Edited By Kamini,Updated: 12 Jun, 2025 01:00 PM

स्मार्ट सिटी के नाम पर जालंधर में अरबों रुपए खर्च किए जा चुके हैं, लेकिन ज़मीनी स्तर पर इन प्रोजैक्ट्स का कोई ठोस असर दिखाई नहीं देता।
जालंध (खुराना): स्मार्ट सिटी के नाम पर जालंधर में अरबों रुपए खर्च किए जा चुके हैं, लेकिन ज़मीनी स्तर पर इन प्रोजैक्ट्स का कोई ठोस असर दिखाई नहीं देता। इतना भारी भरकम खर्च होने के बाद भी शहर की असल तस्वीर बेहद चिंताजनक है। अधिकतर पैसा गलियों, नालियों और कुछ सौंदर्यीकरण के नाम पर खर्च कर दिया गया, जबकि कई प्रोजैक्ट भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गए।
आम आदमी पार्टी की पंजाब सरकार ने करीब 3 साल पहले जालंधर स्मार्ट सिटी के अंतर्गत आए लगभग 60 प्रोजैक्ट्स की जांच स्टेट विजीलैंस ब्यूरो को सौंपी थी। इसके बाद जालंधर स्थित विजीलैंस टीम ने कई प्रोजैक्टों की फाइलें कब्जे में लेकर जांच शुरू कर दी है। ज्यादातर प्रोजैक्टों का रिकार्ड विजीलैंड ब्यूरो पास बोरियों में भरकर रखा हुआ है, जिसे अब अफसरों ने खंगलना शुरू किया गया है।
इस जांच का मुख्य उद्देश्य यह है कि जिन प्रोजैक्ट्स में गड़बड़ी पाई जाएं, उनके लिए जिम्मेदार हर अधिकारी को जवाबदेह बनाया जाए, फिर चाहे वह जे.ई. स्तर का हो या सी.ई.ओ. लैवल का। सिविल, मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल, लीगल और अकाउंट्स विभाग के अधिकारी, प्रोजैक्ट एक्सपर्ट और टीम लीडर भी जांच के दायरे में हैं। विजीलैंस अधिकारियों ने स्मार्ट सिटी कार्यालय से उन अधिकारियों की सूची और रिकॉर्ड भी एकत्र किया है, जो एल.ई.डी., चौक सौंदर्यीकरण, स्मार्ट रोड्स और पार्कों से जुड़े प्रोजैक्ट्स के दौरान तैनात थे। अब इन प्रोजेक्ट्स की साइट पर जाकर टेक्निकल निरीक्षण किया जाएगा ताकि घोटाले की सही स्थिति सामने लाई जा सके।
2021-22 में हुआ सबसे ज्यादा घोटाला
कैग द्वारा जालंधर स्मार्ट सिटी के किए गए ऑडिट में भी चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, 2021 और 2022 में सबसे अधिक काम हुआ , पेमेंट्स हुई और गड़बड़ी भी इसी पीरियड दौरान हुई, जब राज्य और निगम में कांग्रेस की सरकार थी। इन दो वर्षों में जालंधर स्मार्ट सिटी ने 265 करोड़ और 270 करोड़ रुपये खर्च किए, जबकि 2015 से 2020 तक कुल खर्च 100 करोड़ भी नहीं था। यह भी पाया गया कि चंद ठेकेदारों को फायदा पहुंचाने के लिए सरकारी अधिकारियों ने आंखें मूंदकर पेमेंट की और कामों की क्वालिटी की जांच तक नहीं की। पूर्व केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और अन्य भाजपा नेताओं ने इस मामले में केंद्रीय जांच एजेंसी से निष्पक्ष जांच की मांग की थी। इसके बाद केंद्र सरकार ने एक टीम जालंधर भेजी और संबंधित अफसरों से रिपोर्ट तलब की गई।
टेक्निकल ऑडिट की उठ रही है मांग
अब मांग उठ रही है कि जैसा फाइनेंशियल ऑडिट कैग ने किया, वैसा ही टेक्निकल ऑडिट भी कराया जाए ताकि निर्माण कार्यों की असल क्वालिटी सामने आ सके। फिलहाल विजिलेंस जांच की गति धीमी है क्योंकि पंजाब सरकार द्वारा अभी तक विजीलेंस को टेक्निकल टीम उपलब्ध नहीं करवाई गई है। जालंधर स्मार्ट सिटी के नाम पर हुए अरबों के घोटालों की परतें धीरे-धीरे खुल रही हैं। अब ज़रूरत है तेज़ और निष्पक्ष जांच की, ताकि दोषियों पर सख्त कार्रवाई हो।
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