Edited By Updated: 20 Apr, 2017 02:37 PM
केन्द्र की सत्ता संभालने के बाद डिजीटल इंडिया को बढ़ावा देने की ओर अग्रसर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस प्रयास को सफल करने के लिए सैंट्रल बोर्ड
लुधियाना (विक्की): केन्द्र की सत्ता संभालने के बाद डिजीटल इंडिया को बढ़ावा देने की ओर अग्रसर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस प्रयास को सफल करने के लिए सैंट्रल बोर्ड ऑफ सैकेंडरी एजुकेशन पूरी जिम्मेदारी के साथ कदम बढ़ा रहा है। इस शृंखला में बोर्ड ने इस वर्ष से वार्षिक परीक्षाओं में स्टूडैंट्स के अंक भी मार्किंग सैंटरों से ऑनलाइन मंगवाने की व्यवस्था शुरू कर दी है, ताकि मोदी की इस योजना के गति मिलने के साथ-साथ स्टूडैंट्स का परिणाम भी तय समय पर बिना किसी विघ्न के घोषित हो सके।
इस शृंखला में सी.बी.एस.ई. ने इस बार आयोजित 10वीं और 12वीं की वार्षिक परीक्षाओं में भाग लेने वाले परीक्षार्थियों के अंक भी नोडल मार्किंग सैंटरों को ऑनलाइन ही बोर्ड में भेजने के लिए कहा है। सी.बी.एस.ई. के इस कदम से जहां छात्रों के अंक सैंटरों से ऑनलाइन ही अपलोड होंगे, वहीं इसमें अब गलती के भी चांस कम हो जाएंगे। हालांकि बोर्ड ने अपलोड किए जाने वाले अंकों की हार्ड कॉपी भी अपने पास मंगवाई है।
मई के तीसरे सप्ताह में परिणाम घोषित करने की तैयारी
बता दें कि 5 राज्यों में विधानसभा चुनावों के चलते कुछ देरी के साथ शुरू हुईं, जोकि अभी तक चल रही हैं। इसके चलते अब विद्यार्थियों को संभावना है कि इस बार बोर्ड द्वारा परिणाम भी देरी के साथ ही घोषित किए जाएंगे लेकिन पहले से ही ऐसी संभावनाओं के मद्देनजर बोर्ड ने अपनी कार्यशैली को और अधिक हाईटैक करते हुए मई के तीसरे सप्ताह में ही परिणाम घोषित करने की तैयारी कर रखी है। हालांकि 10वीं कक्षा के परिणाम मई के चौथे सप्ताह या जून के आरंभ में आ सकते हैं लेकिन 12वीं के परिणाम तीसरे सप्ताह में ही आने की संभावना है।
पहले यह थी प्रक्रिया
सी.बी.एस.ई. द्वारा विभिन्न जिलों में नोडल मार्किंग सैंटर बनाए जाते हैंं, जहां परीक्षार्थियों के विषय मुताबिक पेपरों की चैकिंग का काम एग्जामिनर द्वारा किया जाता है। पिछले वर्ष तक नोडल मार्किंग सैंटरों को चैक किए पेपरों के अंकों के आधार पर लिस्टें बनाकर बोर्ड को भेजनी होती थीं, जिसके बाद बोर्ड द्वारा इसे कम्प्यूटर पर अपलोड किया जाता था। सूत्र बताते हैं कि कई बार अंक अपलोड करते समय तकनीकी गलतियां होने से बच्चों के अंक टोटल में फर्क पड़ जाता था। हालांकि इसे बाद में दुरुस्त भी करने की प्रक्रिया परिणाम घोषित करने से पहले अमल में लाई जाती थी लेकिन ऐसे में समय की बर्बादी काफी होती थी।