नशे के मुद्दे पर पुलिस व सरकार के बीच ठनी,विधायक मर्जी से लगवाते हैं SHO

Edited By Punjab Kesari,Updated: 04 Jul, 2018 08:14 AM

on the issue of intoxication between the police and the government

नशे के मुद्दे पर चौतरफा वार झेल रही पंजाब सरकार आनन-फानन में कई फैसले ले रही है। डेढ़ साल तक नशे के मुद्दे के साथ-साथ एस.एस.पी. राजजीत के मामले में चुप्पी साधने वाले कैप्टन ने अब दबाव बढ़ते ही सरकार के बचाव में कुछ फैसले लेने शुरू किए हैं। अपने ही...

जालंधर (रविंदर): नशे के मुद्दे पर चौतरफा वार झेल रही पंजाब सरकार आनन-फानन में कई फैसले ले रही है। डेढ़ साल तक नशे के मुद्दे के साथ-साथ एस.एस.पी. राजजीत के मामले में चुप्पी साधने वाले कैप्टन ने अब दबाव बढ़ते ही सरकार के बचाव में कुछ फैसले लेने शुरू किए हैं। अपने ही मंत्रियों के भारी विरोध के बाद राजजीत सिंह को एस.एस.पी. मोगा के पद से चाहे हटा दिया गया। मगर जिस तरह से खाकी वर्दी का ही नशे की बिकवाली से लेकर नशे में युवाओं को धकेलने का नाम सामने आ रहा है, वह सरकार के लिए ङ्क्षचता का विषय बना हुआ है। 

खाकी वर्दी के दागदार होते ही अंदरखाते पुलिस अधिकारियों व सरकार के बीच ठन गई है। एक तरफ सरकार के मंत्री जहां नशे के मुद्दे पर सिपाही से लेकर एस.एस.पी. तक को बर्खास्त करने की बात कर रहे हैं तो दूसरी तरफ पुलिस अधिकारी भी सरकार के विधायकों व मंत्रियों पर नशे को बढ़ावा देने का आरोप लगाने लगे हैं। नशे के मुद्दे पर डी.जी.पी. सुरेश अरोड़ा के साथ ही सोमवार को कैबिनेट मीटिंग में कई मंत्रियों की तीखी बहस तक हुई। ज्यादा तलखी देखते हुए मुख्यमंत्री को कैबिनेट मीटिंग जल्द खत्म करनी पड़ गई।

मामला उस समय तूल पकड़ गया था जब कैबिनेट मीटिंग में नशे के मुद्दे पर पंजाब पुलिस के फेल होने का सवाल खड़ा किया गया। डी.जी.पी. ने साफ मन से जवाब देते हुए कहा कि प्रत्येक एस.एच.ओ. व डी.एस.पी. तो विधायक की सिफारिश का लगाया जाता है, वह इसमें क्या कर सकते हैं। मंत्रियों ने कहा कि पुलिस अधिकारी फिर क्यों अपने ही अधिकारियों का बचाव करने लगे हैं। इस तलखी के बाद ही मुख्यमंत्री को तुरंत एस.एस.पी. राजजीत के तबादले के आदेश देने पड़े। हालांकि एस.टी.एफ. ने तकरीबन सवा साल पहले पंजाब पुलिस के इंस्पैक्टर इंद्रजीत सिंह को नशा तस्करों के साथ ङ्क्षलक होने के मामले में पकड़ा था और तभी से एस.एस.पी. राजजीत सिंह पर भी आरोप लग रहे थे। मगर गहरी नींद में सो रही कैप्टन सरकार ने राजजीत सिंह के खिलाफ कार्रवाई करने की बजाय उसे डेढ़ साल तक मोगा का एस.एस.पी. बनाए रखा।

नशे के मुद्दे पर दबाव में आई कैप्टन सरकार ने जिस तरह से डी.एस.पी. दलजीत ढिल्लों को बर्खास्त कर उसके खिलाफ केस दर्ज कर लिया है, उसी तरह आने वाले दिनों में अब राजजीत सिंह के खिलाफ भी सख्त रवैया अपनाया जा सकता है। कैप्टन पर अपने ही मंत्रियों का खासा दबाव पडऩे लगा है। बताया जाता है कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने गृह सचिव एन.एस. कलसी को एस.टी.एफ. की रिपोर्ट के आधार पर धारा-311 के तहत कार्रवाई कर उन्हें बर्खास्त करने का आदेश दिया है। राजजीत सिंह को बर्खास्त करने की सारी रिपोर्ट तैयार कर गृह सचिव मुख्यमंत्री को सौंपेंगे। 

नए एस.एस.पी. कमलजीत सिंह ढिल्लों का भी रहा है विवादों से नाता
सरकार ने दबाव बढ़ते ही मोगा के एस.एस.पी. पद से राजजीत सिंह को हटा दिया। मगर उनके स्थान पर उससे भी ज्यादा विवादित अधिकारी कमलजीत सिंह ढिल्लों को एस.एस.पी. लगा दिया गया। कमलजीत सिंह ढिल्लों भी कई आरोपों से घिरे हुए हैं और वह हाईकोर्ट के आदेश पर विजीलैंस जांच का सामना कर रहे हैं। ढिल्लों को विचाराधीन मामले में निचले स्तर पर क्लीन चिट दे दी गई थी, जिसको शिकायतकत्र्ता एन.आर.आई. भगवंत बंसल ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। हालांकि सुनवाई के दौरान पीड़ित की हत्या हो गई और केस की पैरवी उनके परिजन कर रहे हैं। उक्त मामले में विजीलैंस ब्यूरो ने अपनी रिपोर्ट मंगलवार को हाईकोर्ट में दायर कर दी है। ढिल्लों के खिलाफ भ्रष्टाचार, जमीन हथियाने, लोगों को अवैध हिरासत में रखने व झूठे केस में फंसाने के संगीन आरोप भी लगते रहे हैं। अब ढिल्लों के भाग्य का फैसला हाईकोर्ट के फैसले पर टिका हुआहै। 

डी.एस.पी. बर्खास्त तो एस.एच.ओ. पर रहम क्यों
नशे की दलदल में युवती को धकेलने का आरोप केवल डी.एस.पी. दलजीत ढिल्लों पर नहीं, बल्कि जालंधर में तैनात एस.एच.ओ. बलबीर सिंह पर भी लगा था। विपक्ष का दबाव पड़ते ही डी.एस.पी. को बर्खास्त कर गिरफ्तार कर लिया गया, मगर एस.एच.ओ. बलबीर सिंह पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। हैरानी की बात है कि जालंधर के पुलिस कमिश्रर खुद प्रैस कान्फ्रैंस कर इस एस.एच.ओ. के बचाव में सामने आ गए थे। पुलिस कमिश्रर का कहना था कि उक्त युवती पहले भी कई झूठी शिकायतें दे चुकी है। मगर जांच अधिकारी आई.पी.एस. अनीता पुंज की जांच में युवती के आरोप सच पाए गए। ऐसे में पुलिस कमिश्रर का अपने एस.एच.ओ. का बचाव करना भी सवालों के घेरे में आ गया है। 

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