गुरदासपुर उपचुनाव: रिवायती पार्टियों को टक्कर नहीं दे पा रही ‘आप’

Edited By Punjab Kesari,Updated: 30 Sep, 2017 02:10 PM

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गुरदासपुर लोकसभा उप-चुनावों में लगातार हो रही सियासी उठा-पटक के ताजा समीकरणों के अनुसार आम आदमी पार्टी रिवायती पार्टियों कांग्रेस और

जालंधर(बुलंद): गुरदासपुर लोकसभा उपचुनाव में लगातार हो रही सियासी उठा-पटक के ताजा समीकरणों के अनुसार आम आदमी पार्टी रिवायती पार्टियों कांग्रेस और शिअद-भाजपा के मुकाबले तीसरे नंबर पर दिखाई दे रही है जिससे पार्टी की जीत के अरमान धुंधले पड़ते दिखाई दे रहे हैं। मामले के बारे में पार्टी के अंदरूनी सूत्रों की मानें तो गुरदासपुर के वोटर ‘आप’ पर विश्वास दिखाते नजर नहीं आ रहे। 
 
इसके कारण तलाशने की कोशिश की तो सामने आए तथ्यों से पता चला कि ‘आप’ ने गुरदासपुर में जिस प्रकार की नीति भूतकाल में अपनाई, उससे इलाके के वोटर खफा हैं। पार्टी की ओर से बीते पंजाब वि.स. चुनावों से कुछ समय पूर्व ही पार्टी के पंजाब कन्वीनर और गुरदासपुर हलके के बड़े नेता सुच्चा सिंह छोटेपुर की पार्टी से छुट्टी कर दी गई। उसके बाद कई बड़े नेताओं को नाराज कर पार्टी की बागडोर गुरप्रीत घुग्गी को सौंपी और उन्हें गुरदासपुर हलके से मैदान में उतारा, पर घुग्गी कोई कमाल नहीं दिखा पाए, बल्कि पार्टी पंजाब में ही कोई कमाल नहीं दिखा सकी। ऐसे में पार्टी पर घुग्गी सहित कई बड़े नेताओं ने आरोप लगाए कि दिल्ली से आई लीडरशिप के गलत फैसले ही पंजाब में पार्टी की हार का कारण बने। इसके बाद पार्टी हाईकमान ने जल्दबाजी में पंजाब कन्वीनर के पद से गुरप्रीत घुग्गी को हटा दिया, जिससे नाराज घुग्गी ने पार्टी को अलविदा कह दिया। इससे भी पार्टी की छवि गुरदासपुर के वोटरों में खराब हुई कि जो पार्टी अपने ही नेताओं को अनदेखा कर रही है वह वोटरों के साथ क्या करेगी?

अब जब लोकसभा उपचुनाव के लिए गुरदासपुर में चुनावी अखाड़ा सजा है तो पार्टी के माझा जोन के युवा नेता कंवलप्रीत काकी का अकाली दल के हक में उतरना बताता है कि ‘आप’ में नेताओं की हालत ठीक नहीं है और शायद पार्टी में हर नेता इसी ताक में है कि कब कोई बड़ी पार्टी उसे न्यौता दे और वह छलांग मार दे। जानकार बताते हैं कि इस समय पार्टी की गुरदासपुर में हालत स्ट्रांग दिखाई नहीं दे रही है। पार्टी ने मैदान में आर्मी के रिटा. आफिसर को उतारा है, पर इससे भी वोटर आकर्षित नहीं हो पा रहे हैं। उधर, चुनावी सीजन में सबकी नजरें हलके से संबंधित ‘आप’ के पूर्व नेताओं गुरप्रीत घुग्गी और सुच्चा सिंह छोटेपुर पर टिकी हैं कि शायद वे किसी और पार्टी में ज्वाइन करेंगे या ‘आप’ के खिलाफ कोई बड़ा बयान देंगे, पर हैरानी की बात है कि दोनों नेता चुप्पी साधे हुए हैं। मामले के बारे में छोटेपुर का कहना है कि न तो उन्होंने किसी अन्य पार्टी से संपर्क किया है तथा न ही किसी और पार्टी ने उनसे संपर्क किया है, इसलिए फिलहाल वह कुछ नहीं कहेंगे। ऐसे में देखना होगा कि ‘आप’ कैसे कोई चमत्कार कर रिवायती पार्टियों को पछाड़ कर आगे आती है और गुरदासपुर में कोई कमाल दिखाती है या नहीं?
 

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