GST में बोगस बिलिंग का खेल हुआ तेज

Edited By Sunita sarangal,Updated: 05 Jan, 2021 03:47 PM

bogus billing under the nose of gst department

छानबीन करने पर पता चला कि राज्य के जी.एस.टी. विभाग के इंस्पैक्टर से लेकर डी.ई.टी.सी. तक सबको बोगस बिलिंग करने वाले.......

लुधियाना: लुधियाना में हर माह अरबों रुपए का बोगस बिलिंग का खेल खेला जा रहा हैं, लेकिन अधिकारी आंखे मूंदे बैठे हैं। छानबीन करने पर पता चला कि राज्य के जी.एस.टी. विभाग के इंस्पैक्टर से लेकर डी.ई.टी.सी. तक सबको बोगस बिलिंग करने वाले महाराथी लाखों रुपए महीना पहुंचाते है। जिसके चलते अधिकारियों को बोगस बिलिंग सामने होते हुए भी दिखाई नहीं देती। 

पंजाब केसरी ने जब बाजार में अपने स्तर पर छानबीन की तो लुधियाना में जाली बिल माफिया खिलाड़ियों ने 3 से 5 प्रतिशत की दर से बिल देने के लिए हामी भर दी। सारे खेल में स्टील ट्रेडर हौजरी का बिल ले रहे हैं और हौजरी वाले बैटरी बनाने वालों से बिल लेकर परचेज दिखा रहे हैं। इस खेल में सबसे मजेदार बात है कि बोगस बिलिंग करने वालों को विभाग जाली तरीके से जी.एस.टी. रिफंड की बिना जांच किए जारी कर रहा है। जिस पर किसी भी तरह का कोई चैक नही है। 

लुधियाना में करीब एक दर्जन ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्होंने जाली बिलिंग करने का खेल अपने हाथ में ले रखा हैं। इनमें हैबोवाल से कारोबार चलाने वाला नीरज और पुराने बाजारों में रिशु नामक किंगपिन अरबों रुपए की हर माह जाली बिलिंग कर रहे है। पता चला है कि रिशु नामक शखस ने तो दुबई में भी ऑफिस खोलकर आयात-निर्यात का अच्छा खासा खेल खेला है। विभाग से करोड़ों रुपए का रिफंड भी ले चुका है। इसके बावजूद विभागीय अधिकारी सब जानते हुए भी आंखे बंद करके बैठे हैं।

इसी तरह हैबोवाल से जाली बिलिंग का खेल चलाने वाला नीरज नोटबंदी के दौरान 300 करोड़ से ज्यादा की बैंकों के साथ ट्रांजेक्टशन कर चुका है। इसके आयकर विभाग के अधिकारियों के साथ भी नीचे से ऊपर तक अच्छे संबंध बताए जा रहे हैं। जिसके चलते नीचले अधिकारी ही इसके केस को ऊपरी अधिकारियों के जानकारी में आने नहीं देते। इन्हीं के ग्रुप में एक हैप्पी नामक शख्स भी है जो नट-बोल्ट, फास्टनर और साइकिल पार्ट्स की इंडस्ट्री को जाली बिलिंग देता है। 18 से 28 प्रतिशत की जी.एस.टी. की दर वाले बिल 3 से 5 प्रतिशत की दर से बाजार से इन खिलाड़ियों से खरीदे जाते हैं और खरीदने वाला अपनी परचेज के रूप में इन बिलों को दिखाता हैं। 

राज्य की जी.एस.टी. विभाग के अधिकारियों को पता होता है कि हौजरी वाले ने स्टील ट्रेडर के बिल परचेज के रूप में दिखाए है, लेकिन नोटों की खुशबु उनकी आंखों के आगे ऐसा पर्दा डालती है कि सब बिल सही ही दिखाई पड़ते है। इतना ही नहीं, उन्हीं बिलों पर खुलकर आई.टी.सी. भी क्लेम हो रहा है। अधिकारियों को इसके बदले में 50 हजार रुपए से लेकर 5 लाख रुपए महीने तक पहुंचता है। जिसके बाद उन्हें कुछ भी दिखाई नही देता। बेशक देशभर में दिसम्बर महीने में इकट्ठे होने वाले जी.एस.टी. ने सारे रिकार्ड तोड़ दिए, लेकिन पंजाब का जी.एस.टी. नीचे की ओर ही जा रहा है। उक्त दोनों किंगपिन को पकड़ने के लिए विजीलैंस भी फेल हो गई है।

बार-बार फोन करने पर भी नहीं हो सका अधिकारियों से संपर्क
राज्य के जी.एस.टी. विभाग के लुधियाना स्थित डिप्टी एसक्साइज एंड टेक्सेशन कमिश्नर तेजवीर सिंह सिदु और तीनों जिलों के एईटीसी से संपर्क करने की कोशिश की गई तो देर रात तक किसी भी अधिकारी ने फोन नही उठाया। डी.ई.टी.सी. का फोन तो देर रात तक बंद मिला।

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