Edited By Punjab Kesari,Updated: 09 Aug, 2017 04:26 AM
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने वन और लोक निर्माण विभाग को कारण बताओ नोटिस जारी
चंडीगढ़(अश्वनी): मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने वन और लोक निर्माण विभाग को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। मुख्यमंत्री ने पूछा है कि जब उन्होंने सफेदे की पौधे लगाने के लिए मना किया था, तो सड़क किनारे बेरोक-टोक यह पौध क्यों लगाई जा रही है।
मुख्यमंत्री कार्यालय की तरफ से जारी पत्र में कहा गया कि सी.एम. ने लोक निर्माण और वन विभाग को जुबानी हिदायत के जरिए सफेदे व पॉपुलर के पौधे लगाने को मना किया था, क्योंकि यह फलने-फूलने के लिए भूजल का ज्यादा मात्रा में इस्तेमाल करते हैं। यह देखने में आया है कि सड़क किनारे बेरोक-टोक सफेदे के पौधे लगाए जा रहे हैं वह इसका कारण जानना चाहते हैं। मुख्यमंत्री ने दोहराया कि हिदायतों का न केवल हू-ब-हू पालन किया जाए बल्कि सुनिश्चित किया जाए कि सड़कों व नहरों के किनारे, वन विभाग की बीड़ व जहां कहीं भी पौधे लगाए जाने हों, वहां ऐसे पौधे लगाएं जिनकी पैदावार में मिट्टी व आबो-हवा अनुकूल हो। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि राज्य में पारंपरिक वृक्ष,जैसे कि बबूल, बेर, शीशम, नीम, डेक, पलाश, आम आदि लगाने को प्रोत्साहित किया जाए।
पंजाब कांग्रेस ने घोषणा-पत्र में भी सफेदे के पौधारोपण पर अंकुश लगाने का वायदा किया था। कहा था कि राज्य की बायोडायवॢसटी को सफेदा प्रभावित कर रहा है, इसलिए स्थानीय पौधों को तवज्जो दी जाएगी। घोषणा-पत्र में कहा गया था कि पंजाब की हरियाली को 15 फीसदी तक पहुंचाए जाने को लेकर बड़े पैमाने पर पौधारोपण किया जाएगा।
नर्सरीज में तैयार हुए देसी सफेदे
मनाही के बावजूद राज्य की सरकारी नर्सरीज में देसी सफेदे के पौधे तैयार किए गए हैं। विभाग के कर्मचारियों की मानें तो उच्चाधिकारियों की तरफ से रोक को लेकर कोई ठोस दिशा-निर्देश जारी नहीं हुए। इसके चलते हर वर्ष की तरह नर्सरीज में पौध तैयार की गई है। प्रदेश में जहां पानी का ठहराव होता है, वहां पौधारोपण शुरू किया जा चुका है। ऐसा इसलिए भी है कि हर वर्ष प्रदेशभर में पौधारोपण का निर्धारित आंकड़ा तय किया जाता है। वन विभाग के डिवीजन स्तर पर पौधारोपण के लक्ष्य निर्धारित किए जाते हैं। पौधे तैयार करने से लेकर लगाने तक पर काफी खर्चा होता है। अब जबकि मुख्यमंत्री के लिखित आदेश जारी हो गए हैं तो लगाए पौधे नष्ट होने का खतरा खड़ा हो गया है। अगर पहले से ही ठोस दिशा-निर्देश जारी होते तो धन व समय की बर्बादी न होती।
आनन-फानन में जांच में जुटा वन विभाग
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह के आदेश जारी होते ही वन विभाग के प्रधान मुख्य वनपाल कुलदीप कुमार ने लिखित आदेश जारी कर पूरे मामले की जांच का आदेश दिया है। उनके मुताबिक पहले ही सभी अधिकारियों को सख्त आदेश हैं कि नर्सरीज में सफेदे और पॉपुलर की पौध तैयार न की जाए। इसलिए यह जांच का विषय है कि सफेदे कैसे लग गए। उनके मुताबिक सभी मुख्य वनपाल, समूह वनपाल और समूह वन मंडल अधिकारियों से एक सप्ताह के भीतर जांच रिपोर्ट जमा करवाने को कहा गया है।
इसके साथ यह भी सुनिश्चित करने के आदेश दिए गए हैं कि किसी भी सरकारी जमीन पर सफेदा व पॉपुलर की प्लांटेशन न की जाए। वहीं यह भी आदेश दिया गया है कि अधिकारी खुद फील्ड में जाकर चैकिंग करें और अगर किसी भी सरकारी जमीन पर सफेदा व पॉपुलर की प्लांटेशन नोटिस में आती है तो संबंधित अधिकारी व कर्मचारी पर सख्त कार्रवाई की जाए।