Edited By Kalash,Updated: 07 Aug, 2022 09:55 AM
पंजाब में क्रशर इंडस्ट्री पर मुसीबतों के बादल मंडराए हुए हैं
पठानकोट (आदित्य): पंजाब में क्रशर इंडस्ट्री पर मुसीबतों के बादल मंडराए हुए हैं। जहां एक तरफ पड़ोसी राज्य हिमाचल व जम्मू-कश्मीर से सप्लाई होने वाले रेत-बजरी के ट्रकों के कारण नुक्सान उठाना पड़ रहा है, वहीं अब पंजाब सरकार द्वारा क्रशर इंडस्ट्री को राहत देने की बजाय जरूरत से ज्यादा दखलअंदाजी के कारण माइनिंग ठेकेदारों व क्रशर उद्यमियों को मजबूरन अपना काम बंद करना पड़ा है। मौजूदा समय में होशियारपुर व अन्य जिलों के साथ जिला पठानकोट की क्रशर इंडस्ट्री भी इन्हीं बुरे हालातों से गुजर रही है।
हालांकि जिले के सभी क्रशर उद्यमियों ने प्रशासनिक अधिकारियों के समक्ष अपनी मुश्किलें रखी थीं, लेकिन उसके बावजूद पुलिस की रोजाना कार्रवाइयों से परेशान होकर इंडस्ट्री को बंद करना पड़ा है। इसके कारण क्रशरों पर चल रहा काम तथा टिप्पर, ट्रक, ट्रालियों, पोकलेन, जे.सी.बी. मशीनों के मालिकों एवं ड्राइवरों का रोजगार छिन गया है। पठानकोट ब्लाक-6 के अधीन चल रही क्रशर इंडस्ट्री को माइनिंग ठेकेदारों द्वारा पिछले 15 दिनों से बंद रखने की वजह से करोड़ों रुपयों का नुक्सान होने का अनुमान है। साथ ही सरकार को मिलने वाले रैवेन्यू में भी भारी घाटा हो रहा है।
पंजाब की क्रशर इंडस्ट्री बंद होने के चलते सीधा फायदा हिमाचल व जे. एंड के. के क्रशरों को मिल रहा है तथा पंजाब के लोगों को अपने घर व बिल्डिंगों के निर्माण हेतु इन पड़ोसी राज्यों से महंगे दामों पर रेत-बजरी मंगवाकर नुक्सान उठाना पड़ रहा है। पंजाब की इंडस्ट्री पर आई इस मुसीबत की वजह से मैटीरियल के रेट कम से कम 5-6 रुपए सक्वेयर फुट बढ़े हैं। दूसरी तरफ सरकार द्वारा इंटर स्टेट बार्डर खोलने और बाहरी राज्यों से आने वाली सप्लाई के लिए लगाए जाने वाले नाकों की कार्रवाई नाममात्र करने से रोजाना सैंकड़ों की संख्या में ट्रक-टिप्पर पंजाब में एंट्री कर रहे हैं और इनमें काफी संख्या में वाहन बिल अथवा जरूरी कागजात के बिना रेत-बजरी सप्लाई कर रहे हैं। इसके लिए रात्रि के समय का भी फायदा उठाया जा रहा है।
इस संबंधी पंजाब स्टोन क्रशर यूनियन के पदाधिकारियों का कहना है कि बरसात के मौसम में खड्डों में पानी आने के चलते वह क्रशरों पर पड़े स्टॉक से माल तैयार कर रहे हैं, लेकिन इस कार्य पर भी कई पाबंदियां उन्हें परेशान करने वाली हैं। प्रशासन की जरूरत से अधिक दखलअंदाजी असहनीय होने के चलते वे इंडस्ट्री बंद करने को मजबूर हो गए हैं। उनका कहना है कि जब तक उन्हें सही तरीके से काम करने लायक माहौल नहीं मिलता, तब तक इंडस्ट्री बंद रहेगी।
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