भाजपा विधायक दल नेता की दौड़ में कालिया, सूद, अश्विनी के नाम

Edited By Updated: 10 Mar, 2017 12:56 AM

name of kaliya  sood  ashwini  in the race for bjp legislative party leader

एग्जिट पोल के नतीजे पंजाब में अकाली-भाजपा गठबंधन की हालत बहुत पतली....

चंडीगढ़(भारद्वाज): एग्जिट पोल के नतीजे पंजाब में अकाली-भाजपा गठबंधन की हालत बहुत पतली बता रहे हैं लेकिन गठबंधन नेता अब भी अपने प्रदर्शन में पहले से सुधार की बात कर रहे हैं। ऐसे में भाजपा विधायक दल नेता के नाम को लेकर भी पार्टी में चर्चाएं शुरू हो गई हैं। 

अगर भाजपा नेताओं के दावों के अनुसार इसकी सीटों की संख्या पिछले 12 के आंकड़े को पार करती है तो पार्टी के पंजाब विधायक दल के नेता को लेकर कशमकश होगी। फिलहाल इस पद पर 3 नेताओं का दावा मजबूत माना जा रहा है। इनमें मनोरंजन कालिया, तीक्षण सूद और अश्विनी शर्मा शामिल हैं। कालिया जालंधर सैंट्रल, सूद होशियारपुर और अश्वनी शर्मा पठानकोट से चुनाव लड़े हैं। 11 मार्च को विधानसभा चुनाव के नतीजों के साथ ही इन नेताओं के राजनीतिक भविष्य की जमीन तैयार हो जाएगी। पार्टी सूत्र इन नेताओं के नाम विधायक दल नेता की दौड़ में होने के विभिन्न कारण बताते हैं। 

मनोरंजन कालिया 2007 में बनी अकाली-भाजपा सरकार के वक्त विधायक दल के नेता थे। 2012 के चुनाव से कुछ महीने पहले प्रदेश के भाजपाई मंत्रियों में बदलाव हुआ और कालिया की जगह तीक्षण सूद को विधायक दल का नेता बना दिया गया। उसके बाद 2012 के चुनाव में सूद हार गए जबकि कालिया को जीत हासिल हुई। हालांकि उस वक्त कालिया का दावा मजबूत था लेकिन विधायक दल के नेता भगत चूनी लाल बने। कालिया को कैबिनेट में भी जगह हासिल नहीं हुई लेकिन बतौर विधायक वह विधानसभा में पार्टी की ओर से बहस में लगातार हिस्सा लेते रहे और भाजपा के पक्ष को मजबूती से पेश करते रहे। इस बार उनकी टिकट तक कटने की चर्चा थी लेकिन पार्टी ने उन्हें फिर से जालंधर सैंट्रल से प्रत्याशी बनाया। 

पार्टी सूत्रों का कहना है कि कालिया के अनुभव और पार्टी के प्रति उनकी वफादारी के चलते जीतने की स्थिति में उन्हें विधायक दल का नेता बनाया जा सकता है। बात तीक्षण सूद की करें तो 2012 में हार के बावजूद वह मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के राजनीतिक सलाहकार बने और प्रभावशाली स्थिति में रहे। उनके अनुभव तथा पार्टी में मजबूत स्थिति के चलते विधायक दल नेता के पद पर उनकी दावेदारी सशक्त बताई जा रही है। अश्विनी शर्मा पिछले चुनाव के वक्त पंजाब भाजपा अध्यक्ष थे और पार्टी 12 सीटें जीत गई थी। वह खुद भी पठानकोट से विधायक बने थे। विधानसभा में अलग-अलग मौकों पर उन्होंने अच्छी डिबेट भी की। ऐसे में सूत्रों का मानना है कि अगर इस बार भी उन्हें जीत मिलती है तो विधायक दल नेता का पद उन्हें भी हासिल हो सकता है।

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