Edited By Updated: 08 Feb, 2017 08:46 AM
जगराओं पुल का अनसेफ हिस्सा बंद करने से करीब 9 माह बाद आखिर रेलवे ने नए सिरे से निर्माण करने के लिए डिजाइन मंजूर कर दिया है। जिस पर टैंडर लगाने के लिए जरूरी रकम का प्रबंध करने की गेंद अब नगर निगम के पाले में आ गई है।
लुधियाना(हितेश): जगराओं पुल का अनसेफ हिस्सा बंद करने से करीब 9 माह बाद आखिर रेलवे ने नए सिरे से निर्माण करने के लिए डिजाइन मंजूर कर दिया है। जिस पर टैंडर लगाने के लिए जरूरी रकम का प्रबंध करने की गेंद अब नगर निगम के पाले में आ गई है।रेलवे ने जगराओं पुल से भारत नगर चौक की तरफ जाने वाले हिस्से पर बने करीब 128 साल पुराने लोहे के पुल को मई 2016 में अनसेफ करार दे दिया था। उस समय सिर्फ भारी वाहनों की एंट्री बंद की गई और करीब एक महीने बाद फोर व्हीलर पर पूरी तरह रोक लगा दी गई। जिस कारण इस पुल से होकर गुजरने वाले लोगों को लंबा रास्ता तय करने के अलावा दूसरी सड़कों पर जाम के हालात पैदा होने कारण काफी परेशानी का सामना करना पड़ा जबकि रेलवे ने पहले पुल की मुरम्मत व फिर नए सिरे से बनाने का प्रस्ताव मंजूरी के लिए हैड आफिस में भेजने का हवाला देकर समय निकाला।
यह मुद्दा काफी गर्माने पर रेलवे ने दोबारा पुल बनाने पर आने वाली लागत का बोझ उठाने की गेंद राज्य सरकार यानी कि नगर निगम के पाले में डाल दी। जिसे शहर के लोगों की सुविधा से जुड़ा मामला मानकर निगम ने पैसा लगाने पर सहमति भी दे दी लेकिन फिर टै्रफिक के बढ़ते लोड के मद्देनजर पुल की मौजूदा चौड़ाई 7.5 मीटर की जगह बढ़ाकर 10.5 मीटर करने पर चर्चा हुई। जिसके लिए नए सिरे से डिजाइन बनाकर रेलवे से हरी झंडी मिलने में काफी समय निकल गया और निगम व पुलिस ने भारत नगर चौक से जगराओं पुल को आने वाली एक सड़क पर ही दोनों तरफ का टै्रफिक चलाकर लोगों को राहत देने की कोशिश की।
अभी एक साल से ज्यादा का करना होगा इंतजार
अब रेलवे ने पुल को चौड़ा करके दोबारा बनाने की ड्राइंग पास होने की जानकारी निगम को दी है। इस चक्कर में रेलवे द्वारा पुल बंद करते समय उसे दोबारा चालू करने बारे जारी किए करीब एक साल के एक्शन प्लान में से 9 महीने का समय निकल चुका है जिसके चलते लोगों को नया पुल बनने के लिए अभी एक साल का इंतजार करना पड़ेगा जिसमें और भी देरी हो सकती है।
निगम के गले की फांस बन सकता है 11 से 24.30 करोड़
निगम ने फंड देने की मंजूरी दी थी, उस समय लागत का आंकड़ा 11 करोड़ का था। जिसे हलका वाइज विकास कार्यों के लिए आए पैसे में से देने का फैसला हुआ। लेकिन अब लागत का आंकड़ा 24.30 करोड़ हो गया है। जिसे जमा करवाने पर ही रेलवे आगे का काम करेगा जबकि निगम के पास अपना पैसा है नहीं और हलका वाइज कामों का पैसा भी खत्म होने की खबर है। यहां तक कि चुनावी कोड लगा होने के कारण एफ. एंड सी.सी. या कोई अन्य विभागीय मीटिंग में हुए फैसले पर सरकार की मोहर लगने पर भी संशय है।