कांग्रेसी नेता चेयरमैनी को तरसे, कइयों ने उम्मीदें छोड़ीं

Edited By swetha,Updated: 29 Aug, 2018 10:33 AM

congress leader urged chairman many left the expectations

कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद पिछले डेढ़ साल में सैंकड़ों बार कभी चंडीगढ़ तो कभी पटियाला का चक्कर लगाने वाले कांग्रेसी नेताओं की हिम्मत अब जवाब देने लगी है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह की कार्यप्रणाली से निराश कई कांग्रेसी नेताओं ने अपने...

जालंधर(रविंदर): कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद पिछले डेढ़ साल में सैंकड़ों बार कभी चंडीगढ़ तो कभी पटियाला का चक्कर लगाने वाले कांग्रेसी नेताओं की हिम्मत अब जवाब देने लगी है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह की कार्यप्रणाली से निराश कई कांग्रेसी नेताओं ने अपने भविष्य की उम्मीदें छोड़ दी हैं। विपक्ष में रहकर 10 साल तक अकाली-भाजपा के खिलाफ मुकाबला करने वाले इन नेताओं को सरकार बनने के बाद बेहद उम्मीदें थीं, मगर ज्यादातर कांग्रेसी चेयरमैनी को तरस रहे हैं और कइयों ने चेयरमैन बनने की उम्मीदें छोड़ दी हैं। 

अकाली-भाजपा सरकार की मनमानियों के खिलाफ कांग्रेस के कर्मठ नेताओं व कर्मठ वर्करों ने ही सड़कों पर उतर कर धरने लगाए थे। अनेकों ने लाठियां खाई थीं और कइयों के खिलाफ झूठे-सच्चे केस भी दर्ज किए गए थे। मगर कांग्रेसी वर्करों व नेताओं ने हार नहीं मानी थी, इस उम्मीद में कि राजनीति ही उनका भविष्य है। जब विधानसभा चुनाव में टिकटें  मिलने की बारी आई तो इन दूसरी कतार के नेताओं को यह कह कर शांत करवा दिया गया कि सत्ता में आते ही उन्हें चेयरमैनी दी जाएगी। इस उम्मीद में इन नेताओं ने पूरी मेहनत से अपनी पार्टी की जीत में दिन-रात एक कर दिया। 

वहीं, कैप्टन ने जो वायदा किया था कि चुनाव लडने वाले या किसी भी विधायक या किसी विधायक के परिवार से किसी को भी बोर्ड व निगम में चेयरमैनी का पद नहीं दिया जाएगा मगर सत्ता में आते ही कैप्टन के सुर बदल गए। न केवल कई सीनियर विधायकों की अनदेखी की गई और उन्हें कैबिनेट में न लेकर उनके राजनीतिक भविष्य को अंधकार में धकेल दिया गया, बल्कि अपने वायदे से पलटते हुए कैप्टन ने जिन लोगों को चेयरमैनी का वायदा किया था, उसे भी भूला दिया। अब कैप्टन अपने खासमखास कुछ और विधायकों को चेयरमैनी के पदों पर एडजस्ट करने की योजना बना रहे हैं। इसको लेकर विधानसभा में बिल भी पास करवा चुके हैं। 

वहीं, अब 10 सालों से अपनी जमीन-जायदाद व घर-बार बेचकर पार्टी की सेवा कर रहे नेताओं को पूरी तरह से नजरअंदाज किया जा रहा है। पटियाला के चक्कर लगा कर अब ये नेता थक-हारकर घर बैठने पर मजबूर हो गए हैं। कइयों को अपना राजनीतिक भविष्य अंधकारमय दिखाई दे रहा है। कुछ बगावत के मूड में हैं। विकास फंड न मिलने से निराश पार्टी विधायक अब खुद ही वर्करों को घरों में बैठने की नसीहत दे रहे हैं। इन हालातों में आने वाले 2019 लोकसभा चुनावों में कांग्रेस की प्रदेश में दुर्गति होना तय नजर आ रहा है। 

जिन्हें वायदा किया, उनके साथ वायदे को निभाएं कैप्टन : बाजवा
पूर्व प्रदेश प्रधान व राज्यसभा सांसद प्रताप सिंह बाजवा का कहना है कि वर्कर ही पार्टी की रीढ़ की हड्डी होता है और वर्करों के सिर पर ही चुनाव जीता जाता है। अगर नेताओं को चुनावों से पहले चेयरमैनी का वायदा किया गया था तो उसे पूरा किया जाए। वायदा पूरा न करना इन वर्करों के साथ विश्वासघात होगा।

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