Edited By Updated: 15 Dec, 2016 10:30 AM
हड्डियां चीर रही ठंडी व घने कोहरे की मार झेल रही जनता को नोटबंदी के आज 35वें दिन भी अधिकतर बैंकों में कैश नहीं मिल पाया।
लुधियाना (खुराना): हड्डियां चीर रही ठंडी व घने कोहरे की मार झेल रही जनता को नोटबंदी के आज 35वें दिन भी अधिकतर बैंकों में कैश नहीं मिल पाया। इस दौरान छोटे-छोटे बच्चों को गोद में उठाए घंटों बैंक की लंबी लाइनों में खड़ी महिलाएं चाहे अंदर ही अंदर गुस्से से आग बबूला होती रहीं लेकिन वे यह सोचकर शायद अपने गुस्से को अंदर ही अंदर पिए जा रही थीं कि मसला रोटी व बच्चों की पढ़ाई-लिखाई पर टिका हुआ है और ऐसे में पैसा उनकी सबसे बड़ी जरूरत है।
ऐसे में अगर वे अपनी भड़ास बैंक कर्मचारियों पर निकालती हैं तो कहीं बैंक का बाबू नाराज होकर उन्हें कहीं खाली हाथ ही वापस न लौटा दे लेकिन इतनी समझदारी व धैर्य का सबूत देने के बावजूद फोकल प्वाइंट इलाके में पड़ते एक प्राइवेट बैंक के बाहर खड़ी अधिकतर महिलाओं के हाथों निराशा ही लगी। आज भी बैंक से नकदी निकलवाने में नाकाम रही महिलाओं के माथे पर कड़ाके की इस सर्दी में यह सोचकर पसीना बहने लगा कि बिना पैसे के कैसे घर के चूल्हे में आग जलेगी और कैसे रोटी के बगैर पेट की आग शांत होगी।
36 दिन बाद आर.बी.आई. की खुली नींद: आज नोटबंदी के 36 दिनों बाद आर.बी.आई. ने सभी बैंकों के अधिकारियों को निर्देश जारी किए हैं कि वे अपने बैंकों में दिनभर की गतिविधियों को सी.सी.टी.वी. की फुटेज में कैद करेंगे, जिसे किसी समय भी जरूरत पडऩे पर आर.बी.आई. से जुड़े अधिकारी चैक कर सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक इसके पीछे आर.बी.आई. की मुख्य मंशा यह भी बताई जा रही है कि वह उक्त फुटेज के माध्यम से यह जान जाएंगे कि कहीं बैंक कर्मचारी खास लोगों को लाभ पहुंचाने के चक्कर में आम जनता से भेदभाव तो नहीं कर रहे हैं। ऐसे में सवाल पैदा होता है कि क्यों नहीं आर.बी.आई. द्वारा नोटबंदी के पहले ही दिन यह अहम कदम उठाया गया, जिससे आम लोगों को राहत मिलने की संभावनाएं बड़े पैमाने में बढ़ सकती थीं। आखिर क्यों नोटबंदी के 35 दिनों बाद ही अधिकारियों की नींद टूटी है।