EVM में गड़बड़ी को मुद्दा बना मुहिम चलाने की तैयारी में कांग्रेस

Edited By Punjab Kesari,Updated: 11 Jan, 2018 10:36 AM

congress in preparation for campaigning in evm issue

उत्तर प्रदेश में हुए निकाय चुनावों में शहरी क्षेत्रों में ई.वी.एम. से हुई वोटिंग में भाजपा जीती, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में बैलेट पेपर के साथ हुई वोटिंग में भाजपा हार गई।

जालंधर (पाहवा): उत्तर प्रदेश में हुए निकाय चुनावों में शहरी क्षेत्रों में ई.वी.एम. से हुई वोटिंग में भाजपा जीती, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में बैलेट पेपर के साथ हुई वोटिंग में भाजपा हार गई। इस बात को लेकर ई.वी.एम. में गड़बड़ी की शंका को लेकर देशभर में विपक्षी दल मुद्दा बना रहे हैं। गुजरात चुनाव से पहले भी इस मसले पर काफी बवाल हुआ लेकिन इस मामले में कांग्रेस ने खुलकर कुछ नहीं कहा, लेकिन सियासी हलकों में ई.वी.एम. पर उठते सवालों को देखते हुए कांग्रेस में भी इसे लेकर मंथन चल रहा है। 


आगामी असैम्बली चुनावों के मद्देनजर कांग्रेस इस मुद्दे को उठाने की योजना बना रही है। जानकारी मिली है कि इसे लेकर कांग्रेस विपक्षी दलों के साथ एक बैठक करने की योजना भी बना रही है। कांग्रेस ने दूसरे दलों को टटोलना भी शुरू कर दिया है। उल्लेखनीय आप, समाजवादी पार्टी, हर्दिक पटेल आदि ने ई.वी.एम. के साथ छेड़छाड़ की आशंका जताते हुए सवाल खड़े किए थे। गुजरात चुनाव के दौरान भी कांग्रेस के कुछ नेताओं व हार्दिक पटेल की ओर से ई.वी.एम. में गड़बड़ी की आशंका जाहिर की गई थी। इतना ही नहीं, गुजरात चुनाव के दौरान कांग्रेस ने मांग की थी कि 25 फीसदी वी.वी.पैट पॢचयों की गिनती करवाई जाए ताकि ई.वी.एम. और वी.वी.पैट का तुलनात्मक अध्ययन किया जा सके। सुप्रीम कोर्ट ने इस मांग को खारिज कर दिया था।


 सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस विपक्षी दलों की बैठक बुलाकर आगे की रणनीति पर फोकस कर सकती है। ई.वी.एम. को लेकर कांग्रेस के भीतर यह भी राय सामने आ रही है कि नॉर्थ ईस्ट के चुनावों का बॉयकॉट किया जाए ताकि सरकार, चुनाव आयोग और सुप्रीम कोर्ट पर दबाव बन सके। उल्लेखनीय है कि आने वाले दिनों में त्रिपुरा, मेघालय और नागालैंड में चुनाव होने हैं। हालांकि कांग्रेस को लग रहा है कि इस विचार से दूसरे दल शायद सहमत न हों। इसके अलावा चुनावों के बॉयकॉट से यह संकेत जा सकता है कि पार्टी का लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भरोसा नहीं है। कर्नाटक कांग्रेस की ओर आयोग से मांग की गई है कि लगभग 150 ई.वी.एम. की रैंडम सैंपङ्क्षलग की जाए। पार्टी के सीनियर नेता का कहना था कि वह अन्य दलों के साथ विचार-विमर्श कर आगे की राह तय करेंगे, क्योंकि यह ऐसा मुद्दा है, जिस पर वह अकेले कोई फैसला नहीं ले सकते।


स्कूलों में ई.वी.एम. का पाठ पढ़ाएगी सरकार  
 चुनाव आयोग की कोशिशों के बावजूद राजनीतिक दल लगातार ई.वी.एम. और वी.वी.पेट की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर रहे हैं और यही कारण है सरकार अब स्कूल और कॉलेज छात्रों को ई.वी.एम. और वी.वी.पेट से न केवल परिचय कराएगी बल्कि उसकी सत्यता और विश्वसनीयता भी बताएगी। चुनाव आयोग का मानना है कि यदि पहली बार वोटर बने मतदाताओं को इसके बारे में सही जानकारी दे दी जाए तो वे ई.वी.एम. और वी.वी.पेट के बारे मे भ्रामक खबरों पर विश्वास नहीं करेंगे और लोगों को जागरूक करने का काम भी करेंगे। इसके साथ ही युवाओं के लिए चुनाव पाठशाला का आयोजन भी किया जाएगा। चुनाव आयोग ने भावी और नए मतदाताओं की चुनावी प्रक्रिया में भागीदारी के लिए सभी स्कूलों-कालेजों में चुनाव साक्षरता क्लब यानी इलैक्ट्रोरल लिटरेसी क्लब गठित करने के निर्देश दिए हैं। इसमें कक्षा 9वीं से 12वीं तक के छात्र-छात्रा सदस्य के रूप में रहेंगे। इन इलैक्ट्रोरल लिटरेसी क्लब के गठन की प्रक्रिया 25 जनवरी को राष्ट्रीय मतदाता दिवस से शुरू की जाएगी। क्लब का संचालन एक कार्यकारी समिति के माध्यम से किया जाएगा। कैम्पस एम्बैस्डर क्लब के सदस्य का भी कार्य करेंगे तथा वे नोडल अधिकारी को सहयोग करेंगे। राजनीतिशास्त्र के शिक्षक को नोडल ऑफिसर और मेंटर बनाया जाएगा।

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