Alert: आप भी लेते हैं कम नींद तो याददाश्त  हो सकती है  कमजोर, हल्के में ना लें बातें...

Edited By Vatika,Updated: 01 Mar, 2024 02:33 PM

memory loss due to less sleep

नींद की कमी या अपर्याप्त नींद हिप्पोकैम्पस कोशिकाओं के डिजनरेशन से जुड़ी है, जो स्मृति और सीखने के लिए महत्वपूर्ण हैं।

लुधियाना (सहगल): नींद की कमी या अपर्याप्त नींद हिप्पोकैम्पस कोशिकाओं के डिजनरेशन से जुड़ी है, जो स्मृति और सीखने के लिए महत्वपूर्ण हैं। नींद हमारे शारीरिक और मानसिक दोनों स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए जरूरी है। जिसकी कमी से कम उम्र में ही याददाश्त कमजोर होने का खतरा बढ़ जाता है। फॉर्टिस  अस्पताल के न्यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख कंसलटेंट डॉक्टर आलोक जैन का कहना है कि आज की तेज़ दुनिया में, हममें से अधिकांश लोग उचित नींद के स्थान पर काम और मेलजोल को प्राथमिकता देते हैं, जिससे नींद से संबंधित विभिन्न बीमारियाँ हो जाती हैं। 

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विशेष रूप से युवा पीढ़ी के बीच बहुत ज्यादा टीवी या मोबाइल देखना या देर तक काम करना जैसी जीवनशैली के विकल्प के कारण बड़ी बाधा उत्पन्न हुई है। नींद के पैटर्न, इसके अतिरिक्त, रात की नौकरी और कुछ चिकित्सीय स्थितियाँ, जैसे अनिद्रा और स्लीप एप्निया, शरीर की प्राकृतिक सर्कैडियन लय को और बाधित कर सकती हैं, जिससे नींद न आने की बीमारी बढ़ सकती है। डॉ आलोक जैन ने आगे बताया कि  किसी भी व्यक्ति के लिए नींद आवश्यक है, जिसके लिए प्रति रात चार से छह पूर्ण चक्रों की आवश्यकता होती है। दस घंटे के बाद भी, थकावट के कारण नींद की गुणवत्ता ख़राब हो सकती है।  नींद के अनुकूल माहौल और नियमित नींद चक्र बनाए रखना आवश्यक है। कैफीन और सोने से पहले उत्तेजक चीजें से परहेज करने जैसी स्वस्थ आदतें आपकी नींद की गुणवत्ता में सुधार कर सकती हैं। नियमित नींद और जागने की दिनचर्या का पालन करने से अत्यधिक ब्लड शुगर, मोटापा और उच्च रक्तचाप जैसी चयापचय संबंधी समस्याओं के जोखिम को कम करने में मदद मिल सकती है।

मस्तिष्क के स्वास्थ्य पर नींद की कमी का प्रभाव:

  1.  बौद्धिक क्षमता मे कमी: नींद पूरी न होने के कारण एकाग्रता  का कम होना, प्रतिक्रिया की धीमी दर और निर्णय लेने में परेशानी हो सकती है।
  2.   मूड में बदलाव: नींद की कमी के कारण भावनात्मक प्रतिक्रियाएं बढ़ सकती हैं, मूड में बदलाव हो सकता है और चिड़चिड़ापन बढ़ सकता है।

  3. शरीर पर होने वाले प्रभाव: इनमें प्रतिरक्षा प्रणाली का ख़राब होना, थकान और आंखों पर दबाव शामिल हो सकते हैं।\याददाश्त की समस्या: नींद की कमी हमारी याददाश्त को प्रभावित कर सकती है, जिसके परिणामस्वरूप भूलने की बीमारी हो सकती है।
  4.  कमजोर इम्यूनिटी: पर्याप्त नींद न लेने से हमारे शरीर के लिए वायरस से लड़ना कठिन हो जाता है, जिससे फ्लू और आम सर्दी जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

  5.  मधुमेह का खतरा: नींद की कमी आपके शरीर की इंसुलिन जारी करने की क्षमता को प्रभावित करती है, एक हार्मोन जो रक्त शर्करा को कम करता है, जिससे टाइप 2 मधुमेह विकसित होने और रक्त शर्करा के उच्च स्तर होने की संभावना बढ़ जाती है।

    वजन बढ़ना: नींद की कमी से भूख को नियंत्रित करने वाले अणु बाधित हो जाते हैं, जिससे पर्याप्त मात्रा में भोजन करने के बाद भी अधिक खाने की संभावना बढ़ जाती है।

    हृदय रोग का खतरा: नींद की कमी से रक्तचाप और सूजन से जुड़े रसायनों का स्तर बढ़ सकता है,  दोनों हृदय रोग के कारक हैं।

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