लोकसभा चुनाव 2019ः बदल चुकी है कांग्रेस का गढ़ रहे होशियारपुर की सियासी तस्वीर

Edited By Vatika,Updated: 09 Apr, 2019 12:28 PM

lok sabha election 2019

पंजाब के दोआबा क्षेत्र से संबंधित अहम लोकसभा हलका यहां आजादी के बाद हुए लोकसभा चुनावों के दौरान अधिकांश समय कांग्रेस का गढ़ रहा, वहीं अगर पिछले करीब 6 चुनावों का विश्लेषण किया जाए तो इस क्षेत्र की नई हलकाबंदी ने न सिर्फ इस क्षेत्र में शामिल किए गए...

गुरदासपुर(हरमनप्रीत): पंजाब के दोआबा क्षेत्र से संबंधित अहम लोकसभा हलका यहां आजादी के बाद हुए लोकसभा चुनावों के दौरान अधिकांश समय कांग्रेस का गढ़ रहा, वहीं अगर पिछले करीब 6 चुनावों का विश्लेषण किया जाए तो इस क्षेत्र की नई हलकाबंदी ने न सिर्फ इस क्षेत्र में शामिल किए गए विधानसभा क्षेत्रों और गांवों के समीकरण बदल दिए, बल्कि क्षेत्र की तोड़-फोड़ और अन्य कई कारणों से प्रत्येक बार इस क्षेत्र के लोग लोक सभा के लिए नए सदस्य चुनते आ रहे हैं। इस के तहत एक बार इस क्षेत्र के लोग भाजपा के उम्मीदवार को देश की संसद में भेजते हैं, जबकि अगली बार लोगों का झुकाव कांग्रेस की ओर हो जाता है। इस मौके पर इस हलके से अकाली-भाजपा गठबंधन की ओर से भाजपा के उम्मीदवार को चुनाव लड़ाया जाता है, जबकि कांग्रेस प्रत्येक बार अपने बलबूते पर इस गठबंधन के उम्मीदवार को टक्कर देती है।

जैल सिंह और कांशी राम जैसे नेता कर चुके हैं प्रतिनिधित्व
बहुजन समाज पार्टी का भी हमेशा बड़ा वोट बैंक रहा है। इसी कारण बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक कांशी राम भी 1966 में इस क्षेत्र से चुनाव जीत चुके हैं। देश के राष्ट्रपति रह चुके ज्ञानी जैल सिंह भी इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके है, जो कि 1989 में यहां से चुनाव जीते थे। इसी तरह 1980 से 1983 तक पंजाब के मुख्यमंत्री रह चुके दरबारा सिंह भी इस हलके में 1971 के दौरान सांसद चुने गए थे। 

3 जिलों का संयुक्त लोकसभा क्षेत्र है होशियारपुर
इस लोकसभा क्षेत्र गुरदासपुर में गुरदासपुर जिले का विधानसभा हलका श्री हरगोङ्क्षबदपुर भी आता है, जबकि कपूरथला जिले के हलका फगवाड़ा और भुलत्थ भी इसी क्षेत्र में शामिल हैं। होशियारपुर जिले के विधानसभा क्षेत्र होशियारपुर, चिब्बेवाल, शामचौरासी, उड़मुड़, दसूहा और मुकेरियां भी इसी लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा हैं। इसी तरह यह हलका 3 जिलों के विधानसभा क्षेत्रों का संयुक्त हलका है।

11 बार जीत चुकी है कांग्रेस
इस क्षेत्र में लोकसभा चुनाव 1952,1957, 1962,1967,1971,1980,1984,1989,1991,1999 और 2009 में कांग्रेस विजयी रही थी, जबकि 1967 में जनसंघ ने यहां जीत का झंडा गाड़ा था। 1977 में भारतीय लोक दल, 1966 में बसपा ने जीत हासिल की थी, जबकि 1998, 2004, 2014 में इस क्षेत्र की सीट भाजपा की झोली में गई थी। इसी तरह 11 बार कांग्रेस के उम्मीदवार विजेता रहने से इस क्षेत्र को कांग्रेस का गढ़ माना जाता रहा है। यहां 1952 में दीवान चंद व राम दास, 1957 में कांग्रेसी उम्मीदवार बलदेव सिंह, 1962 में अमर नाथ चुनाव जीते थे। 1967 के दौरान 2 बार हुए चुनावों में एक बार जनसंघ के जय सिंह चुनाव जीते, जबकि दूसरी बार हुए चुनाव के दौरान कांग्रेस के राम कृष्ण गुप्ता चुनाव जीत गए। 1971 में दरबारा सिंह को जीत हासिल हुई, जोकि पंजाब के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं, जबकि 1977 में भारतीय लोक दल के चौधरी बलबीर सिंह ने जीत हासिल की। 1980 में फिर से कांग्रेस के ज्ञानी जैल सिंह भी इसी क्षेत्र से विजेता रहे, जो कि बाद में देश का राष्ट्रपति भी रहे। 1984 में चौधरी चुनाव जीते, जो कि 1991 तक इस क्षेत्र में लोकसभा सदस्य रहे। 1998 में भाजपा के कमल चौधरी ने यहां जीत का झंडा फहराया, जबकि 1999 में फिर से कांग्रेस के चरणजीत सिंह सैनी की झोली में इस क्षेत्र की सीट गई। 2004 में भारतीय जनता पार्टी के अविनाश राए खन्ना ने चुनाव जीता, जबकि 2009 में कांग्रेस की संतोष चौधरी ने जीत का झंडा फहराया। पिछले लोकसभा चुनावों में भाजपा के विजय सांपला विजेता रहे, जिनको मोदी सरकार ने राज्यमंत्री बनाया।

अपरंपरागत पार्टियों को भी मिलता रहा समर्थन
इस क्षेत्र में एक दिलचस्प बात यह भी रही है कि यहां सिर्फ परंपरागत पार्टियों को ही नहीं, बल्कि अन्य पार्टियों के उम्मीदवारों को भी क्षेत्र के लोगों द्वारा प्यार दिया जाता रहा है। इसी कारण बसपा को इस क्षेत्र में बड़ी जीत मिली थी। इससे पहले भारतीय लोक दल को भी यहां से बड़ा समर्थन मिला था। पिछले लोकसभा चुनावों के दौरान आम आदमी पार्टी को भी यहां से बड़ा समर्थन मिला था। इस दौरान आप की उम्मीदवार जामनी गोमर को इस क्षेत्र से 2 लाख 13 हजार 388 वोट मिली थीं, मगर उस समय विजय सांपला ने कांग्रेस के महिंदर सिंह को 13 हजार 582 वोट के अंतर से हरा दिया था। 

इस बार परंपरागत पार्टियोंमें कांटे की टक्कर होने की संभावना
इस क्षेत्र में एक दिलचस्प बात यह भी रही है कि यहां सिर्फ परंपरागत पार्टियों को ही नहीं, बल्कि अन्य पार्टियों  के उम्मीदवारों को भी क्षेत्र के लोगों द्वारा प्यार दिया जाता रहा है। इसी कारण बसपा को इस क्षेत्र में बड़ी जीत मिली थी। इससे पहले भारतीय लोक दल को भी यहां से बड़ा समर्थन मिला था। पिछले लोकसभा चुनावों के दौरान आम आदमी पार्टी को भी यहां से बड़ा समर्थन मिला था। इस दौरान आप की उम्मीदवार जामनी गोमर को इस क्षेत्र से 2 लाख 13 हजार 388 वोट मिली थीं, मगर उस समय विजय सांपला ने कांग्रेस के महिंदर सिंह को 13 हजार 582 वोट के अंतर से हरा दिया था। इस बार अब जब कांग्रेस ने इस क्षेत्र में राज कुमार चब्बेवाल को चुनाव मैदान में उतार दिया है तो इस क्षेत्र में भाजपा ने अभी तक किसी भी उम्मीदवार का ऐलान नहीं किया है। भाजपा की टिकट प्राप्त करने के लिए इस समय कई नेता भारी भाग-दौड़ कर रहे हैं जिसमें से मुख्य तौर पर विजय सांपला, सोम प्रकाश, राजेश बागा, हरिंदर सिंह खालसा आदि नेता शामिल हैं। आप की टिकट पर पिछली बार चुनाव लडऩे वाली उम्मीदवार तभी पार्टी छोड़ गई थी और पूरे पंजाब के अलावा देश में आप के बदले हुए समीकरणों के कारण इस क्षेत्र में इस बार मुख्य मुकाबला परंपरागत पार्टियों में होने की संभावना है।

 

 

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!