Edited By Punjab Kesari,Updated: 23 Nov, 2017 03:24 PM
दिल्ली में दयाल सिंह ईवङ्क्षनग कालेज का नाम वंदे मातरम् महाविद्यालय रखने का विरोध करते हुए दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डी.एस.जी.एम.सी.) ने कहा कि अगर किसी कालेज का नाम बदलना है
जालंधर (स.ह.): दिल्ली में दयाल सिंह ईवङ्क्षनग कालेज का नाम वंदे मातरम् महाविद्यालय रखने का विरोध करते हुए दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डी.एस.जी.एम.सी.) ने कहा कि अगर किसी कालेज का नाम बदलना है तो श्यामा प्रसाद मुखर्जी और मोती लाल नेहरू कालेजों का बदला जाए। डी.एस.जी.एम.सी. ने यह भी कहा कि वंदे मातरम् के बहाने सिखों की देशभक्ति पर प्रश्र न उठाया जाए। डी.एस.जी. एम. सी. के प्रधान मंजीत सिंह जी.के. ने कहा, ‘‘अगर नाम बदलने की कोई राजनीति की जाती है और राष्ट्र के प्रति सिखों की देशभक्ति पर प्रश्र उठता है तब मोती लाल नेहरू कालेज और श्यामा प्रसाद मुखर्जी कालेज का नाम बाबा बंदा सिंह बहादुर कालेज और शहीद ऊधम सिंह कालेज रखा जाए। मंजीत सिंह शिरोमणि अकाली दल की दिल्ली इकाई के प्रधान हैं जो भाजपा का गठबंधन सहयोगी है। उन्होंने कहा कि कालेज संचालन परिषद द्वारा यह घटिया कोशिश दयाल सिंह मजीठिया की विरासत को कम आंकने के बराबर है जिन्होंने अपनी सारी सम्पत्ति संस्थान बनाने के लिए दी थी।
उन्होंने कहा कि वंदे मातरम् के नाम पर सिखों की देशभक्ति पर कोई प्रश्र नहीं उठाया जाना चाहिए। देश के स्वतंत्रता आंदोलन में जिन्होंने कम योगदान दिया है उन्हें घमंडी नहीं बनना चाहिए और सिखों की देशभक्ति का प्रमाण पत्र जारी करने की जरूरत नहीं है। इसी दौरान एस.जी.पी.सी. और डी.एस.जी.एम.सी. द्वारा नाम बदलाव के प्रस्ताव का विरोध किए जाने के बाद आर.एस.एस. से संबंधित राष्ट्रीय सिख संगत ने भी इस कदम का विरोध किया है।’’ सिख संगत का एक प्रतिनिधिमंडल अपने उपप्रधान दविन्द्र सिंह गुजराल के नेतृत्व में गत दिवस दिल्ली विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर से मिला। उन्होंने कहा कि दयाल सिंह मजीठिया का नाम कालेज से हटाना यह दर्शाता है कि यह बुजुर्गों का अपमान करना है। इसे कभी भी स्वीकार नहीं किया जा सकता।