Edited By Vaneet,Updated: 10 Jul, 2019 09:39 PM
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने गैर कानूनी संगठन के तौर पर सिख फॉर जस्टिस (एस.एफ.जे.) पर भारत सरकार की ओर से ....
चंडीगढ़: पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने गैर कानूनी संगठन के तौर पर सिख फॉर जस्टिस (एस.एफ.जे.) पर भारत सरकार की ओर से लगाई गई पाबंदी के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने आज यहां एक बयान में कहा कि पाकिस्तान खुफिया एजेंसी (आईएसआई )का समर्थन प्राप्त इस संगठन की भारत विरोधी अलगाववादी गतिविधियों से देश की सुरक्षा के प्रति यह एक पहला कदम है। इस संगठन के साथ आतंकवादी संगठन के तौर पर सलूक किए जाने की जरूरत है। इस संगठन ने हाल ही के वर्षों के दौरान पंजाब में खुलकर दहशत की लहर चलाई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस संगठन ने सिख जनमत संग्रह 2020 संबंधी साजिश मुहिम पाकिस्तान की आई.एस.आई. के समर्थन के साथ चलाई है जिसे 2014 में शुरू किया गया था। देश की सुरक्षा के मद्देनजर एस.एफ.जे. और इससे जुड़े लोगों के विरुद्ध केंद्र सरकार सक्रियता से कदम उठाए ताकि इसकी असलियत दुनिया के सामने आ सके। एस.एफ.जे. की गैर कानूनी गतिविधियां देश के लिए चुनौती दी है। कैप्टन सिंह ने कहा कि हाल ही के वर्षों में एस.एफ.जे. ने पंजाब में आगजनी और हिंसा की कारर्वाई को अंजाम देने के लिए कुछ गरीब और भोले-भाले नौजवानों को उग्रपंथी बनने के लिए प्रेरित किया और फंड मुहैया करवाए। इसके मंसूबों का पता 30 जून, 2019 की घटना से हुआ। जब इंग्लैंड में एस.एफ.जे. के सक्रिय सदस्यों ने एजबेस्टन (बर्मिंघम) में भारत और इंग्लैंड के बीच विश्व कप क्रिकेट मैच के मौके पर पम्मा और उसके साथियों को जनमत संग्रह 2020 की टी-शर्ट पहनी देखी गई और ये क्रिकेट मैच के दौरान खालिस्तान का झंडा लहरा रहे थे।
उन्होंने बताया कि पिछले हफ्ते एस.एफ.जे. ने सोशल मीडिया पर एक पोस्टर भी डाला जिसमें खालिस्तान समर्थक सिखों को 9 जुलाई, 2019 के न्यूजीलैंड के विरुद्ध सेमीफाइनल के दौरान भारतीय टीम को उकसाने के लिए अपील की। मुख्यमंत्री ने कहा कि एस.एफ.जे और कश्मीरी अलगाववादियों के बीच मजबूत गठजोड़ देखने को मिला है जिसका मकसद पंजाब में फूट डाल कर देश की सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती खड़ी करना है।