Edited By Urmila,Updated: 24 May, 2025 05:55 PM

शहर में ठगी का एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने न सिर्फ पुलिस को चौंका दिया है, बल्कि आम जनता को भी सोचने पर मजबूर कर दिया है।
बठिंडा (विजय वर्मा): शहर में ठगी का एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने न सिर्फ पुलिस को चौंका दिया है, बल्कि आम जनता को भी सोचने पर मजबूर कर दिया है। बठिंडा के मनोचा कॉलोनी निवासी और बैंक के पूर्व वरिष्ठ प्रबंधक ओम प्रकाश गुप्ता से शेयर मार्केटिंग के नाम पर 1.11 करोड़ रुपये की ठगी की गई। यह ठगी इतनी शातिराना तरीके से की गई कि वर्षों तक बैंक धोखाधड़ी से लोगों को सतर्क करने वाला यह पूर्व मैनेजर खुद शिकार बन गया।
फर्जी कंपनी और हाई-टेक जालसाज
20 मई 2025 को जब ओम प्रकाश अपने घर पर थे, तभी उन्हें एक अनजान व्हाट्सएप ग्रुप में जोड़ लिया गया। इस ग्रुप में रिद्धि नाम की एक महिला ने खुद को BlinkX Pro Securities कंपनी की प्रतिनिधि बताया, जो शेयर बाजार में निवेश सेवाएं देती है। ग्रुप में एक अन्य शख्स, जिसने खुद को केशव बत्रा और कंपनी का स्टॉक एनालिस्ट बताया, रोज़ाना बाजार की रिपोर्ट शेयर करता और लोगों को निवेश करने के लिए प्रेरित करता था।
फर्जी एप और मुनाफे का लालच
रिद्धि ने ओम प्रकाश को कंपनी का एक एप गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड करवाया और अकाउंट बनवा दिया। शुरुआत में 50,000 रुपये निवेश करने पर एप में वह रकम दिखने लगी और धीरे-धीरे निवेश बढ़ता गया। मार्च 2025 तक उन्होंने 4.5 लाख रुपये तक निवेश कर दिया और दिखाया गया कि उन्हें 10 लाख का मुनाफा हुआ है। जब उन्होंने 7,000 रुपये निकाले और वह उनके खाते में आ भी गए, तो उनका विश्वास पूरी तरह से बन गया।
1.11 करोड़ का निवेश और 2.46 करोड़ का झांसा
पीड़ित ने इसके बाद 6 मई तक कई किस्तों में कुल 1 करोड़ 11 लाख 90 हजार रुपये कंपनी के विभिन्न खातों में ट्रांसफर कर दिए। एप में उन्हें 2.46 करोड़ का लाभ दिखाया गया, लेकिन जब रकम निकालनी चाही तो कहा गया कि उन्हें 37 लाख रुपये टैक्स देना होगा। यहीं से ओम प्रकाश को शक हुआ, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
पुलिस में शिकायत, अब तक कोई सुराग नहीं
जब उन्होंने कंपनी से पैसे वापस मांगने की कोशिश की तो तरह-तरह के बहाने बनाए गए। अंत में जब उन्होंने जांच की, तो पता चला कि कंपनी पूरी तरह फर्जी है। उन्होंने तुरंत साइबर क्राइम थाना, बठिंडा में शिकायत दी, जिसके बाद पुलिस ने अज्ञात आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। फिलहाल, पुलिस जांच कर रही है लेकिन आरोपियों का कोई सुराग नहीं मिला है।
सवालों के घेरे में सुरक्षा तंत्र
सबसे बड़ा सवाल ये उठता है कि कैसे एक अनुभवी बैंक अधिकारी, जिसने अपनी नौकरी के दौरान दूसरों को सतर्क रहने की सलाह दी, खुद इस जाल में फंस गया? क्या साइबर फ्रॉड अब इतना शातिर हो चुका है कि किसी को भी भ्रमित किया जा सकता है?
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