Edited By Updated: 09 Mar, 2017 01:54 PM
पंजाब में आलू की बंपर फसल आने के बाद भी किसान की आर्थिक हालत दिनों-दिन पतली होती जा रही है। अगर ऊपर वाले के प्रकोप से
पटियाला/रखड़ा(राणा): पंजाब में आलू की बंपर फसल आने के बाद भी किसान की आर्थिक हालत दिनों-दिन पतली होती जा रही है। अगर ऊपर वाले के प्रकोप से किसान बच जाता है तो निचले वालों का प्रकोप भारी पड़ जाता है। लगातार कर्जों की मार बर्दाश्त कर रहे किसान को आर्थिक तंगी के चंगुल में से निकलने के लिए कोई रास्ता दिखाई नहीं देता। यदि किसान फसली विभिन्नता को लेकर कोई फसल पैदा करता है तो उसे अपनी फसल बेच कर योग्य मूल्य मिलने की कोई गारंटी नहीं, जिस कारण वह आत्महत्या करने को मजबूर हो जाता है, जिसका खमियाजा परिवार को भुगतना पड़ता है। चाहे स्वामीनाथन की रिपोर्टों के अनुसार किसान को फसली लागत और लाभ देने के लिए योग्य प्रबंध होना चाहिए, परंतु किसी भी सरकार के पास वाजिब रास्ता नहीं निकला। अब सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को किसानों की तरफ से गई आत्महत्याएं रोकने के लिए जल्द रिपोर्ट सौंपने के लिए हिदायत दी है।
एक तरफ पूरे देश में गुरमेहर कौर के बयान को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पेश करके सोशल साइटों के साथ-साथ देश के शैक्षिक संस्थानों में धरने, रैलियां और प्रदर्शनों द्वारा विरोध किया जा रहा है। इसके साथ ही पंजाब में बनने वाली नई सरकार के लिए सरेआम सट्टेबाजी और शर्तें लगाई जा रही हैं तथा सट्टा बाजार पूरी तरह सक्रिय है। चाहे राजनीतिक पार्टियों ने चुप्पी धारी हुई है परंतु इनके समर्थकों की तरफ से अपनी-अपनी सरकार बनाने के दावे करते संभावित कैबिनेट की रूपरेखा तैयार करके सोशल साइटों पर डाल कर पूरी जनता का ध्यान असली मुद्दों से भटकाने की कोशिश की जा रही है।