Punjab में वित्तीय एमरजैंसी की स्थिति, केन्द्र सरकार के आगे फैलाने पड़ रहे हाथ

Edited By swetha,Updated: 05 Dec, 2019 11:33 AM

financial emergency situation in punjab

लोगों से बड़े-बड़े वायदे करके भारी बहुमत के साथ सत्ता में आई कैप्टन सरकार के कार्यकाल के तीसरे वर्ष दौरान भी गंभीर वित्तीय संकट की स्थिति है।

चंडीगढ़(भुल्लर): लोगों से बड़े-बड़े वायदे करके भारी बहुमत के साथ सत्ता में आई कैप्टन सरकार के कार्यकाल के तीसरे वर्ष दौरान भी गंभीर वित्तीय संकट की स्थिति है। इन दिनों स्थिति सरकार के खाली बर्तन खड़कने वाली बन चुकी है। राज्य को आॢथक संकट से निकालने के लिए कैप्टन सरकार इस समय केंद्र सरकार के आगे हाथ फैलाने के लिए मजबूर है। कांग्रेस ने सत्ता में आने पर किसानों की मुकम्मल कर्जा माफी, युवाओं को घर-घर नौकरी, बुढ़ापा और विधवा पैंशनों में अधिक वृद्धि और युवाओं को मुफ्त स्मार्ट फोन देने के आकर्षक वायदे किए थे। 

उल्लेखनीय है कि पंजाब के चुनाव मैनीफैस्टो में पूर्व प्रधानमंत्री व उच्च अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह का विशेष योगदान था। पंजाब के मौजूदा वित्त मंत्री का भी पिछली सरकारों में वित्त मंत्री रहते अच्छा अनुभव था परंतु जो राज्य की आॢथक स्थिति इस समय बुन चुकी है उसके बाद राज्य के वित्त मंत्री मनप्रीत के भी हाथ खड़े होने लगे हैं। इसी कारण उन्होंने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह के विशेष दौरे के समय एक पत्र उनके कार्यालय को लिखकर उन्हें सारी स्थिति से अवगत करवाते हुए इस संबंधी गंभीरता से विचार करने का सुझाव दिया था। वित्त विभाग के अधिकारी बताते हैं कि राज्य की आय में 5 फीसदी की कमी हो चुकी है। 

एक्साइज ड्यूटी और स्टांप ड्यूटी में भारी गिरावट आई है। उसके अलावा सेल्स टैक्स में भी निर्धारित वसूली नहीं हो रही। इस समय राज्य में कुल कर्जा 2,12,276 हजार करोड़ से अधिक है। इस स्थिति के चलते किसानों की कर्जा माफी, घर-घर नौकरी जैसे बड़े वायदों की पूर्ति भी अधर में लटक रही है।चाहे सरकारी कर्जे माफ किए गए हैं परंतु सरकारी बैंकों और आढ़तियों के बड़े कर्जों के कारण किसानों की खुदकुशियों का सिलसिला लगातार बढ़ रहा है। पंजाब पावर कार्पोरेशन की मुफ्त बिजली के बदले दी जाने वाली सुविधा के बदल में सरकार द्वारा सबसिडी के लिए दी जाने वाली 6400 करोड़ रुपए की राशि बकाया है। इस स्थिति में केंद्र द्वारा तुरंत राहत न मिलने पर राज्य को और कर्जा लेना पड़ सकता है। दावों के बावजूद अधिक खर्चों पर रोक नहीं लगी जबकि सैंकड़ों ऐसे बोर्डों, कार्पोरेशनों के चेयरमैन और मैंबर नियुक्त किए जा रहे हैं जिनकी कोई ज्यादा जरूरत नहीं।

ये हैं कुछ अहम वित्तीय आंकड़े 

साल   वित्तीय घाटा     राजस्व घाटा  
2015-16    8550   17359
2016 -17   7311  52840
2017 -18   14309  20820
2018 -19       12539 19720


जी.एस.डी.पी. का ग्रोथ रेट

2015-16 5.74 प्रतिशत 
2016-17  7.16 प्रतिशत 
2017-18 6.22 प्रतिशत 
2018-19  5.93 प्रतिशत
  •  राज्य पर ऋण : 2,12,276 करोड़ 
  • अक्तूबर तक कुल राजस्व वसूली : 15,723 करोड़
  • साल के दौरान आमदन में गिरावट : 5 प्रतिशत 
  • बिजली सबसिडी की बकाया राशि : 6400 करोड़ 
  • कर्मचारियों व पैंशनरों के वेतन का मासिक खर्चा : 2200 करोड़

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