Edited By Updated: 08 Dec, 2016 10:51 AM
विधानसभा चुनाव के लिए कुर्सी की दौड़ में आगे निकलने के चक्कर में कांग्रेस ऐसे फैसले ले रही है जो उसके गले की फांस बनते लग रहे हैं।
जालंधर : विधानसभा चुनाव के लिए कुर्सी की दौड़ में आगे निकलने के चक्कर में कांग्रेस ऐसे फैसले ले रही है जो उसके गले की फांस बनते लग रहे हैं। कांग्रेस ने अकाली दल से निकले या निकाले गए 6 में से 5 विधायकों को पार्टी में शामिल कर लिया है लेकिन यदि हम इन सीटों पर कांग्रेस की स्थिति का आकलन करें तो पता चलता है कि जिन 5 सीटों से अकाली विधायक पार्टी में शामिल हुए हैं उनमें से 3 सीटों पर तो कांग्रेस 2014 के लोकसभा चुनाव में ही वापसी कर चुकी है। हालांकि निहाल सिंह वाला और बाघापुराना सीटों पर कांग्रेस पार्टी दयनीय स्थिति में है लेकिन पार्टी ने अकाली दल के जिन चेहरों को कांग्रेस में शामिल किया है उनकी कमांड में ही इन सीटों पर 2014 के चुनाव में अकाली दल की दुर्गति हुई थी।
लोकसभा चुनाव में अपना ही घर बचाने में नाकाम रहे इन अकाली विधायकों के जरिए कांग्रेस सीट जीत पाती है या नहीं यह वक्त तय करेगा लेकिन इन अकाली विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने के बाद कांग्रेस में बगावत के आसार नजर आ रहे हैं। बगावत की संभावना के चलते ही पार्टी ने उम्मीदवारों की 4 दिसम्बर को जारी होने वाली सूची रोक दी थी और बताया जा रहा है कि वह अब 8 दिसम्बर के बाद जारी होगी। बगावत के असर को कम करने के लिए कांग्रेस सिर्फ उन्हीं विधायकों को टिकट देने का फैसला कर सकती है जिनका अपने हलकों में मजबूत आधार है। ऐसी स्थिति में निहाल सिंह वाला, बाघापुराना के विधायकों को टिकट मिलने की संभावना नजर नहीं आ रही। इन दोनों हलकों के साथ-साथ पार्टी ने अमृतसर साऊथ, जालंधर कैंट और करतारपुर के अकाली विधायकों को पार्टी में शामिल किया है। हम इन सीटों का विश्लेषण अपने पाठकों के सामने पेश कर रहे हैं।