विधानसभा के बजट सैशन में भाजपा की कारगुजारी शून्य, कैसे लड़ेंगे 117 सीटों पर अकेले चुनाव

Edited By Sunita sarangal,Updated: 08 Mar, 2020 08:30 AM

bjp s performance will zero in budget session of assembly

पंजाब के महत्वपूर्ण मुद्दों को सही ढंग से उठाने में नहीं सफल हो पा रही भाजपा

पठानकोट(शारदा): पंजाब विधानसभा के चुनाव वर्ष 2022 के शुरूआती माह में होने हैं और अभी लगभग 2 वर्ष का समय शेष है, परंतु राजनीतिक दलों ने अभी से भविष्य की चुनौतियों को देखते हुए अपनी योजनाएं बनानी शुरू कर दी हैं। इसी के चलते कांग्रेस ने इस वर्ष के बजट पर सबसे अधिक ध्यान देते हुए लोगों को लुभावने वाला और विकासात्मक बजट पेश करने का दावा किया है। 

मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह भी अपने सिपाहसलरों के साथ कई मुद्दों पर विपक्षी दलों के राजनीतिक हमलों का मुस्तैदी से मुकाबला करते हुए नजर आए। अकाली दल के लिए भी यह समय अत्यंत चिंतनीय है, क्योंकि सुखबीर बादल लोकसभा चुनाव जीतने के बाद दिल्ली प्रस्थान कर चुके हैं और ढींढसा परिवार के अकाली दल को अलविदा कहने से एक राजनीतिक झटका पार्टी को लग चुका है। 

परमिन्द्र सिंह ढींढसा जो अकाली विधायक दल के नेता थे, उनकी कमी भी पार्टी को खूब खली परंतु हर दिन अकाली दल बिक्रम सिंह मजीठिया के नेतृत्व में प्रतिदिन कोई न कोई मुद्दा लेकर सरकार पर हमला करता नजर आया जो इस बात को दर्शाता है कि अकाली अपनी खोई हुई राजनीतिक जमीन को पुन: हासिल करने के लिए बुरी तरह से हाथ पैर मार रहे हैं। भविष्य में उन्हें कितनी कामयाबी मिलती है यह तो आने वाला समय ही बताएगा।

जिस पार्टी की सीटें अधिक होंगी मुख्यमंत्री उसी का होगा
पंजाब के लोगों की नब्ज को समझते हुए लोकसभा चुनावों में मिली मोदी की भारी जीत और अकाली दल के पंजाब में राजनीतिक पैर न लग पाने के कारण भाजपा ने बड़े जोर-शोर से घोषणा की थी कि वह पंजाब में अकेले चलो की राजनीति पर आगे बढ़ेगी और अब वह अकाली दल की पिठलग्गू नहीं रहेगी। पंजाब के दूसरी बार प्रधान बने अश्विनी शर्मा के ताजपोशी समारोह भाजपा के 2 वरिष्ठम नेताओं ने खुले मंच से घोषणा कर डाली कि अब भाजपा या तो 117 सीटों पर चुनाव लड़ेगी या फिर गठबंधन हुआ तो 59 सीटों पर और इस बार भाजपा बड़े भाई की भूमिका में होगी और जिस पार्टी की सीटें अधिक होंगी मुख्यमंत्री उसी पार्टी का होगा। इसी मुद्दे को लेकर अश्विनी शर्मा को दोबारा प्रधान बनाया गया है। राजनीतिक विशेषज्ञों में उस समय इस घोषणा को जल्दबादी में लिए गए निर्णय तुल्य बताया। पहले पार्टी को अपना पंजाब में विस्तार कर लेना चाहिए था। 

सभी की नजरें टकसालियों और नवजोत सिंह सिद्धू पर
सर्वविदित तथ्य यह है कि पंजाब की जनता इस समय अपनी नजरें पूरी तरह से नवजोत सिंह सिद्धू के अगले राजनीतिक कदम पर जमाए हुए हैं और देखना चाहती है कि टकसाली किस प्रकार से अपना विस्तार करके तीसरे विकल्प को अमलीजामा पहनाते हैं। अगर कोई भरोसेमंद चेहरा लोगों के समक्ष तीसरे विकल्प को लीड करता है तो अचानक ही वह ग्रुप लाइम लाइट में आ जाएगा और सभी का फोकस उस ग्रुप पर टिक जाएगा। इन्हीं परिस्थितियों के चलते कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और टकसाली एक भरोसेमंद चेहरा नवजोत सिंह सिद्धू के रूप में अपने हाथ से नहीं जाने देना चाहते।

‘आप’ की गतिविधियों को सभी ने गंभीरता से लेना शुरू किया
अचानक दिल्ली के चुनावों के परिणाम आने के पश्चात जनता के साथ-साथ मीडिया ने भी ‘आप’ को गंभीरता से लेना शुरू कर दिया है। उन्होंने भी अपनी पार्टी की विस्तार की गतिविधियां बड़ा दी हैं और इस विधानसभा सैशन में जहां ‘आप’ न केवल अकाली दल का मुकाबला करती नजर आई, अपितु कहीं अधिक एकजुट होकर सत्ता पक्ष कांग्रेस को कठघड़े में खड़ा करने में सफल रही। ‘आप’ जनता को यह समझाने में सफल हो रही है कि अकाली दल व कांग्रेस अंदर से मिले हुए हैं, इसलिए तीसरा विकल्प वह ओ सकती है।

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