Edited By Updated: 30 Dec, 2016 10:03 AM
केंद्र की मोदी सरकार द्वारा 8 नवम्बर को देश में लागू नोटबंदी को 50 दिन हो गए हैं। यद्यपि बैंकों व ए.टी.एम्स के बाहर लगी कतारें छोटी हुई हैं, परंतु
जालंधर (धवन): केंद्र की मोदी सरकार द्वारा 8 नवम्बर को देश में लागू नोटबंदी को 50 दिन हो गए हैं। यद्यपि बैंकों व ए.टी.एम्स के बाहर लगी कतारें छोटी हुई हैं, परंतु उसके बावजद्घूद 50 दिनों में देश की जनता को कितनी पीड़ा सहन करनी पड़ी है, इसका अनुमान लगाना कठिन है। वीरवार को नोटबंदी का 51वां दिन था, परंतु अभी भी अनिश्चितता व संशय की स्थिति दूर नहीं हो सकी है। आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि नकदी की कमी को लेकर चल रहा संकट जल्द हल होने के आसार नहीं हैं। प्रधानमंत्री ने नोटबंदी लागू करते समय ऐलान किया था कि जनता को कुछ दिनों के लिए पीड़ा सहन करनी होगी परंतु यह पीड़ा तो लगातार बढ़ती ही जा रही है। आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि नोटबंदी से पहले वाले हालात अभी लौटने मुश्किल हैं। यद्यपि स्थिति कुछ सुधरी है परंतु नकदी का संकट अभी कई महीनों तक चलता ही रहेगा।
बैंकों से नकदी निकलवाने के लिए लगी लिमिट को भी अभी हटाया नहीं गया है। बैंकों से नकदी लेने के लिए अभी भी आम व्यक्तियों के लिए 24000 तथा करंट अकाऊंट धारकों के लिए 50,000 की सीमा लगी हुई है। सरकार ने चाहे 30 दिसम्बर के बाद सामान्य हालात होने की बात कही थी परंतु इसकी संभावना अभी जल्द दिखाई नहीं दे रही है। बैंकरों का कहना है कि अभी भी नई करंसी की किल्लत का सामना बैंकों को करना पड़ रहा है। देश में फैक्टरियों में काम करने वालों की गिनती 560 मिलियन है। इनमें से 10 प्रतिशत ही संगठित क्षेत्र में काम करते हैं जहां उनका वेतन सीधे बैंक खातों में जाता है। देश में नकदी को निकलवाने की सीमा को बढ़ाया नहीं जा रहा है, जिसकी उद्योग व व्यापार जगत द्वारा लगातार मांग की जा रही है। देश में सिस्टम से नोटबंदी के बाद 15 लाख करोड़ रुपए निकाल लिए गए, जबकि सिस्टम में मात्र 6.5 लाख करोड़ की करंसी की सप्लाई की गई। इस तरह से करंसी की मांग तथा आपूर्ति में भारी अंतर चल रहा है। आर्थिक विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि केवल नोटबंदी से ही कालेधन की समस्या हल होने वाली नहीं है। कालेधन पर लगाम लगाने के लिए कई अन्य मौलिक कदम उठाने की जरूरत है।