मिंटू का खालिस्तान कायम करके प्रमुख बनने का सपना रह गया अधूरा

Edited By Vatika,Updated: 21 Apr, 2018 08:52 AM

khalistan mintu

खालिस्तान लिबरेशन फोर्स (के.एल.एफ.) के सुप्रीमो हरमिंद्र  सिंह मिंटू के देहांत के बाद अब तक स्थानीय मैक्सीमम सिक्योरिटी जेल में सन्नाटा-सा छाया हुआ है क्योंकि मिंटू 20 दिसम्बर 2014 से लेकर 27 नवम्बर 2016 ब्रेक कांड तक इस जेल में रहा था। गिरफ्तारी के...

नाभा(जैन) : खालिस्तान लिबरेशन फोर्स (के.एल.एफ.) के सुप्रीमो हरमिंद्र  सिंह मिंटू के देहांत के बाद अब तक स्थानीय मैक्सीमम सिक्योरिटी जेल में सन्नाटा-सा छाया हुआ है क्योंकि मिंटू 20 दिसम्बर 2014 से लेकर 27 नवम्बर 2016 ब्रेक कांड तक इस जेल में रहा था। गिरफ्तारी के बाद मिंटू ने खुलासा किया था कि खालिस्तान कायम करना उसकी जिंदगी का मुख्य उद्देश्य है और खालिस्तान बनकर ही रहेगा। उसकी इच्छा खालिस्तान प्रमुख बनने की थी परन्तु अचानक हुई उसकी मौत के कारण उसका यह सपना अधूरा रह गया है। 

गोवा के रास्ते विदेश जाना चाहता था मिंटू
दूसरी तरफ मिंटू की मौत से जहां आई.एस.आई. के सभी मंसूबों पर पानी फिर गया है, वहीं गृह मंत्रालय और पुलिस ने सुख की सांस ली। लगभग एक दर्जन पुलिस मामलों में से अनेक मामलों में मिंटू बरी भी हो चुका था। मिंटू 27 नवम्बर 2016 को फिल्मी स्टाइल में स्थानीय जेल में से विक्की गौंडर, कुलप्रीत नीटा, गुरप्रीत सेखों, अमनदीप सिंह और कश्मीरा सिंह के साथ फरार हो गया था। मिंटू को दिल्ली पुलिस ने 24 घंटों के अंदर ही निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार कर लिया था। उसने अपनी पहचान छिपाने के लिए कुरुक्षेत्र से कुछ दूरी पर जाकर बाल कटवा लिए थे। उस समय मिंटू से मुम्बई जाने का टिकट मिला था। वह गोवा के रास्ते विदेश जाना चाहता था। गौरतलब है कि जेल ब्रेक कांड से गिरफ्तारी के बाद मिंटू से पुलिस ने कैथल (हरियाणा) समीप खेतों में से प्वाइंट 32 और प्वाइंट 756 के 2 पिस्तौल और भारी मात्रा में कारतूस बरामद किए थे जो वह जेल में से भागने समय साथ लाया था और खेतों में दबा दिए थे।  मिंटू का स्थानीय सिक्योरिटी जेल में से खुफिया एजैंसियों और जेल प्रबंधकों की कथित नालायकी के कारण विदेशों में नैटवर्क सक्रिय था। उसने बड़े-बड़े गैंगस्टरों, आतंकवादियों और टारगेट किङ्क्षलग मामलों के कथित मुलजिमों के साथ संपर्क रखा था। 

8 साल पहले थाईलैंड में हुई थी मिंटू की हार्ट सर्जरी 
जेल ब्रेक कांड के बाद दिल्ली पुलिस और पंजाब पुलिस की जांच टीमों की इन्वैस्टिगेशन दौरान मिंटू शारीरिक तौर पर टूट चुका था परन्तु उसने कभी भी हौसला नहीं हारा। जेल ब्रेक कांड के बाद ज्यूडिशियल रिमांड दौरान अदालत में पैरवी करने वाले मिंटू के वकील सिकंदर प्रताप सिंह अनुसार हरमिंद्र मिंटू के खिलाफ 19 पुलिस केस दर्ज हुए थे, जिनमें से 5 मामलों में वह बरी हो गया था। 8 साल पहले थाईलैंड में उसकी हार्ट सर्जरी हुई थी और स्टंट डाला गया था परन्तु पिछले 4 सालों दौरान बार-बार अदालती निर्देशों के बावजूद मिंटू का पी.जी.आई. से सही ढंग के साथ इलाज नहीं करवाया गया, जिसके कारण उसकी मौत हुई है। नाभा जेल ब्रेक कांड में शामिल होने के कारण अलग-अलग स्थानों  पर रिमांड दौरान उसे कष्ट दिए गए, जिसके कारण हार्ट की बीमारी का इलाज नहीं हुआ और सरकारी साजिशें सफल रहीं। 

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