‘‘ओ गुरू’’ सिद्धू की किस्मत ने तो ‘‘चक्क दिए फट्टे’’

Edited By Vaneet,Updated: 15 May, 2018 09:19 PM

o guru sidhu fate has also given lot of luck

नवजोत सिंह सिद्धू यानी हर हारी बाजी को जीतने वाली शख्सियत। कभी अपनी बातों तो कभी हरकतों की वजह से खुद अपने लिए ...

नई दिल्ली/चंडीगढ़: नवजोत सिंह सिद्धू यानी हर हारी बाजी को जीतने वाली शख्सियत। कभी अपनी बातों तो कभी हरकतों की वजह से खुद अपने लिए मुश्किलें पैदा करने वाले सिद्धू इनसे निपटने के रास्ते भी तलाश लेते हैं और किस्मत इस मामले में उनका भरपूर साथ भी देती है। उच्चतम न्यायालय के उनसे जुड़े रोडरेज के मामले में आज के फैसले से एक बार फिर यह बात साबित होती है। न्यायालय ने उन्हें इस मामले में जेल की सजा से छूट दे दी हालांकि 1000 रूपए का जुर्माना उन्हें अदा करना होगा। 

लोगों की जुबान पर चढ़े सिद्धू
भारतीय क्रिकेट टीम के ये पूर्व सलामी बल्लेबाज मैदान से हटने के बाद कमेंट्री के पिच से लेकर कॉमेडी शो के जज और सियासतदां के तौर पर कई किरदारों को बेहद बखूबी से अंजाम दे रहे हैं। क्रिकेट प्रेमियों में वह अपने लंबे छक्कों की वजह से लोकप्रिय हुए तो वहीं कॉमेडी शो के जज के तौर पर उनके जुमला ‘छा गए गुरू’, ‘ठोको ताली’ और ‘चक दे फट्टे नप दे किल्ली’ आम लोगों की जुबान पर ऐसे चढ़े कि सिद्धू की लोकप्रियता कई गुना बढ़ गई। 

सियासत में भी सिद्धू के सितारे बुलंदी पर 
सियासत की पारी में भी सिद्धू का सितारा बुलंदी पर रहा और फिलहाल शायद ही कोई दिन होता हो जब पंजाब सरकार का यह 54 साल का मंत्री सुॢखयों से दूर रहता हो। अपने पग, पैग और सलवार के लिए मशहूर पंजाब के पटियाला शहर में 20 अक्तूबर 1963 को सिद्धू का जन्म हुआ। क्रिकेट में सिद्धू की शुरुआत बेहद साधारण रही और 1983 में उन्हें ‘‘स्ट्रोक लेस वंडर’’ कहा गया। लेकिन 1987 के विश्व कप में चार अर्धशतकों के साथ उन्होंने अपनी दमदार मौजूदगी दर्ज कराई।  

टीवी पर भी किया कमाल 
सिद्धू क्रिकेट के पिच पर जितने अप्रत्याशित रहते थे उतने ही खुद भी अप्रत्याशित थे। करीब दो दशक तक क्रिकेट के मैदान पर सक्रिय रहने के बाद उन्होंने मैदान के बाहर कमेंट्री में अपना हाथ आजमाया। यहां भी उन्होंने अपने शानदार हास्यबोध और जानदार उपमाओं से क्रिकेट कमेंट्री को बेहद रोचक अंदाज में पेश करने की अलग ही शैली विकसित की। टीवी पर स्टैंड अप कॉमेडी शो के दौरान जज के तौर पर उनकी भूमिका दर्शकों को कई बार प्रतिभागियों से ज्यादा हंसाती थी। उन्होंने कुछ पंजाबी और हिंदी फिल्मों में अतिथि भूमिका भी निभाई लेकिन टीवी पर वह ज्यादा सहज नजर आए। 

सिद्धू की नाराजगी भाजपा पर पड़ी भारी 
इस दौरान अमृतसर लोकसभा सीट से भाजपा के सांसद रहे सिद्धू पर क्षेत्र में कम दिखने के भी आरोप लगते रहे। हालांकि इन आरोपों का उनकी लोकप्रियता पर असर पड़ता नहीं दिखा और उन्होंने 2004 के बाद 2009 में भी इस सीट पर कब्जा जमाया। वर्ष 2014 में भाजपा ने सिद्धू से अरूण जेटली के लिए यह सीट खाली करने को कहा। शुरू में सिद्धू ने दावा किया कि उन्हें इस पर कोई आपत्ति नहीं लेकिन जल्द ही उन्होंने इस फैसले पर अपनी नाखुशी जाहिर कर दी। भाजपा ने उन्हें 2016 में राज्यसभा सदस्य बनाया लेकिन पार्टी उन्हें पूरी तरह मनाने में नाकाम रही। सिद्धू ने 2017 में पंजाब विधानसभा चुनावों से ठीक पहले राज्यसभा सदस्यता से इस्तीफा देकर कांग्रेस का दामन थाम लिया। 

पहले बनाई पार्टी फिर किया कांग्रेस का रूख
सिद्धू के आम आदमी पार्टी के साथ जाने के कयास लग रहे थे और उन्होंने पूर्व हॉकी कप्तान परगट सिंह के साथ मिलकर एक पार्टी भी बनाई थी लेकिन अंत में कांग्रेस के साथ जाने का फैसला किया। अमृतसर पूर्व विधानसभा सीट से विधायक चुने जाने के बाद अमरिंदर सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार में उन्हें पर्यटन और संस्कृति मंत्री बनाया गया। कई तुनकमिजाज सार्वजनिक शख्सियतों की तरह सिद्धू भी विवादों से अछूते नहीं रहे। उनके जीवन का स्याह अध्याय 1988 का रोडरेज मामला है।       
     

गुरनाम की मौत पर चला था मुकदमा 
सिद्धू पर अपने एक दोस्त के साथ मिलकर गुरनाम नाम के एक शख्स की पिटाई करने का आरोप है। गुरनाम ने बीच सड़क पर सिद्धू के गाड़ी खड़ी करने पर आपत्ति जताई थी। अस्पताल में गुरनाम की मौत हो गई थी। इस मामले में उच्चतम न्यायालय ने सिद्धू को जानबूझकर पिटाई करने का दोषी मानते हुए उन पर 1000 रूपए का जुर्माना लगाया हालांकि कैद की सजा नहीं दी।  

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