किसान आंदोलन को लेकर बीबी जागीर कौर ने ऐसे की भाजपा की खिंचाई

Edited By Vatika,Updated: 16 Jan, 2021 05:15 PM

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शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) की अध्यक्ष बीबी जागीर कौर ने किसानों की आवाज को खत्म करने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार द्वारा अपनायी जा रही रणनीति का इस्तेमाल करने की कड़ी निंदा की है।

अमृतसर: शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) की अध्यक्ष बीबी जागीर कौर ने किसानों की आवाज को खत्म करने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार द्वारा अपनाई जा रही रणनीति का इस्तेमाल करने की कड़ी निंदा की है। बीबी जागीर कौर ने कहा कि किसानों और किसान संघर्ष (किसान आंदोलन) में शामिल लोगों को नोटिस जारी करना सरकार की तानाशाही नीति का प्रमाण है। राज्य सरकार आंदोलन से जुड़े लोग को दबाने के लिए यूएपीए (गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम अधिनियम) का प्रयोग कर रही है।

देश के किसान अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं लेकिन देश की सरकार सच्चाई और न्याय की आवाज को दबाने के लिए सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग कर रही है जो सहन करने योग्य नहीं है। बीबी जागीर कौर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सवाल पूछते हुए कहा कि अगर कोई भी अपने साथ हुए अत्याचार और अन्याय का विरोध करता है, तो क्या वह राष्ट्रविरोधी है। भविष्य की पीढि़यों के लिए चिंता करना और किसी के अधिकारों के लिए संघर्ष करना क्या एक विभाजनकारी कार्य है। एसजीपीसी अध्यक्ष ने कहा कि मोदी सरकार किसानों की उचित मांगों पर गंभीरता से विचार करने के बजाय अपने अहंकार और गर्व के साथ लोकतंत्र को नष्ट कर रही है। बीबी जागीर कौर ने कहा कि विशेष रूप से अल्पसंख्यकों के प्रति सरकार का रवैया दमनकारी है। सरकार का इरादा लोगों के हितों की रक्षा करना होना चाहिए और अपनी जिद को आगे नहीं बढ़ाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि किसान संघर्ष शांतिपूर्ण तरीके से चल रहा है लेकिन भाजपा सरकार जानबूझकर इसे अपने प्रभाव से धूमिल करने की कोशिश कर रही है। सरकार लोगों को भड़काने के लिए हर माध्यम का इस्तेमाल कर रही है। इसका एक हिस्सा किसानों के आंदोलन पर एनआईए का हमला है। उन्होंने कहा कि केन्द्रीय सरकार तानाशाह बन गई है जो देश के संविधान के लिए एक बड़ा खतरा है। बीबी जागीर कौर ने कहा कि भाजपा सरकार संविधान का उल्लंघन करके लगातार सरकारी एजेंसियों को धता बता रही है। देश के प्रधानमंत्री को अपनी एजेंसियों के माध्यम से किसानों की मांगों को सुनना चाहिए और उन्हें लागू करके समस्या का समाधान करना चाहिए लेकिन सरकार लोगों की आवाज को दबाने के लिए एक नीति का पालन कर रही है। उन्होंने कहा कि यूएपीए के दुरुपयोग को तुरंत रोका जाना चाहिए और एनआईए द्वारा जारी की गयीं नोटिस को वापस लिया जाना चाहिए।

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