Edited By Vaneet,Updated: 12 Apr, 2019 01:17 PM
जिंदगी को बदलने के लिए मात्र एक घटना ही काफी रहती है और जब बात देश हित से जुड़ी हो तो इंसान किसी भी ह,,
अमृतसर(संजीव): जिंदगी को बदलने के लिए मात्र एक घटना ही काफी रहती है और जब बात देश हित से जुड़ी हो तो इंसान किसी भी हद से गुजर जाता है। 13 अप्रैल 1919 के दिन जलियांवाला बाग में हुए जघन्य हत्याकांड के बाद अपनी कई हदों को पार कर गए थे लखनऊ के मौलाना अब्दुल बारी फिरंगी महिली जिन्होंने इस घटना के बाद देश हित में ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ अपना परचम बुलंद किया और अंग्रेजों के विरुद्ध फतवा जारी कर दिया।
मौलाना बारी ने कहा कि अब वह समय आ गया है कि अंग्रेजों के विरुद्ध नॉन को आप्रेटिव मूवमैंट में एक प्लेटफार्म पर इकट्ठा होना होगा। इसका जिक्र महात्मा गांधी ने अपने एक पत्र के जरिए अपनी किताब गांधी स्पीक ऑन नॉन कोआप्रेटिव यू.पी. में किया। फतवे में मौलाना बारी ने कहा कि हम राय हो जाएं। यह जानकारी शताब्दी समारोह में केन्द्र सरकार के निमंत्रण पर शामिल होने अमृतसर पहुंचे मौलाना बारी की चौथी पीढ़ी के नाती अदनान अब्दुल वाली फिरंगी महिली ने पंजाब केसरी के साथ विशेष बातचीत दौरान दी। मौलाना बारी ने हिन्दुओं की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए गौकशी पर रोक लगा दी जिसकी पालना उनका परिवार आज भी कर रहा है। गांधी जी ने मौलाना बारी को हिन्दू और मुसलमानों को एक संयुक्त नेता घोषित किया था।