गुरदासपुर आतंकी हमला, इंस्पैक्टर बलबीर सिंह प्रमोशन मामले में जल्द फैसला ले सरकार : हाईकोर्ट

Edited By Sonia Goswami,Updated: 05 May, 2018 10:37 AM

inspector balbir singh promotion case government to decide soon high court

गुरदासपुर के दीनानगर पुलिस थाने में  27 जुलाई, 2015 में हुए आतंकी हमले में गुरदासपुर के एस.एस.पी. को बचाते हुए दो आतंकियों की दो गोलियां खाने वाले पंजाब पुलिस के स्पैशल ऑपरेशन सेल के तत्कालीन इंस्पैक्टर बलबीर सिंह की प्रमोशन संबंधी याचिका पर...

चंडीगढ़  (बृजेन्द्र): गुरदासपुर के दीनानगर पुलिस थाने में  27 जुलाई, 2015 में हुए आतंकी हमले में गुरदासपुर के एस.एस.पी. को बचाते हुए दो आतंकियों की दो गोलियां खाने वाले पंजाब पुलिस के स्पैशल ऑपरेशन सेल के तत्कालीन इंस्पैक्टर बलबीर सिंह की प्रमोशन संबंधी याचिका पर हाईकोर्ट ने सरकार को 2 सप्ताह में फैसला लेने को कहा है। 

 

हाईकोर्ट ने मामले में शुक्रवार को सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को यह निर्देश दिए हैं। हाईकोर्ट ने कहा कि इंस्पैक्टर बलबीर सिंह की प्रमोशन मामले में कैबिनेट के निर्णय के आधार पर 2 सप्ताह में फैसला लें। केस की अगली सुनवाई 30 मई को होगी। मामले में बहस के दौरान सरकारी पक्ष ने संबंधित प्रमोशन मामले में हाईकोर्ट को बताया कि मामले पर विचार चल रहा है। याची पक्ष की ओर से एडवोकेट एच.एस. बाठ और एडवोकेट सुरजीत सिंह सवैच ने कहा कि सरकार ने पिछली बार भी यही जवाब दिया था। हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा कि कितना समय विचार के लिए चाहिए। जिस पर सरकार ने 2 सप्ताह का समय मांगा जो प्रदान कर दिया गया।  दिसंबर, 2015 में बलबीर सिंह ने यह याचिका दायर की थी। हमले में तीन पाकिस्तानी आतंकियों समेत 7 लोग मारे गए थे। 


याची के मुताबिक घटना के बाद कैबिनेट की 3 अगस्त की मीङ्क्षटग में सरकार ने निर्णय लिया था कि उन सभी पुलिसकर्मियों को प्रमोट किया जाए जिन्होंने दिनानगर इनकांऊटर में सक्रिय रोल निभाया था। जिसके बाद बलबीर सिंह को छोड़ बाकी पुलिसकर्मियों को प्रमोट कर दिया गया था। उन्हें डी.एस.पी. की पोस्ट यह कहते हुए देने से इंकार कर दिया गया था कि उन्हें पहले ही बहादुरी के लिए प्रेजीडेंट पुलिस मेडल मिल चुका है। बलबीर के मुताबिक ऐसा कोई नियम नहीं है कि जिसे मैडल मिला हो वह प्रमोट नहीं हो सकता। ऐसे में हैड कांस्टेबल तारा सिंह का उदाहरण दिया गया जिसे उसी ऑपरेशन के लिए प्रेजीडेंट मैडल मिला और ए.एस.आई. प्रमोट भी किया गया। याचिका में मांग की गई थी कि डी.जी.पी. के 26 नवंबर, 2015 के आदेशों को रद्द किया जाए जिनमें उनकी प्रमोशन की मांग को नामंजूर कर दिया गया था। कैबिनेट के 3 अगस्त के निर्णय के मुताबिक याची बलबीर ने खुद को प्रमोट करने की मांग की थी। मामले में हाईकोर्ट ने पंजाब के चीफ सेक्रेटरी, प्रिंसीपल सेक्रे टरी(होम) व डी.जी.पी. को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। 


सरकार ने नियमों का हवाला दे प्रमोशन देने से कर दिया था इंकार

इस मामले में मई, 2016 में पंजाब सरकार ने दिए जवाब में कहा था कि बलबीर सिंह को डी.एस.पी. नहीं बनाया जा सकता। ए.आई.जी. इंद्रबीर सिंह ने हाईकोर्ट में दिए जवाब में कहा था कि कांस्टेबल से इंकस्पैक्टर रैंक तक प्रमोशन पंजाब पुलिस सॢवस रुल्स, 1934 के तहत होती है। वहीं इंस्पैक्टर से डी.एस.पी. रैंक प्रमोशन पंजाब सिविल सर्विस रुल्स के तहत। डी.एस.पी. पोस्ट के लिए कोई ऑऊट ऑफ टर्न प्रमोशन नहीं है। याची के अलावा करीब 250 इंस्पैक्टर्स डी.एस.पी. प्रमोशन के इंतजार में हैं। दिनानगर हमले को लेकर किसी को भी आऊट ऑफ टर्न प्रमोशन नहीं मिला है। बलबीर 1992 में ए.एस.आई. भर्ती हुए थे और 2011 में इंस्पैक्टर प्रमोट हुए थे। उन्होंने दिनानगर ऑपरेशन में गुरदासपुर के एस.एस.पी. को बचाने में सक्रिय रोल निभाया था। आतंकियों की एके-47 की 2 गोलियां बलबीर सिंह को लगी थी। जिसके बाद कै बिनेट में सरकार ने आतंकी हमलों में मारे गए पुलिसकर्मियों के आश्रितों को नौकरी और घायलों को एक रैंक बढ़ा प्रमोट करने का फैसला लिया था। बलबीर सिंह को स्वतंत्रता दिवस पर बहादुरी पुरस्कार मिला था।

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