
शिवाला फाटक क्रॉस करके कुछ ही दूरी पर प्राचीन मंदिर भाइयां शिवाला है। दूर-दूर से आए श्रद्धालुओं को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। आजकल सावन का महीना चल रहा है। सारे शहर के शिव भक्त सुबह-शाम नतमस्तक होने के लिए शिवाला बाग भाइयां जाते हैं। यह रेलवे ट्रैक इतना व्यस्त है कि हर 15 मिनट के बाद गाडिय़ों का आना-जाना लगा रहता है। कभी-कभी तो गाड़ी को आगे से सिग्नल न मिलने पर घंटों यहीं खड़ा रखा जाता है।
तरनतारन फाटक की हालत दयनीय
अमृतसर से तरनतारन, पट्टी, जीरा, फिरोजपुर, मोगा, फरीदकोट व राजस्थान जाने के लिए 200 के करीब बसें व 300 के करीब ट्रक, छोटी गाडिय़ों का सिलसिला लगातार जारी रहता है। इस फाटक से तरनतारन, पट्टी, फिरोजपुर जाने वाली गाडिय़ां व मालगाडिय़ों का आना-जाना लगा रहता है। इस रोड की हालत इतनी दयनीय है कि यहां पर 1 किलोमीटर तक जाम लग जाता है और फिर लोग एक-दूसरे से आगे निकलने की कोशिश में गाडिय़ां सड़क के बीच फंसा बैठते हैं। इसका दूसरा पहलू यह भी है कि सवारियां तो जाने वाली बसों के टाइम की पाबंद होती हैं और अपने टाइम को कवर करने के लिए वे बसों को बेहद तेज रफ्तार से चलाते हैं। इससे दुर्घटना का भय रहता है।