Edited By Punjab Kesari,Updated: 07 Sep, 2017 10:34 AM
पंजाब की शिक्षामंत्री अरुणा चौधरी की सगी ननद गुरदासपुर की डी.ई.अो. राकेश बाला को इस साल शिक्षा विभाग की तरफ से स्टेट अवॉर्ड देने पर राज्य के सरकारी स्कूलों के प्रिंसीपलों ने कड़ा एतराज जताया है।
पटियालाः पंजाब की शिक्षामंत्री अरुणा चौधरी की सगी ननद गुरदासपुर की डी.ई.अो. राकेश बाला को इस साल शिक्षा विभाग की तरफ से स्टेट अवॉर्ड देने पर राज्य के सरकारी स्कूलों के प्रिंसीपलों ने कड़ा एतराज जताया है।
प्रिंसीपलों की संस्था पंजाब एजूकेशन सर्विस ऑफिसर्ज एसोसिएशन के सरपरस्त व्रिज मोहन सिंह और उप प्रधान मनमोहन सिंह ने दावा किया है कि इस चयन के खिलाफ वो अपनी एसोसिएशन के वफ्द के साथ 8 सितंबर को डी.पी.आई. को मिलकर अपना एतराज दर्ज करवाएंगे। अगर इसके बाद भी राकेश बाला का स्टेट अवॉर्ड वापस लिया गया तो इस फैसले के खिलाफ उनकी संस्था कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी।
व्रिज मोहन सिंह ने बताया कि कांग्रेस सरकार बनते ही शिक्षामंत्री ने सब नियमों को ताक पर रखकर अपनी ननद राकेश बाला को गुरदासपुर के गांव मगरमुदिया की प्रिंसीपल से प्रमोशन देकर डी.ई.ओ. तैनात कर दिया। अब जब नियमों के मुताबिक प्रबंधकीय ऑफिसर को स्टेट अवॉर्ड नहीं दिया जा सकता, शिक्षामंत्री ने अपनी ननद को यह अवॉर्ड देने के लिए कागजों में उनकी पहचान बतौर मगरमुदिया प्रिंसीपल दर्शाई। राकेश बाला इस स्कूल में 7 सालों तक बतौर प्रिंसीपल रही, लेकिन इन 7 सालों में आज तक कभी भी इस स्कूल की प्रफोर्मेंस किसी भी मद में सराहनीय नहीं रही, लेकिन उनकी ऐसी क्या प्रफोर्मेंस देखी गई कि उन्हें स्टेट अवॉर्ड दिया गया।
वहीं राकेशबाला, डी.ई.ओ. से बातचीत दौरान उन्होंने कहा प्रिंसीपल के रूप में बहुत अच्छा काम किया, बेहतर रिजल्ट आया तो निशुल्क बच्चों को पढ़ाने के साथ ही उनकी ड्रेस, किताबों का पैसा भी अपनी जेब से दिया। जो आरोप लगा रहे हैं वह बेबुनियाद हैं।
शिक्षामंत्री अरुणा चौधरी ने कहा कि अवार्ड देने के लिए बकायदा एक कमेटी बनाई गई है। हर काम के लिए अलग-अलग नंबर होते हैं और इसमें हमारा हस्तक्षेप नहीं होता है। जो पेरामीटर हैं उसमें जो खरा उतरेगा उसे अवार्ड मिलेगा चाहे वह कोई भी हो। जो आरोप लगाए जा रहे हैं वह बिल्कुल गलत हैं।