आदेशों के खिलाफ कैमिस्टों में रोष की लहर

Edited By Updated: 28 Feb, 2017 12:09 PM

chemists in the wave of fury

केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने देश भर के समूह कैमिस्टों के लिए नया आदेश जारी करते हुए ड्रग्ज रूल के शैड्यूल एच.-1 के तहत आती सभी दवाइयों का 3 वर्ष तक रिकार्ड संभाल कर रखने के आदेश जारी किए हैं, जिससे कैमिस्टों में रोष की लहर पैदा हो गई है। जानकारी...

मोगा (ग्रोवर): केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने देश भर के समूह कैमिस्टों के लिए नया आदेश जारी करते हुए ड्रग्ज रूल के शैड्यूल एच.-1 के तहत आती सभी दवाइयों का 3 वर्ष तक रिकार्ड संभाल कर रखने के आदेश जारी किए हैं, जिससे कैमिस्टों में रोष की लहर पैदा हो गई है। जानकारी के अनुसार केन्द्र सरकार द्वारा दवाइयों के नशे के तौर पर हो रहे प्रयोग को रोकने के लिए दिन-प्रतिदिन सख्ती बढ़ाई जा रही है, जिसके चलते जहां कुछ दवाइयों को नार्कोटिक एक्ट के तहत लाया गया था, वहीं एच-1 कैटागरी के अंतर्गत आती दवाइयों संबंधी नया नियम बनाया गया है।

सूत्रों के अनुसार केन्द्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा एच-1 कैटागरी के अंतर्गत आती दवाइयों संबंधी नया नियम बनाया गया है, जिसके तहत प्रत्येक कैमिस्ट को इस कैटागरी के अंतर्गत आती समूह दवाइयों का खरीद रिकार्ड, बेचने का रिकार्ड, खरीदने वाले मरीज का पूरा, नाम तथा पता, संबंधित दवाई लिखने वाले डाक्टर का नाम, योग्यता आदि की जानकारी कैमिस्ट को एक अलग रजिस्टर में लिख कर रखने के साथ-साथ यह समूचा रिकार्ड 3 वर्ष तक संभाल कर रखना पड़ेगा, जिसको किसी भी समय ड्रग विभाग के अधिकारी चैक कर सकते हैं।

एच-1 कैटागरी में आती हैं कौन-सी दवाइयां
सूत्रों के अनुसार केन्द्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा ड्रग्ज एंड कॉस्मैटिक रूल के तहत शैड्यूल एच-1 में निम्नलिखित दवाइयां दर्ज की गई हैं। एल्प्राजोलम, बैलोफलोकसासिन, बुपरीनौरफिन, सपैरोमाइसिन, सैफडीनीर, सैफेपाइम, सैफटामैट, सीफगमिज, सैफोपैराजोन, सैफोटोकसिम, सैफपीरोम, फैपोडोकसिम, सैफटाजाइडिम, सैफटीबियूटन, सैफ्टीजोकसिम, सैफ्ट्रीएकसोन, क्लोरोडाईजीपोक्साइड, क्लोफाजाइम, कुडीन, साइक्लोसाइरीन, डाइजफाम, डाइफनओकसीलेट, डोरीपीनम, एराटापीनम, ईटमबियूटोल, हाईड्रोक्लोराइड, एथीनामाइड, फोरोपीनम, गैमीफलोकसासीन, इमीपैनम, आईसोनाइयाडाइज, लैवोफलोकसासीन, मैरोनियम, मीडाजोलम, मोकसीफ्लोकसासिन, निटरैजीपाम, पैंटाजोसिन, परूलीफ्लोकसासिन, पाइराजीनामाइड, रिबाबियूटिन, रिफैंपीसीन, सोडियम पैरा-एमीनोसैलीसिलेट, सपारफ्लोकसासीसन, थाईयासीटाजोन, ट्रोमाडोल, जैलपीडैम, बैंजोडाइजीपियन के नाम शामिल हैं। 

ऑनलाइन सरलता से मिल जाती हैं दवाइयां
एच-1 कैटागरी के तहत आती 200 के करीब ऐसी दवाइयों संबंधी चाहे कैमिस्टों पर सख्ती पूरी तरह की गई है, लेकिन दवाइयों का ऑनलाइन काम करने वाली बड़ी कंपनियों से ये दवाइयां बिना किसी रिकार्ड के सरलता से मंगवाई जा सकती हैं। दवाइयों का काम करते एक कैमिस्ट ने अपना नाम न प्रकाशित करने की सूरत में बताया कि कैमिस्टों को ऐसी किस्म की दवाइयां बेचने या रखने के लिए रिकार्ड संभालना पड़ता है, जबकि ऑनलाइन विधि द्वारा ये दवाइयां बिना किसी पर्ची या रिकार्ड से मिल जाती हैं। सूत्रों के अनुसार दवाइयों के व्यवसाय से जुड़े कुछ दलाल (2 प्रसैंटीए) ऑनलाइन दवाइयां मंगवा कर मरीजों व कैमिस्टों की दोहरी लूट करते हैं।

इस फैसले से 8 लाख कैमिस्ट व परिवार होंगे प्रभावित : जैन
केन्द्र सरकार के इस फैसले के खिलाफ चाहे देश भर के कैमिस्टों द्वारा विरोध जताने की संभावना है, वहीं मोगा रिटेल कैमिस्ट एसोसिएशन ने इस नादिरशाही आदेश के विरोध में संघर्ष शुरू कर दिया है। इस संबंधी एसोसिएशन के अध्यक्ष कोमल जैन, उपाध्यक्ष राजेश कोछड़, महासचिव राम नाथ ग्रोवर तथा कैशियर हरीश जिंदल ने कहा कि एच-1 दवाइयों का रिकार्ड 3 वर्ष तक संभाल कर रखने का फैसला कैमिस्टों पर लागू नहीं होने दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस फैसले से देश भर के 8 लाख कैमिस्ट तथा उनके परिवार प्रभावित होंगे। पहले ही प्रशासनिक अधिकारी कैमिस्टों की दुकानों पर नाजायज तथा बिना ड्रग अथॉरिटी के छापेमारी कर धक्केशाही कर रहे हैं तथा अब सरकार कैमिस्टों के कारोबार को ठप्प करने में लगी हुई है।

 

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