Edited By Bhupinder Ratta,Updated: 02 May, 2018 05:08 PM
पोलियो की तरह खसरे को पूरी तरह खत्म करने के उद्देश्य से सरकार द्वारा शुरु किया गया मीजल्स-रूबेला टीकाकरण अभियान जहां स्वास्थ्य विभाग के लिए चुनौती बना हुआ है
जालंधर (रत्ता): पोलियो की तरह खसरे को पूरी तरह खत्म करने के उद्देश्य से सरकार द्वारा शुरु किया गया मीजल्स-रूबेला टीकाकरण अभियान जहां स्वास्थ्य विभाग के लिए चुनौती बना हुआ है, वहीं स्कूल प्रबंधकों एवं संचालकों के लिए दुविधा की स्थिति पैदा कर रहा है।
उल्लेखनीय है कि मंगलवार को पंजाब भर में शुरु किए गए इस अभियान के पहले ही दिन कई जिलों में स्वास्थ्य विभाग की टीमों को इसलिए काफी परेशानी का सामना करना पड़ा क्योंकि टीकाकरण के दौरान जहां कुछ विद्यार्थी बेहोश हो गए । यही बस नहीं कुछ जिलों में तो प्राइवेट एवं सरकारी स्कूलों के प्रबंधकों एवं संचालकों के लिए उस वक्त ऐसी दुविधापूर्ण स्थिति बन गई जब स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के माता-पिता ने साफ कह दिया कि उनके बच्चों को मीजल-रूबेला का टीका न लगाया जाए। अब सोचने की बात यह है कि स्वास्थ्य विभाग इस चुनौती का सामना कैसे करेगा और मां-बाप को कैसे समझाएगा।
टीका न लगवाने वाले बच्चों की लिस्टें तैयार की जाएगी : सिविल सर्जन
उधर इस संबंध में जब जिला जालंधर की सिविल सर्जन डा. जसप्रीत कौर सेखों से बात की गई तो उन्होंने स्वीकार किया कि जब कोई ऐसा अभियान शुरू होता है तो ऐसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। डा. सेखों ने कहा कि विभाग की टीमें किसी भी बच्चे को जबरदस्ती टीका नहीं लगाएगी और जो बच्चे टीका नहीं लगवाएंगे, उनकी लिस्टें तैयार की जाएगी ताकि बाद में उनके मां-बाप को समझाया जा सके। उन्होंने कहा कि अब तक यही टीका लोग महंगे दामों पर लगवाते थे। जबकि अब सरकार ने इसे मुफ्त लगाना शुरू किया है।