Edited By Vatika,Updated: 14 Nov, 2024 09:59 AM
बुधवार दोपहर कुछ देर के लिए अच्छी धूप निकली तो उम्मीद बंधी कि शहर से प्रदूषण छंटने लगा है
चंडीगढ़: बुधवार दोपहर कुछ देर के लिए अच्छी धूप निकली तो उम्मीद बंधी कि शहर से प्रदूषण छंटने लगा है, लेकिन दोपहर 2 बजे के बाद हालत पांच दिनों से भी और ज्यादा खराब हो गई। कई दिनों से 400 से नीचे चल रहा शहर का औसत स्तर बुधवार दोपहर दो बजे के बाद 400 के स्तर को भी पार कर गया। रात 10 बजे के बाद 500 पार कर रहा था। अब हालत इस हद खराब हो चुके हैं कि पिछले 5 दिनों से शहर में बेहद खराब स्तर पर प्रदूषण का स्तर 3 में से दो आब्जर्वेटरी में बेहद गंभीर स्तर पर दिखाया जा रहा है। दिनों दिन खराब हो रही शहर की हवा का अंदाजा इस बात ये लग सकता है कि एक ही दिन में शहर का औसतन एयर क्वालिटी इंडैक्स (ए.क्यू.आई.) ही सोमवार के मुकाबले 343 से 29 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर बढ़कर 372 तक जा पहुंचा। भले ही बुधवार को भी चंडीगढ़ देश का 5वां सबसे प्रदूषित शहर रहा, लेकिन दिन के ज्यादातर घंटे प्रदूषण का स्तर 400 के ऊपर के गंभीर स्तर तक चला गया। इन हालात को देखते हुए अब चंडीगढ़ प्रशासन से भी गंभीर प्रयासों की दरकार है। प्रशासन की ओर से सड़कों पर पानी का छिड़काव करने जैसे प्रबंध प्रदूषण के स्तर के आगे नाकाम हो चुके हैं। बिगड़ते हालात को देखते हुए अब स्वास्थ्य विभाग को शहर के लोगों के लिए हैल्थ एडवाइजरी जारी करनी पड़ी है।
पंजाब और हरियाणा के पड़ोसी शहर भी आए चपेट में
पांच दिनों से चंडीगढ़ ही प्रदूषण की मार झेल रहा था लेकिन बुधवार को पंजाब और हरियाणा के शहर भी प्रदूषण के बेहद खराब स्तर पर पहुंच गए। बुधवार को हरियाणा के 10 शहरों में एयर क्वालिटी इंडैक्स 300 के पार पहुंच गया। पंजाब के भी 2 शहरों का ए.क्यू. आई. भी 300 के पार था। हरियाणा में भिवानी देश का चौथा प्रदूषित स्तर था।
इस तरह बन रहे शहर में गंभीर हालत
- सुबह 5 बजे से पहले और दोपहर 2 बजे के बाद प्रदूषण का औसत स्तर 400 के गंभीर स्तर से ऊपर पहुंचा।
- 5 बजे से लेकर दोपहर 2 बजे के दौरान भी प्रदूषण का स्तर 300 से 400 के बीच बेहद खराब स्तर के बीच रहा।|
- सेक्टर-22 और सैक्टर-53 की आब्जर्वेटरी में दोपहर 2 बजे के बाद रात 10 बजे तक पी.एम.2.5 और पी.एम. 10 का स्तर 400 से ऊपर चल रहा है।
- सैक्टर 25 की आब्जर्वेटरी में ही प्रदूषण का औसत स्तर 400 तक नहीं पहुंचा लेकिन यहां भी 300 से 400 के बेहद खराब स्तर पर।
अस्थमा की दवा और इनहेलर का नियमित रूप से इस्तेमाल करें
उत्तर भारत में सर्दी के मौसम की शुरूआत के साथ ही हवा की गुणवत्ता खराब हो जाती है। दिवाली के दौरान बड़े पैमाने पर पटाखे और पराली जलाना समस्या को और बढ़ा देता है। खासतौर पर बहुत कम उम्र के अस्थमा के मरीज धूल और धुएं से होने वाले इन हानिकारक प्रभावों के प्रति सबसे ज्यादा संवेदनशील होते हैं। भारी प्रदूषण के दौरान बाहर जाते समय मास्क पहनना भी मददगार हो सकता है। अस्थमा की दवाइयों और इनहेलर का नियमित इस्तेमाल किया जाए। अतिरिक्त इनहेलर खुराक के बावजूद सांस लेने में लगातार परेशानी हो रही है, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
डॉ आशुतोष एन अग्रवाल हैड, पल्मनरी मैडिसन विभाग, पी.जी.आई.
हैल्थ एडवाइजरी जारी
वायु प्रदूषण के संपर्क को कम करने के लिए मास्क लगाएं
हैल्थ विभाग ने बढ़ते प्रदूषण के चलते एडवाइजरी जारी की है। वायु प्रदूषण के संपर्क को कम करने के लिए एन-95 या एन-99 मास्क का उपयोग करें। सांस लेने में तकलीफ, चक्कर, खांसी व सीने में तकलीफ या दर्द और आंखों में जलन पर डॉक्टर से परामर्श लें। आंखों को नियमित रूप से पानी से धोते और नियमित गर्म पानी से कुल्ला करते रहें। घरों के अंदर झाड़ लगाने या वैक्यूम सफाई के बजाय गीले पोछा लगाएँ। सिगरेट, बीड़ी और संबंधित तंबाकू उत्पादों का प्रयोग न करें। बंद परिसर में मच्छर मारने की दवा और अगरबत्तियों को जलाने से बचें। सुबह और देर शाम टहलने, दौड़ने, जॉगिंग और शारीरिक व्यायाम से बचें। सुबह और देर शाम के वक्त दरवाजे और खिड़किर्या न खोलें। लकड़ी, कोयला, पशुओं के गोबर, मिट्टी के तेल जैसे बायोमास को जलाने से बचें। सर्दियों के दौरान लकड़ी और कोयले को जलाने से बचें।