Edited By Punjab Kesari,Updated: 19 Dec, 2017 11:17 AM
सनातन धर्म में माघ माह में देश-विदेश से श्रद्धालु इलाहाबाद स्नान के लिए जाते हैं। रेलवे ने यात्रियों को सुविधाएं देने के लिए टिकटों पर उपकर लगाने की योजना बनाई है। दूसरी तरफ टिकट बुकिंग में फलैक्सी किराया सिस्टम लाकर रेल यात्रियों की झेलनी पड़ रही...
लुधियाना(विपन): सनातन धर्म में माघ माह में देश-विदेश से श्रद्धालु इलाहाबाद स्नान के लिए जाते हैं। रेलवे ने यात्रियों को सुविधाएं देने के लिए टिकटों पर उपकर लगाने की योजना बनाई है। दूसरी तरफ टिकट बुकिंग में फलैक्सी किराया सिस्टम लाकर रेल यात्रियों की झेलनी पड़ रही नाराजगी को दूर करने की योजना भी है।सूत्रों के अनुसार माघ मेले दौरान स्थानीय औद्योगिक नगरी से बड़ी संख्या में श्रद्धालु माघ स्नान के लिए संगम नगरी इलाहाबाद जाने वाले यात्रियों को यह थोड़ा महंगा पड़ सकता है। क्योंकि माघ मेले दौरान यात्रियों को सुविधाएं देने के लिए रेलवे टिकटों पर अलग से सरचार्ज लेने की योजना लागू करता है, जो मेले की समाप्ति के बाद हटा दिया जाता है।
इलाहाबाद के यात्रियों को कितना देना होगा अतिरिक्त शुल्क
वातानुकूलित प्रथम श्रेणी यान (फस्र्ट ए.सी.) की टिकट पर 40 रुपए।
वातानुकूलित द्वितीय श्रेणी (सैकेंड ए.सी.) की टिकट पर 30 रुपए।
वातानुकूलित तृतीय श्रेणी यान (थर्ड ए.सी.) की टिकट पर 20 रुपए।
शयनयान (स्लीपर) टिकट पर 10 रुपए।
साधारण टिकट पर 5 रुपए।
रेलवे ला सकता है डायनामिक प्राइजिंग
रेल प्रशासन द्वारा हवाई यात्रा की तरह ट्रेनों में भी टिकट बुकिंग के किराए में फलैक्सी सिस्टम लागू किया गया है, जिस कारण कई बार यात्रियों को ट्रेन की यात्रा का किराया हवाई यात्रा के समान या अधिक पड़ जाता है, जिससे यात्रियों में भारी नाराजगी व्याप्त है। यात्रियों की इस नाराजगी को दूर करने के लिए रेलमंत्री पीयूष गोयल ने एक साक्षात्कार दौरान फलैक्सी किराए के स्थान पर गत्यात्मक टिकट मूल्य (डायनामिक प्राइसिंग) लागू करने की बात कही है। उन्होंने कहा कि फलैक्सी किराया प्रणाली के स्थान पर गत्यात्मक (डायनामिक फेयर) सिस्टम रखा जा सकता है, जिससे डिमांड के वक्त किराया बढ़ जाता है तो ट्रेनों में भीड़ कम रहने पर किराए में रियायत भी दी जानी चाहिए।
1 वर्ष में करोड़ों का लाभ हुआ रेलवे को
ट्रेनों में फलैक्सी किराया प्रणाली लागू करते हुए रेलवे द्वारा ट्रेन की शुरूआती 10 प्रतिशत सीटें भरने के बाद अगली 10 प्रतिशत सीटों के लिए टिकटों के दाम बढ़ा दिए जाते हैं। इनके भरने पर फिर अगली सीटों पर किराया और बढ़ जाता है। सूत्रों के अनुसार फलैक्सी किराया योजना को लागू करने के बाद रेल प्रशासन को 1 वर्ष के भीतर 500 से 600 करोड़ रुपए के बीच अधिक राजस्व की प्राप्ति हुई है। लोगों को खुश करने के लिए फलैक्सी किराया प्रणाली की समीक्षा की जा रही है, जिससे ऑफ सीजन में जब ट्रेन पूरी तरह भरी नहीं रहेगी तो यात्रियों को टिकटें कम दाम पर मिलेंगी।