HIV ब्लड चढ़ाने के मामले में NHRC ने लिया कड़ा संज्ञान, जानें पूरा मामला

Edited By Tania pathak,Updated: 22 Jul, 2021 05:26 PM

nhrc takes strict cognizance of hiv blood transfusion

सिविल अस्पताल बठिंडा के ब्लड बैक में थैलसिमिया पीड़ित एक सात साल की बच्ची व महिला को लापरवाही से एच.आई.वी. ब्लड चढ़ाने के मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग नई दिल्ली...

बठिंडा (विजय वर्मा): सिविल अस्पताल बठिंडा के ब्लड बैक में थैलसिमिया पीड़ित एक सात साल की बच्ची व महिला को लापरवाही से एच.आई.वी. ब्लड चढ़ाने के मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग नई दिल्ली ने संज्ञान लेते प्रभावित लोगों को मुआवजा नहीं देने पर प्रताड़ना की है। वहीं आयोग ने पंजाब के चीफ सेक्रेटरी को नोटिस जारी कर 27 अगस्त 2021 तक प्रभावित लोगों को चार-चार लाख रुपए की मुआवजा राशि जारी कर रिकार्ड की कापी आयोग को भेजने की हिदायत दी है।

वहीं चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने इस गंभीर मामले में तय समय तक बच्ची व महिला को मुआवजा राशि नहीं दी तो आयोग मामले में सख्त कारर्वाई करने के लिए मजबूर होगा। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के कानूनी मामलों के सहायक रजिस्ट्रार दविंद्रा कुंद्रा ने जारी नोटिस में कहा कि आयोग को जालंधर के रहने वाले कुलवंत सिंह नागरा की तरफ से एक शिकायत प्राप्त हुई थी। इसमें उन्होंने बठिंडा सिविल अस्पताल के ब्लड बैंक में एक महिला व थैलेसिमिया पीड़ित सात साल के बच्चों को एच.आई.वी. संक्रमित रक्त चढ़ाने की जानकारी दी थी। इसमें शिकायतकर्ता ने कहा था कि ब्लड बैंक के कर्मचारियों की लापरवाही के चलते दोनों को संक्रमित रक्त चढ़ाया गया जिसमें आरोपी अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने के साथ सख्त कानूनी कारर्वाई करने की मांग की है। 

शिकायत में कहा गया है कि सेहत विभाग की जिममेदारी है कि वह लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा प्रदान करे वही उनकी बीमारियों का समुचित उपचार समय पर हो सके लेकिन संक्रमित रक्त चढ़ाने के मामले में सीधे तौर पर एक थैलेसीमिया पीड़ित सात साल के बच्चे व महिला को एचआईवी का मरीज बनाने की लापरवाही की गई है। यह लापरवाही किसी भी सूरत में माफी के लायक नहीं है बल्कि इसमें मरीजों को जहां चार लाख रुपए का मुआवजा दिया जाना चाहिए वहीं लापरवाह लोगों पर कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए। 

आयोग ने इस मामले में राज्य सरकार व उसके विभाग की तरफ से जांच व कार्रवाई को लेकर की गई देरी व लापरवाही पर भी सख्त टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि सरकार मात्र कानूनी व विभागीय कार्रवाई कर मामले में खानापूर्ति नहीं कर सकती है बल्कि सेहत कर्मियों की लापरवाही के कारण जो मानसिक व शारीरिक वेदना परिजनों व प्रभावित व्यक्ति को झेलनी पड़ रही है उसे कम नहीं किया जा सकता है लेकिन इसमें सरकार का फर्ज बनता था कि प्रभावित लोगों को बिना किसी देरी के बनता मुआवजा दिया जाता लेकिन इसमें एक साल से अधिक समय तक की देरी करना लापरवाही को दर्शाता है। उन्होंने पंजाब सरकार ने इस मामले में प्रभावित व्यक्तियों को 27 अगस्त 2021 से पहले मुआवजे की राशि जारी कर इस बाबत जारी राशि का सबूत व रिकार्ड आयोग के पास जमा करवाने की हिदायत दी है।

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