फांसी के फंदे से छूट देर रात दुबई से अपने गांव हवेली लौटा चंद्रशेखर

Edited By Vaneet,Updated: 04 Jun, 2018 10:22 PM

आबूधाबी के अलैन शहर में एक पाकिस्तानी मो.फरहान के कत्ल केस में फांसी की सजा व बाद में ब्लड मनी देने के बाद फांसी की सजा माफ होने के बाद सोमवार देर रात चंद्रशेखर जब माहिलपुर के गांव हवेली पहुंचा तो उसे देख माता-पिता व परिजनों की आंखें भर आई। परिजन...

लुधियाना/होशियारपुर(अमरेन्द्र): आबूधाबी के अलैन शहर में एक पाकिस्तानी मो.फरहान के कत्ल केस में फांसी की सजा व बाद में ब्लड मनी देने के बाद फांसी की सजा माफ होने के बाद सोमवार देर रात चंद्रशेखर जब माहिलपुर के गांव हवेली पहुंचा तो उसे देख माता-पिता व परिजनों की आंखें भर आई। परिजन बार-बार यही कहते रहे कि यहां मेहनत मजदूरी करेंगे लेकिन अब अपने बेटे को किसी भी हाल में अपनों से दूर विदेश नहीं भेजेंगे। गौरतलब है कि पाकिस्तानी युवक की हत्या के आरोप में 10 पंजाबी नौजवानों की अदालत ने अप्रैल 2017 में फांसी की सजा माफ कर दी थी। इसका सारा श्रेय जाता है दुबई स्थित ग्रैंड होटल के मालिक और सरबत दा भला ट्रस्ट के प्रमुख डॉ. एस.पी.एस.ओबराय को जिन्होंने मृतक के परिवार के साथ लड मनी समझौता कर इन्हें रिहा करवाया। 

यह था मामला
गौरतलब है कि 10 जुलाई 2015 की रात को अबुधाबी के अलैन शहर में शराब की अवैध तस्करी को लेकर पाकिस्तानी और भारतीय गुटों में मारपीट हुई थी। इस मारपीट के दौरान एक पाकिस्तानी नागरिक मो.इरफान की मौत हो गई थी और 2 गंभीर रूप से घायल हो गए थे। अलैन की पुलिस ने मामला दर्ज कर 11 भारतीयों को गिरफ्तार कर लिया था। इन भारतीयों में एक कुलदीप सिंह को 2 लाख दिरहम का जुर्माना लगा कर रिहा कर दिया था जबकि इसी मामले में सतविंदर सिंह, चंद्र शेखर, चमकौर सिंह, कुलविन्द्र सिंह, बलविंदर सिंह, धर्मवीर सिंह, हरजिंदर सिंह, तरसेम सिंह, गुरप्रीत सिंह, जगजीत सिंह को अदालत ने 7 दिसंबर 2016 में फांसी की सजा सुना दी थी। डॉ.एस.पी.एस.ओबराय ने इस फैसले के खिलाफ 21 दिसबर 2016 को अलैन कोर्ट में अपील डाल दी। बाद में लड मनी मिल जाने के बाद जब दोनों पक्ष में समझौता हो गया तो उन्होंने 2 फरवरी 2017 को अदालत में एग्रीमैंट जमा कर दिया था।

दिसंबर 2014 को गांव से गया था दुबई
गौरतलब है कि घर की गरीबी दूर करने के लिए हवेली गांव से चंद्रशेखर 14 दिसबर 2014 को दुबई गया था। मेहनत मजदूरी करने वाले पिता मंजीत सिंह ने 80000 रुपए कर्ज लेकर बेटे को दुबई भेजा था। दुबई से चंद्रशेखर ने 30000 रुपए पहली बार घर भेजा ही था कि बाद में वह पाकिस्तानी युवक की हत्या के मामले में गिरफ्तार हो जेल पहुंच गया था। 

क्या कहते हैं समाजसेवी डॉ.ओबराय
संपर्क करने पर सरबत दा भला ट्रस्ट के चेयरमैन डॉ.एस.पी.एस.ओबराय ने बताया कि सभी 10 पंजाबी युवकोंकी रिहाई के आदेश जारी हो चुके हैं। इनमें से 3 होशियारपुर के चंद्रशेखर, बरनाला के ठीकरीवाल गांव के सतमिन्द्र सिंह व समराला के धर्मवीर सिंह आज ही भारत लौट गए हैं वहीं बांकी युवक भी बिना किसी तकलीफ और परेशानी से इसी सप्ताह सुरक्षित घर पहुंच जाएंगे। उन्होंने इन पंजाबी युवकों की रिहाई व भारत लौटने की व्यवस्था करने के लिए भारतीय एबैसी की तरफ से मिले सहयोग पर धन्यवाद किया।

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