गन्ना उत्पादकों के मुद्दे पर बाजवा ने अपनी सरकार के खिलाफ ही खोला मोर्चा

Edited By Vatika,Updated: 05 Dec, 2018 02:15 PM

partap singh bajwa speak against punjab government

पंजाब के कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू की ओर से मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह के संबंध में की गई टिप्पणी को लेकर पैदा हुई कशमकश का मामला अभी पूरी तरह शांत नहीं हुआ कि अब प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष व मौजूदा राज्यसभा मैंबर प्रताप सिंह...

चंडीगढ़(भुल्लर): पंजाब के कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू की ओर से मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह के संबंध में की गई टिप्पणी को लेकर पैदा हुई कशमकश का मामला अभी पूरी तरह शांत नहीं हुआ कि अब प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष व मौजूदा राज्यसभा मैंबर प्रताप सिंह बाजवा ने गन्ना उत्पादकों के मुद्दे को लेकर अपनी ही सरकार के खिलाफ नया मोर्चा खोल दिया है।
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उन्होंने  यहां इस मुद्दे को लेकर अपने निवास पर की गई प्रैस कांफ्रैंस के दौरान पंजाब के निजी मिलों को तुरंत चालू व किसानों के गन्ने के पिछले वर्ष के बकाया के बयाज सहित अदायगी करने की मांग उठाई है। उन्होंने इस संबंध में स्पष्ट तौर पर राज्य सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर इन मांगों का निपटारा जल्द न हुआ तो वह स्वयं गन्ना उत्पादकों के साथ धरने पर बैठने के लिए मजबूर होंगे। जरूरत पड़ी तो वह गन्ना उत्पादकों को न्याय दिलवाने के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। बाजवा ने कहा कि इस संबंध में वह अपने वकील के साथ सलाह कर रहे हैं। बाजवा को इस मामले के संबंध में मुख्यमंत्री के साथ बातचीत किए जाने के संबंध में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि मीडिया से उपर कौन है और आपके जरिए मेरी बात पहुंच जाएगी।

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सरकार को मामले को गंभीरता से लेने की जरूरत
राज्यसभा मैंबर प्रताप सिंह बाजवा ने तीखे सुर में कहा कि सरकार को मामले को गंभीरता से लेने की जरूरत है जबकि गन्ना उत्पादक सड़कों व रेल मार्गों पर उतरने के अलावा चीनी मिलों के समक्ष धरने दे रहे हैं। सरकार को चाहिए कि बातचीत के जरिए मामले का निपटारा करें। निजी मिल मालिकों की ओर से अभी तक गन्ने की पिराई शुरू करने पर सख्त रोष व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार को बिना किसी दबाव के सख्ती अपनानी चाहिए। उन्होंने कहा कि निजी मिलों वाले केंद्रीय रेट 275 रुपए प्रति क्विंटल देने पर अढ़े हैं जबकि रा’य सरकार द्वारा निर्धारित रेट 310 रुपए है। वह इसकी भरपाई रा’य सरकार से मांग रहे हैं, जिस कारण गन्ना उत्पादक बीच में पीस रहे हैं। मिलों में पिढ़ाई का कार्य नवम्बर महीने में शुरू होता है और अप्रैल तक चलता है परंतु दिसम्बर महीने में भी निजी मिलों वाले कार्य शुरू नहीं कर रहे और सहकारी मिलें भी देर से चली हैं। गन्ने की पिराई का बहुत सा कार्य निजी मिलों पर निर्भर है और अधिक देरी होने पर गन्ना उत्पादकों की फसल बेकार होने का डर है। उन्होंने कहा कि माझा व दोआबा क्षेत्र के किसान तो माझा और दोआबा क्षेत्र में ही अधिक गन्ना पैदा होता है। गन्ना एक ऐसी फसल है, जिसकी साल में एक बार ही पैदावार होती है, अगर यह फसल भी बर्बाद हो गई तो संबंधित क्षेत्र के किसानों की रोजी रोटी की समस्या ही पैदा हो जाएगी।

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