मंत्री पद न मिलने से कांग्रेसी विधायकों में उबाल

Edited By Punjab Kesari,Updated: 12 Sep, 2017 01:13 AM

congress mlas get boiled due to non appointment of minister

सत्ता में आने के 6 महीने के भीतर ही कांग्रेस सरकार में अंदर ही अंदर असंतोष की ऐसी...

जालंधर(रविंदर शर्मा): सत्ता में आने के 6 महीने के भीतर ही कांग्रेस सरकार में अंदर ही अंदर असंतोष की ऐसी आग सुलगने लगी है कि कभी भी विस्फोट हो सकता है। प्रदेश के मुख्यमंत्री की कार्यप्रणाली से न तो पार्टी के विधायक खुश हैं और न ही संगठन के नेता। पार्टी विधायक मंत्री पद न मिलने से नाराज चल रहे हैं तो संगठन के नेता अपनी सरकार होने के बावजूद काम न होने के कारण नाराज हैं। 


पार्टी में उठ रहा यह उबाल कभी भी बगावत का रूप धारण कर सकता है। फिलहाल पार्टी के नेता व विधायक गुरदासपुर लोकसभा उपचुनाव का इंतजार कर रहे हैं और यहां की जीत या हार के समीकरण आगे की रणनीति तय करेंगे। पार्टी के कई सीनियर विधायक तो इस कारण गुस्से में हैं कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने मंत्रिमंडल विस्तार जानबूझ कर रोका हुआ है। इन विधायकों का तो अब सब्र का पैमाना भी छलकने लगा है। 16 मार्च को मुख्यमंत्री समेत 10 मंत्रियों ने शपथ ग्रहण की थी। इसके बाद से लगातार मंत्रिमंडल विस्तार टलता रहा। 


विधायकों का कहना है कि यह जानबूझ कर लटकाया जा रहा है और कैप्टन अपनी मनमर्जी से इस सरकार को चला रहे हैं। ऐसा करने से न केवल विधायकों में असंतोष फैल रहा है बल्कि साथ ही कई विभागों की फाइलों का अंबार लंबा होता जा रहा है और सरकारी कामकाज लगातार लटक रहे हैं। अधिकांश विधायकों का कहना है कि कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने चुनाव से पहले पक्का वायदा किया था कि उन्हें कैबिनेट मंत्रालय या चेयरमैनी से नवाजा जाएगा। असंतोष की लहर सबसे ज्यादा उन विधायकों में हैं जो 4 से 5 बार विधायक बन चुके हैं। उनका कहना है कि अगर अब भी मंत्री पद नहीं मिला तो फिर कब मिलेगा।


इन सीनियर विधायकों का तो यहां तक कहना है कि कैप्टन का यह कहना कि वह आखिरी बार मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं, भी पार्टी को कमजोर करने की नीति है। यही नहीं कैप्टन की अकाली नेताओं सुखबीर बादल व बिक्रम मजीठिया के खिलाफ नरम नीति से भी उनमें अंदर ही अंदर उबाल पैदा हो रहा है। अधिकांश विधायक इस बात के हिमायती हैं कि सुखबीर व मजीठिया के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।


यूथ ब्रिगेड के नौजवान विधायक जो दो-दो बार विधायक बन चुके हैं, उनमें भी खासा आक्रोश पाया जा रहा है। इन नेताओं का कहना है कि इलाके में एस.एस.पी. व डी.सी. पूछते नहीं हैं और सरकार में उनको कोई तवज्जो नहीं दी जाती, ऐसे में वह जाएं तो कहां जाएं। 2 दिन पहले फिरोजपुर से कांग्रेसी विधायक परमिंद्र सिंह पिंकी की ओर से खुले शब्दों में मुख्यमंत्री के दफ्तर में एक सीनियर अधिकारी के खिलाफ उठाई आवाज ने भी पार्टी के अंदर चल रही बगावत को आग दे दी है। इस पर न केवल कैप्टन बल्कि जाखड़ भी चुप हैं। 


मौजूदा समय में कांग्रेस के पास 77 विधायक हैं। इनमें से 10 मंत्री पद पर तो दो स्पीकर व डिप्टी स्पीकर पद पर हैं। बाकी बचे 65 विधायकों में से 34 पहली बार विधायक बने हैं, जबकि 31 इस उम्मीद में हैं कि कब उन्हें मंत्री बनने का मौका मिलेगा। इनमें 5 बार के विधायक बने अमृतसर सैंट्रल से ओमप्रकाश सोनी, लुधियाना नार्थ से राकेश पांडे और चार बार विधायक बने काका रणदीप नाभा, गुरमीत सिंह सोढी व अमरीक सिंह ढिल्लों शामिल हैं। इसी तरह तीसरी बार विधायक बने बलबीर सिद्धू, दर्शन सिंह बराड़, गुरप्रीत कांगड़, निर्मल सिंह शुतराणा, डेरा बाबा नानक से सुखजिंदर रंधावा, सुरेंद्र कुमार डाबर, सुरजीत धीमान, सुख सरकारिया, संगत सिंह गिल्जियां शामिल हैं। 


यूथ ब्रिगेड से दूसरी बार विधायक बने कुलजीत नागरा, भारत भूषण आशू, विजय इंद्र सिंगला, शाम सुंदर अरोड़ा, रमनजीत सिंह सिक्की, रजनीश बब्बी, परमिंदर पिंकी, अमरेंद्र राजा वङ्क्षडग, गुरकीरत कोटली, हरप्रताप अजनाला, कुशलदीप ढिल्लों व नवतेज चीमा भी मंत्री पद की दौड़ में हैं।
 

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