Edited By Urmila,Updated: 13 Mar, 2024 05:41 PM
भारत में लोकसभा चुनाव के मद्देनजर उत्तर भारत समेत देशभर में चल रहे किसानों के संघर्ष से सत्तारूढ़ भाजपा को देश में बड़े पैमाने पर नुकसान हो रहा है।
पंजाब डेस्क: भारत में लोकसभा चुनाव के मद्देनजर उत्तर भारत समेत देशभर में चल रहे किसानों के संघर्ष से सत्तारूढ़ भाजपा को देश में बड़े पैमाने पर नुकसान हो रहा है जिसका असर पंजाब के साथ लगते सरहदी हरियाणा में लगी आग ने भाजपा के सीनियर नेता व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की भाजपा द्वारा सियासी बलि देकर नवनियुक्त किसान नेता को मुख्यमंत्री बनाकर पंजाब, यू.पी. हरियाणा के किसानों को शांत करने की बड़ी कोशिश की जा रही है।
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अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की बढ़ती ताकत और देश के अलग-अलग राज्यों में अंदर उठ रही बगावत की आवाज ने दिल्ली तख्त पर दोबारा काबिज होने वाली भाजपा को कानून के छिक्के टांग काम करने पर मजबूर करना पड़ा है जिसका असर बीजेपी पर धार्मिक और राजनीतिक तौर पर पड़ रहा है। दुनिया भर में बैठे भारतीयों ने राम जन्मभूमि पर बने राम मंदिर की प्रशंसा की है, वहीं अलग-अलग राज्यों में चल रहे काटो क्लेश के कारण भारतीयों को विदेशों में आपसी भाईचारा बनाए रखने में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
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पंजाब-हरियाणा बॉर्डर बंद होने से दुनियाभर में रहने वाले NRI लोगों को करोड़ों रुपए खर्च, शादियां कैंसिल, अंतिम संस्कार में न पहुंच पाने का गम, अमीर लोगों को हुई बड़ी परेशानी, चंडीगढ़, जम्मू-कश्मीर जाने वाले विदेशियों को बड़े स्तर पर रुकावट के साथ भारी आर्थिक हानि व हरियाणा सरकार द्वारा पंजाब के किसानों को आंदोलन दौरान शांतमयी दिल्ली जाने व हरियाणा पंजाब बार्डर पर की नाकाबंदी व 2 देशों की जंग जैसे हालातों ने हरियाणा सरकार का पंजाब प्रति राष्ट्रवादी चेहरा भी बेनकाब करके रख दिया।
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पिछले साल पंजाब से किसान आंदोलन में विदेशी पंजाबियों द्वारा भेजे गए करोड़ों पाउंड और डॉलर ने केंद्र की भाजपा सरकार को किसान विरोधी काले कानून वापस लेने के लिए मजबूर कर दिया था और फिर से शुरू हुए किसान आंदोलन के दौरान हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को पंजाब का रास्ता रोकना महंगा पड़ा। जिसके लिए उन्होंने विधानसभा में अपनी सीट से इस्तीफा भी दे दिया, जिससे आगामी लोकसभा चुनावों में भाजपा के लिए नई मुसीबत खड़ी कर दी। हालांकि केंद्र ने खट्टर सरकार को किनारे कर एक तीर से कई निशाने साधने की कोशिश की है, लेकिन जमीनी स्तर पर आम कार्यकर्ताओं का गुस्सा बीजेपी के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है।
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