कैप्टन की सुखबीर को चिट्ठी, हिटलर का हवाला देकर कसा तंज

Edited By Vaneet,Updated: 22 Jan, 2020 09:38 PM

letter to captain amrindera singh sukhbir hitler reference

पंजाब के मुख्यमंत्री ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर केंद्र की तुलना...

चंडीगढ़- पंजाब के मुख्यमंत्री ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर केंद्र की तुलना जर्मनी की नाजी सरकार से की और शिरोमणि अकाली दल (शिअद) अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल को एडॉल्फ हिटलर की आत्मकथा ‘मीन कैम्फ‘ (‘मेरा संघर्ष) भिजवाई।

मुख्यमंत्री ने शिअद के सीएए पर रुख की आलोचना की थी, जिसे शिअद ने ‘सिख विरोधी‘ करार दिया था। मुख्यमंत्री ने इसके जवाब में बादल को ‘मीन कैम्फ‘ की प्रति भिजवाई और यह किताब पढऩे की नसीहत दी जिससे वह केंद्र सरकार, जिसमें अकाली भी हिस्सेदार हैं, के पास किए गए ‘असंवैधानिक‘ कानून के खतरनाक निष्कर्षों को समझ सकें। मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत में हिटलर के एजंडे को लागू करने के लिए केंद्र की ताजा कोशिशों के संदर्भ में यह और भी महत्वपूर्ण हो जाता है कि अकाली नेता सीएए संबंधी बेतुकी प्रतिक्रियाएं देने से पहले जर्मन के पूर्व चांसलर की आत्मकथा पढ़ें। कैप्टन ने कहा कि किताब पढ़ने के बाद अकाली नेता फैसला करें ‘राष्ट्र पहले है या राजनैतिक सरोकार।'

बादल को किताब के साथ भेजी चिट्ठी में मुख्यमंत्री ने कहा,‘‘संसद के दोनों सदनों और विधानसभा में सीएए के हक में खड़ा होना और बाकी मंचों पर इसका विरोध करना एक राजनैतिक नेता के अज्ञान को दिखाता है।'' अपने पत्र में कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि उन्होंने विधानसभा के सत्र के दौरान अकाली दल के नेताओं को हिटलर की इस किताब की प्रतियां भेजने का वायदा किया था।

मुख्यमंत्री ने लिखा,‘‘यह हिटलर विश्वास था जो उसने सत्ता के उभार के दौरान जर्मन के लोगों को बेचा और बाद में जब उसकी नाजी पार्टी ने सत्ता संभाली तो यह उसकी सरकार की नीति बन गई।'' उन्होंने लिखा,‘‘हिटलर ने अपना साम्राज्य फैलाने की इच्छाएं पूरी करने के लिए दूसरे विश्व युद्ध में जर्मन को तबाह किया और 1933 में सत्ता संभालने से लेकर 1945 में युद्ध की समाप्ति तक जर्मन नस्ल के शुद्धीकरण के नाम पर पहले साम्यवादियों को निशाना बनाया, फिर बुद्धिजीवियों को और आखिरकार यहूदियों को मारना शुरू किया।‘‘

मुख्यमंत्री ने पत्र में लिखा है कि बादल इतिहास पढ़े जैसे कि हर कोई इतिहास से सीखता है। दुनिया बदल गई है और टीवी व अन्य मीडिया शक्तिशाली हैं और निश्चित रूप से तीस के दशक में जोसेफ गोएबल्ज के अधीन जर्मन की दुष्प्रचार मशीनरी की तुलना में अलग है।‘‘ कैप्टन के अनुसार कैंप लगाने और राष्ट्रीय रजिस्टर की बात करना गलत है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस समेत कुछ राजनीतिक पाटिर्यां देश भर में विश्वविद्यालयों के साथ मिलकर रोष प्रकट कर रही हैं और अब समय आ गया है कि बाकी भी इस लहर में शामिल हों।'' 

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