Edited By Punjab Kesari,Updated: 07 Sep, 2017 04:24 PM
जी.एस.टी. कौंसिल की 9 सितम्बर को होने वाली बैठक में मैनमेड यार्न पर बड़ा फैसला लिया जा सकता है, क्योंकि वर्तमान समय में मैनमेड यार्न पर 18
लुधियाना (सेठी): जी.एस.टी. कौंसिल की 9 सितम्बर को होने वाली बैठक में मैनमेड यार्न पर बड़ा फैसला लिया जा सकता है, क्योंकि वर्तमान समय में मैनमेड यार्न पर 18 फीसदी और अन्य यार्न पर 5 फीसदी टैक्स है। इसके साथ इन धागों से बनने वाले फिनिश माल पर भी लगभग 5 फीसदी का स्लैब ही लगाया गया है, जिस कारण कारोबारियों को अनेकों प्रकार कि मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
कौंसिल को 67 दिनों के बाद भी बहुत से अहम फैसले लेने बाकी हैं, जिससे विभाग, प्रोफैशनल्स और कारोबारी असमंजस में हैं। प्रत्यक्ष के अनुसार एच.एस.एन. कोड 8504 में जो वस्तुए हैं, उन पर कौंसिल ने 18 फीसदी और इसी प्रकार इसी कोड पर इन्हीं कलपुर्जों को 28 फीसदी की स्लैब में भी दिखाया है। यहां समस्या यह है कि कारोबारी इन कलपुर्जों का किस स्लैब से इन्वॉयस काटें। मुसीबत तो उस समय बढ़ती है, जब इसका समाधान विभाग के पास भी नहीं है। कौंसिल को सीधा टैक्स ट्रेडर के हिसाब से लगाना चाहिए। जैसे एक स्विच यदि होम अप्लायंसिस पर लगा है तो उस पर 12 फीसदी टैक्स लगता है और उसी स्विच को हम सिंगल पीस में खरीदते हैं तो टैक्स स्लैब 28 फीसदी के दायरे में पहुंच जाता है।
लग्जरी आइटम पर स्लैब 28 फीसदी लगाया गया है। वह किसी हद तक मान्य है परंतु एल.ई.डी. पर 3 स्लैब लगाना बुद्धिमता नहीं है। बेशक जी.एस.टी. आर.-1, 2, 3 रिटर्न भरने की तारीख में 5 दिन की वृद्धि की गई है परंतु इससे अन्य रिटर्न में समस्याएं पैदा हो रही हैं। अगर इन तारीखों की ओर नजर दौड़ाएं तो ऐसा महसूस होता है कि कारोबारी पूरा महीना इसी काम में जुटा रहेगा, क्योंकि जी.एस.टी. आर.-1, 2, 3 (10, 25 व 30 सितम्बर) को भरनी है और 20 सितम्बर को जी.एस.टी. आर.-3 बी. को भी उसी रेशो से भरा जाएगा। गौर हो कि ट्रांस-1 की रिटर्न 30 सितम्बर तक भरी जानी है लेकिन कारोबारियों को अन्य राज्य से सी-फार्म न मिलने के कारण आई.टी.सी. नहीं कर सकते हैं, जबकि विभाग के अनुसार उतना ही आई.टी.सी. दिया जाएगा, जितने विभाग के पास जमा होंगे इसलिए कौंसिल को कोई बीच का रास्ता निकालना होगा अन्यथा कारोबारियों का करोड़ों का आई.टी.सी. उन्हें नहीं मिल पाएगा।