विपक्ष कुछ भी कहे भाजपा नोटबंदी को गलती मानने को तैयार नहीं

Edited By swetha,Updated: 03 Sep, 2018 12:18 PM

opposition can say anything bjp is not ready to accept the ban on bondage

रिजर्व बैंक द्वारा नोटबंदी से जुड़े आंकड़े जारी किए जाते ही इस बात पर एक बार फि र से चर्चा शुरू हो गई है कि नोटबंदी का फैसला कितना सही तथा कितना गलत था। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने जहां नोटबंदी को गलती नहीं बल्कि एक घोटाला बताया है, वहीं भाजपा...

जालंधर(वीरेंद्र): रिजर्व बैंक द्वारा नोटबंदी से जुड़े आंकड़े जारी किए जाते ही इस बात पर एक बार फि र से चर्चा शुरू हो गई है कि नोटबंदी का फैसला कितना सही तथा कितना गलत था। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने जहां नोटबंदी को गलती नहीं बल्कि एक घोटाला बताया है, वहीं भाजपा इसे गलती भी मानने को तैयार नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2017 के स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दिए अपने भाषण में कहा था कि नोटबंदी के चलते 2 लाख करोड़ का काला धन वापस आ जाएगा, लेकिन रिजर्व बैंक के अनुसार 99.3 प्रतिशत पुराने नोट बैंकों में वापस आ गए हैं तो इसका स्पष्ट संकेत यही है कि काला धन बाहर आने की बजाय सफेद हो गया है। जनसाधारण की बात करें तो अधिकांश लोग अब नोटबंदी के वक्त आई परेशानियों को भूल से गए हैं लेकिन जिन्हें निजी रूप से नोटबंदी ने नुक्सान पहुंचाया है वे अभी भी उसका दर्द महसूस कर रहे हैं। 

हालांकि भाजपा के पास इस बात का कोई जवाब नहीं है कि नोटबंदी से देश अथवा देशवासियों को क्या लाभ हुआ, लेकिन भाजपा यह मानने को तैयार नहीं है कि नोटबंदी से कोई नुक्सान हुआ है। नि:संदेह भाजपा के वक्ता तथा प्रवक्ता उन बातों का जिक्र नहीं करते हैं जो नोटबंदी के वक्त प्रधानमंत्री तथा भाजपा के नेताओं ने की थीं, लेकिन विपक्ष यह प्रश्न आक्रामकता के साथ पूछ रहा है कि आपने कहा था कि नोटबंदी से काला धन बाहर आएगा, भ्रष्टाचार समाप्त होगा, कश्मीर में पत्थरबाजी बंद होगी, नकली नोटों का चलन बंद होगा, नक्सलवाद को नकेल  पड़ेगी, पाकिस्तान की बोलती बंद होगी तथा भारत डिजीटल हो जाएगा, तो फि र यह सब कुछ क्यों नहीं हुआ? 


केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेतली ने भी विपक्ष को जवाब देते हुए सरकार द्वारा किए गए दावों का कोई उत्तर नहीं दिया है बल्कि यह कह कर विपक्ष का मुंह बंद करने का प्रयास अवश्य किया है कि नोटबंदी की वजह से इन्कम टैक्स रिटर्न भरने वालों की संख्या बढ़ी है तथा इन्कम टैक्स का रैवेन्यू भी बढ़ा है।  यहां यह भी उल्लेखनीय है कि जितनी इन्कम टैक्स की रैवेन्यू में वृद्धि हुई है आंकड़ों के अनुसार उससे कहीं ज्यादा नई करंसी छापने पर सरकार को धन खर्च करना पड़ा है। एक अनुमान के अनुसार 27 हजार करोड़ रुपए तो केवल नई करंसी के प्रकाशन पर खर्च हुए हैं जबकि इससे भी ज्यादा खर्च नई करंसी को देश भर के बैंकों में भिजवाने पर सरकार को करना पड़ा।

सरकार को जितनी हानि हुई उससे कहीं ज्यादा नुक्सान सरकारी तथा गैर सरकारी बैंकों को भी उठाना पड़ा। नोटबंदी के कारण बैंकों को दोहरी मार पड़ी तथा वह मार अभी भी जारी है। जिन लोगों के घरों में पुरानी करंसी पड़ी थी वह नोट बदलने के चक्कर में उन्होंने बैंकों में बचत खातों में जमा करा दी जिसके चलते अब बैंकों को ब्याज अदा करना पड़ रहा है तो दूसरी ओर नए उद्योग तथा कारोबार शुरू नहीं हो पाए जिस कारण बैंकों की इन्वैस्टमैंट तथा आय रुक गई। जमीन-जायदाद की खरीद-फ रोख्त में भी रिकार्डतोड़ कमी आई जिसके चलते भी बैंकों की इन्वैस्टमैंट घटी तथा उन्हें भारी नुक्सान उठाना पड़ा। 
नोटबंदी के कारण देश में अनेक छोटे-बड़े उद्योग बंद हुए, अनेक बड़े-बड़े शोरूम घाटे में चले गए जिनके कारण असंख्य लोगों को बेरोजगारी का सामना करना पड़ा।

100 से ज्यादा लोगों को अपनी जान भी गंवानी पड़ी तथा लाखों लोगों को लाइनों में लगकर परेशानी का सामना करना पड़ा। कई जगहों पर झगड़े भी हुए तथा तोड़-फोड़ की घटनाएं भी हुईं जिनके कारण राष्ट्रीय सम्पत्ति की भी हानि हुई। लगभग 2 वर्षों तक देश की जी.डी.पी. में भी गिरावट आई तथा एक्सपोर्ट में आई कमी के कारण जहां विदेशी मुद्रा भंडार कम हुआ वहीं रुपए की कीमत भी लगातार गिरती चली गई। रुपए की गिरती कीमत के कारण पैट्रोल तथा डीजल के दामों में भी रिकार्डतोड़ वृद्धि हुई जिसके कारण किराए-भाड़े में वृद्धि होना स्वाभाविक था तथा इसके कारण पिछले 2 वर्षों में महंगाई भी बढ़ती गई। प्रारम्भ में सरकार नोटबंदी को अपनी उपलब्धि मानती थी लेकिन अब सरकार उपलब्धि बेशक नहीं मानती लेकिन इतना सब कुछ हो जाने के बाद भी भाजपा तथा मोदी सरकार नोटबंदी को अपनी गलती मानने को तैयार नहीं है। 

नोटबंदी क्या खोया-क्या पाया
नुक्सान 
*नई करंसी छपवाने से सरकारी खजाने पर पड़ा भारी बोझ

*100 से ज्यादा लोग अपनी जान गंवा बैठे 
*आपसी झगड़ों के कारण लोगों को नुक्सान उठाना पड़ा 
*लाइनों में लगे लोगों की तोड़-फोड़ के कारण सरकारी सम्पत्ति को नुक्सान हुआ 
* जी.डी.पी. में गिरावट 
*असंख्य लोग हुए बेरोजगार 
* कोई नया उद्योग नहीं लगा 
* बैंकों को उठाना पड़ा भारी नुक्सान 
*विदेशों में रहते कई लोग, महिलाएं तथा बुजुर्ग नोट नहीं बदलवा सके 
*महंगाई की मार 
*विदेशी मुद्रा भंडार में कमी 
लाभ 
* इन्कम टैक्स रिटर्न भरने वालों की संख्या बढ़ी 
* इन्कम टैक्स का रैवेन्यू बढ़ा 
*कश्मीर में पत्थरबाजी कुछ दिनों के लिए बंद हुई 
*डिजीटल पेमैंट में थोड़ी वृद्धि हुई

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