लोकल बॉडीज विभाग बदलने का मामलाःसिद्धू पर भारी पड़ी सिंगल टैंडर संबंधी शर्त

Edited By swetha,Updated: 14 Jun, 2019 09:05 AM

navjot singh sidhu

कैप्टन अमरेंद्र सिंह द्वारा लोकसभा चुनाव के दौरान शहरी सीटों पर मिली हार के लिए जिम्मेदार ठहराने के जवाब में नवजोत सिद्धू का लोकल बॉडीज मंत्री के तौर पर अपना रिपोर्ट कार्ड पेश करने के बावजूद उनका विभाग बदलने और फिर हाईकमान के पास कोई सुनवाई न होने...

लुधियाना(हितेश): कैप्टन अमरेंद्र सिंह द्वारा लोकसभा चुनाव के दौरान शहरी सीटों पर मिली हार के लिए जिम्मेदार ठहराने के जवाब में नवजोत सिद्धू का लोकल बॉडीज मंत्री के तौर पर अपना रिपोर्ट कार्ड पेश करने के बावजूद उनका विभाग बदलने और फिर हाईकमान के पास कोई सुनवाई न होने को लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। वहीं अब यह बात सामने आई है कि सिद्धू पर सिंगल टैंडर को लेकर लगाई गई शर्त भारी पड़ गई है, जिसको लेकर कैप्टन कैम्प द्वारा हाईकमान के सामने विकास कार्यों में देरी का मुद्दा बनाया गया है।

यहां बताना उचित होगा कि कोई भी विकास कार्य करवाने या खरीद करने के लिए लगाए गए मैनुअल टैंडरों में कम से कम 3 ठेकेदारों द्वारा हिस्सा लेना लाजिमी है, हालांकि ठेकेदारों के बीच पूल होने की संभावनाओं को खत्म करने के नाम पर लागू किए गए ई टैंडरिंग सिस्टम के तहत सिंगल टैंडर को भी स्वीकार करने की छूट दे दी गई थी। लोकल बॉडीज मंत्री बनने के बाद सिद्धू ने सिंगल टैंडर स्वीकार करने पर एतराज उठाया और इसके लिए नगर निगम के कई अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की गई। यहां तक कि सिंगल टैंडर के तहत अलॉट किए गए विकास कार्यों को पूरा करने व पहले हो चुके काम के लिए पेमैंट रिलीज करने पर भी रोक लगा दी। इसे लेकर बाकायदा गाइडलाइंस भी जारी कर दी गईं कि लगातार तीसरी बार सिंगल टैंडर आने पर ही उसे स्वीकार किया जा सकता है। 

बशर्ते उसके रेट पहले से चल रहे उस कैटेगरी के विकास कार्यों से ज्यादा न हों। इस चक्कर में ज्यादातर विकास कार्य तो टैंडर प्रक्रिया में ही उलझकर रह गए और अब तक ग्राऊंड पर शुरू नहीं हो पाए हैं। इस बारे में विधायकों द्वारा कई बार सिद्धू को सिंगल टैंडर संबंधी शर्तों में छूट देने की सिफारिश की गई लेकिन उन्होंने किसी की एक नहीं सुनी और न ही कैप्टन के सामने यह मुद्दा उठाने का कोई फायदा हुआ जिससे लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को नुक्सान होने की बात कही जा रही है, जिसके संकेत कैप्टन द्वारा सिद्धू का विभाग वापस लेने बारे जारी बयान में दिए जा चुके हैं और यही रिपोर्ट सिद्धू के खिलाफ  हाईकमान को भेजे जाने की भी सूचना है।

हलका वाइज विकास कार्यों के लिए फंड जारी करने का नहीं हुआ कोई फायदा
लोकसभा चुनाव से पहले कैप्टन द्वारा सभी शहरी विधानसभा सीटों पर विधायकों व हलका इंचार्ज की सहमति से विकास कार्य करवाने के लिए 5.5 करोड़ रुपए का फंड रिलीज किया गया था लेकिन अधिकारियों ने उन कामों के लिए एस्टीमेट बनाकर टैंडर लगाने में ही काफी समय लगा दिया, उतनी देर में कोड ऑफ  कंडक्ट लागू हो गया, अब लोकसभा चुनाव खत्म होने के बाद उन टैंडरों को खोला गया है तो ज्यादातर विकास कार्यों के लिए सिंगल या डबल टैंडर ही आए हैं, जिनके लिए अब नए सिरे से टैंडर लगाने में काफी समय खराब होगा।

सीमैंट के रेट बढ़ने की वजह से होगा नुक्सान
हलका विकास कार्यों के लिए सरकार से मिले फंड या जनरल कोटे से विकास कार्य करवाने के लिए लगाए गए टैंडरों में ज्यादातर काम सीमैंट की सड़कों व पार्कों के निर्माण से संबंधित हैं, जिनके सिरे न चढऩे के दौरान सीमैंट के रेट बढ़ गए हैं, जिसकी वजह से एस्टीमेट रिवाइज करने होंगे और सीमैंट के रेट ज्यादा लगाने से सरकार का नुक्सान होगा।

स्मार्ट सिटी के प्रोजैक्टों पर भी पड़ा है असर
सिंगल टैंडर स्वीकार न करने बारे सिद्धू द्वारा लगाई गई शर्त का असर स्मार्ट सिटी के प्रोजैक्टों पर भी पड़ा है, क्योंकि ज्यादातर प्रोजैक्टों पर बार-बार टैंडर लगाने की वजह से अब तक काम ही शुरू नहीं हो पाया है और कई प्रोजैक्ट डैडलाइन से काफी लेट शुरू हुए हैं।

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