Edited By Vaneet,Updated: 29 Mar, 2019 08:49 PM
होशियारपुर में प्रतिभा की कमी नहीं है। इसको सच कर दिखाया है ....
होशियारपुर(अमरेन्द्र): होशियारपुर में प्रतिभा की कमी नहीं है। इसको सच कर दिखाया है होशियारपुर के कुलदीप की टीम में शामिल पुनीत मिन्हास, वैभव, तरण व करणजोत की टीम ने। शुक्रवार को कुलदीप की टीम ने प्रैस क्लब में कबाड़ से जुगाड़ कर बहुत कम लागत में सी.एन.सी. यानि कम्प्यूटराइज्ड न्यूमैरिकल कंट्रोल मशीन का प्रदर्शन मीडिया के समक्ष पेश कर मिसाल कायम की है।
सी.एन.सी. ने बदल दी है दुनिया
प्रैस क्लब में मीडिया को संबोधित करते हुए अपने टीम के साथ कुलदीप ने बताया कि सी.एन.सी.यानि कम्प्यूटराइज्ड न्यूमैरिकल कंट्रोल मशीन ने पूरी इंडस्ट्री बदल दी है। इंडस्ट्री का एडवांसमेंट हो चुका है। पहले इंडस्ट्री में हम भी मैनुअल मशीनों से काम करते थे लेकिन सी.एन.सी. मशीनों को लगाने के बाद काम में एकदम बदलाव आ गया। सी.एन.सी. मशीनों से एक्यूरेसी ठीक होती है। इस मशीन की सहायता से कम्प्यूटर पर तैयार हर डिजाइन को लकड़ी, लोहे व अन्य मैटल पर हू-ब-हू वही डिजाइन मिलती है। इसका लाभ उद्यमियों को मिलता है।
खराद मशीन का एडवांस रुप है सी.एन.सी. मशीन
कुलदीप कुमार ने बताया कि कम्प्यूटराइज्ड न्यूमैरिकल कंट्रोल मशीन आम बोल-चाल की भाषा में खराद मशीन का एडवांस रुप है। खराद मशीन मैनुअली काम करता है जबकि कम्प्यूटराइज्ड न्यूमैरिकल कंट्रोल मशीन को कम्प्यूटर की सहायता से कंट्रोल किया जाता है। इस मशीन को ऑपरेट करना बहुत ही सुरक्षित व सटीक होता है। यही कारण है कि आजकल हर इंडस्ट्री में
कम्प्यूटराइज्ड न्यूमैरिकल कंट्रोल मशीन की मांग है। इस मशीन की कीमत बहुत ज्यादा होने से कमर्शियली बड़ी-बड़ी इंडस्ट्री में ही हो रही है।
चार महीने की मेहनत से मिली सफलता
कुलदीप कुमार ने मीडिया को बताया कि कम्प्यूटराइज्ड न्यूमैरिकल कंट्रोल मशीन का उपयोग कम लागत से तैयार मशीन को कैसे बनाई जाए को ध्यान में रख सोचना शुरु किया। अपनी टीम के साथ लगातार 4 महीने के प्रयास ने अब जाकर हमें सफलता दिलाई है। कबाड़ से जुगाड़ कर
कम्प्यूटराइज्ड न्यूमैरिकल कंट्रोल मशीन तैयार करने में करीब 30 से 35 हजार रुपए का खर्च आया है।
सरकार आगे आकर करे प्रोत्साहन
कुलदीप व उसकी टीम ने बताया कि कम्प्यूटराइज्ड न्यूमैरिकल कंट्रोल मशीन का उपयोग छोटे बड़े सभी इंडस्ट्री में होती है। यदि सरकार आगे आ कर हमारे इस मॉडल को मान्यता दे इसका उत्पादन बड़े स्तर पर करे तो ना सिर्फ सरकार का बल्कि देश के तमाम छोटे व बड़े इंडस्ट्री चलाने वाले लोगों को लाभ पहुंचेगा।