किसानों का आंदोलन जारी, प्रधानमंत्री मोदी व कॉर्पोरेट घरानों के पुतले जलाए

Edited By Vatika,Updated: 26 Oct, 2020 09:24 AM

kisan andolan

पंजाब में रविवार को विभिन्न स्थानों पर भारतीय किसान यूनियन एकता उगराहां के आह्वान पर किसानों ने कृषि कानूनों के खिलाफ दशहरा पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कॉर्पोरेट्स घरानों के पुतले जलाए।

चंडीगढ़ (रमनजीत): पंजाब में रविवार को विभिन्न स्थानों पर भारतीय किसान यूनियन एकता उगराहां के आह्वान पर किसानों ने कृषि कानूनों के खिलाफ दशहरा पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कॉर्पोरेट्स घरानों के पुतले जलाए।  प्रदर्शनकारियों ने केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों को ‘काला कानून’ बताया और भाजपा नीत राजग सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।

उन्होंने इन कानूनों को वापस लेने की मांग की। प्रदर्शनकारी किसानों ने केंद्र पर कुछ कॉर्पोरेट घरानों के इशारे पर कृषि क्षेत्र को ‘बर्बाद’ करने का प्रयास करने का आरोप लगाया। किसानों ने वैसे तो ‘रेल रोको’ आंदोलन में ढील दे दी है, लेकिन उन्होंने राज्य में ईंधन केंद्रों, टोल प्लाजा और भाजपा नेताओं के निवासों के बाहर धरना जारी रखा। किसानों ने आशंका प्रकट की कि नए कानून न्यूनतम समर्थन मूल्य व्यवस्था खत्म करने का मार्ग प्रशस्त करेंगे और उन्हें बड़े कॉर्पोरेट घरानों के ‘रहमोकरम’ पर छोड़ देंगे। भाकियू (एकता उगराहां) के राज्य प्रधान जोगिंद्र सिंह उगराहां, महासचिव सुखदेव सिंह कोकरीकलां, झंडा सिंह जेठूके, हरिंद्र कौर ङ्क्षबदू ने ऐलान किया कि वह काले खेती कानूनों को रद्द करवाकर ही सांस लेंगे। किसान नेताओं ने ऐलान किया कि 5 नवम्बर को किसान संगठनों के देश व्यापक चक्का जाम की सफलता में भाकियू एकता उगराहां पंजाब में योगदान देगी। अगले देश व्यापक एक्शन की रूपरेखा बनाने के लिए देश के 250 किसान संगठनों द्वारा 27 अक्तूबर को दिल्ली में की जा रही मीटिंग में उनका संगठन शमूलियत करेगा।

अपने अस्तित्व को बचाने के लिए दलित कार्ड खेल रही भाजपा
केंद्र सरकार की ओर से मालगाडिय़ों की आवाजाही रोकने की किसान संगठनों ने ङ्क्षनदा की है। पंजाब के 30 संघर्षशील किसान संगठनों ने मौजूदा हालातों पर चर्चा करने के लिए आपातकालीन ऑनलाइन मीटिंग की, जिसमें किसान नेताओं ने ऐलान किया कि केंद्र की सत्ता पर काबिज भाजपा के जनविरोधी मंसूबों को कामयाब नहीं होने देंगे। किसानों के संघर्ष को बदनाम व विफल करने की साजिशों को बिल्कुल कामयाब नहीं होने दिया जाएगा। किसान नेता डा. दर्शन पाल के नेतृत्व में हुई बैठक के दौरान किसान संगठनों के नेताओं ने कहा कि किसानों की ओर से रेल ट्रैक खाली कर दिए गए हैं, परंतु अब केंद्र सरकार मालगाडिय़ां चलाने के लिए यह शर्त मढ़ रही है कि किसान संगठन यात्री गाडिय़ां भी निकलने दें, जोकि ङ्क्षनदनीय है। वास्तव में केंद्र सरकार किसानों के आंदोलन को दबाने के लिए बहाने ढूंढ रही है, परंतु संगठन केंद्र सरकार का दबाव नहीं सहन करेंगे। किसान नेताओं ने कहा कि भाजपा पूरी तरह बौखला चुकी है।

इसीलिए वह अपने अस्तित्व को बचाने के लिए पंजाब में दलित कार्ड खेल रही है। भाजपा शासित यू.पी. जैसे सूबों में दलितों पर लगातार जुल्म हो रहे हैं। परन्तु पंजाब में भाजपा बड़ी बेशर्मी से अपने अस्तित्व को बचाने के लिए अपने आपको दलित समर्थक पेश करने की कोशिश कर रही है। भाजपा के इस दोगले किरदार को पंजाब के लोग समझते हैं। किसान संगठनों के नेता बलबीर सिंह राजेवाल, कुलवंत सिंह संधू, जतिंद्र सिंह छीना और जगजीत सिंह डल्लेवाल ने कहा कि दलित विद्यार्थी वजीफे में घपलों का लंबे समय के बाद पर्दाफाश हुआ था और हमारी भी मांग है कि इस घपले की जांच हो और दोषियों को सजाएं हों, परंतु अब जब किसान विरोधी कानूनों के खिलाफ भाजपा नेताओं के जगह-जगह घेराव हो रहे हैं तो साजिश के अंतर्गत इस घपले के नाम पर सार्वजनिक सरगर्मियां शुरू करके किसानों को भड़काने के प्रयास किए जा रहे हैं। नेताओं ने कहा कि किसान संगठन चौकस है और भाजपा के पंजाब में तनाव पैदा करने के इस कदम का पूरी सूझबूझ के साथ जवाब देंगे।

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